भ्रष्टाचार पर भगवंत मान के पहले ‘पंच’ से जगी उम्मीदें

punjabkesari.in Sunday, May 29, 2022 - 05:25 AM (IST)

देश मेंं उन नेताओं व अफसरों की सूची लंबी है, जिन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा काटी। भ्रष्टाचार की इस अमरबेल को सींचने वालों में पंच, सरपंच से लेकर विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, मुलाजिम और अफसर शामिल हैं। आजाद भारत के इतिहास मेंं शायद ऐसा पहली बार हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने अपने ही कैबिनेट मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर गिरफ्तार कराया हो। 

भ्रष्टाचार की जड़ें जितनी गहरी हैं, उतने ही ज्यादा आरोपी पकड़ से परे हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) की सितंबर 2021 में जारी रिपोर्ट मुताबिक, 2020 दौरान 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश में भ्रष्टाचार के सिर्फ 3100 मामले दर्ज हुए। महाराष्ट्र 664 मामलों  के साथ पहले व 143 मामले दर्ज करने वाला पंजाब छठे स्थान पर रहा। दर्ज मामलों में 15 फीसदी से भी कम आरोपियों को सजा इस बात का संकेत है कि भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए ऐसी मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है, जिसका परिचय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी से दिया। 

भगवंत मान से जनता को उम्मीदें हैं कि भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए वह ऐसे ही आगे बढ़ते रहे तो एक दिन पंजाब भी सिक्किम और यू.टी. लक्षद्वीप के बाद देश का तीसरा भ्रष्टाचार मुक्त शासन होगा। एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट पुष्टि करती है कि 2018 से 2020 दौरान सिक्किम और लक्षद्वीप में भ्रष्टाचार का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। आजादी के 75वें अमृतमहोत्सव में भ्रष्टाचार से आजादी की जंग पंजाब से शुरू होकर देशभर में आगे बढ़ती है तो भ्रष्टाचार से उपजे काले धन की अलग अर्थव्यवस्था पर लगाम लगेगी। भ्रष्टाचार से कमाई बेनामी प्रॉपर्टी, सोना और स्विस बैंक में जमा काला धन भी मुख्य आर्थिक धारा में शामिल होने से देश न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाओं की बेहतरी के साथ बेरोजगारी दूर करने में मदद मिलेगी। 

शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 17 साल पहले जून 2005 में टैलीविजन के पर्दे पर  प्रसारित ‘दॅ ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज’ के मंच से भ्रष्टाचारी नेताओं पर तंज कसने वाला कॉमेडियन भगवंत मान पंजाब के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद भ्रष्टाचार पर नकेल के जनता से किए पहले वायदे को पूरा करने के लिए अपने ही मंत्री पर ‘पहला पंच’ जड़ेगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरैंस पालिसी’ का यह संदेश दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी गया, तभी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सरकार के समय के भ्रष्ट मंत्रियों की सूची मान सरकार को सौंपने को तैयार हैं। 

भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए 16 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ के अगले हफ्ते ही मान द्वारा जारी हैल्पलाइन पर अढ़ाई महीने में भले ही किसी बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करती कोई ऑडियो वीडियो क्लिप सामने नहीं आई, पर मंत्री पर कड़ी कार्रवाई ने जनता का सरकार के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तेज करने का हौसला बढ़ाया है। 

आजाद भारत के इतिहास मेंं इससे पहले 2-जी स्पैक्ट्रम के चर्चित घोटाले में तब के केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा को सरकार में मंत्री रहते जेल भेजा गया। केंद्रीय कपड़ा मंत्री रहे दयानिधि मारन को इस्तीफा देना पड़ा। 2010 में दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में घोटाले के आरोप में जेल जाने जाने वाले कांग्रेसी सांसद सुरेश कलमाड़ी के इस कांड का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा। ‘कैश फॉर वोट’ मामले में आरोप था कि जुलाई 2008 में यू.पी.ए. सरकार से वामपंथी दलों के समर्थन की घोषणा के बाद सरकार अल्पमत में आ गई तो राष्ट्रपति ने सरकार से संसद में अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा पर विश्वास मत के दौरान भाजपा के 3 सांसदों ने संसद में नोटों की गड्डियां उछाल दावा किया था कि कांग्रेस ने उन्हें ये नोट उनके पक्ष में वोट डालने के लिए दिए। 

आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाल ही में 4 वर्ष कैद की सजा पाने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला पहले भी जे.बी.टी. टीचर भर्ती घोटाले में 10 वर्ष की जेल काट चुके हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने वाले राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों में लालू प्रसाद यादव से लेकर जयललिता, बी.एस. येद्दियुरप्पा तक शामिल हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक को भ्रष्टाचार के आरोप में पद से हटाया गया। भ्रष्टाचार के मामलों में ज्यादातर नेताओं पर कड़ी कार्रवाई की बजाय पार्टियों की अपनी साख बचाने की कोशिश में भ्रष्टाचारी नेताओं को शह मिलती रही। 

हमारे नेताओं और बाबुओं को भ्रष्टाचार अंग्रेजों से विरासत में मिला। अंग्रेजों ने भारत के राजा-महाराजाओं को भ्रष्ट कर भारत को गुलाम बनाया। योजनाबद्ध तरीके से उन्होंने भारत में भ्रष्टाचार को अपने फायदे के लिए प्रभावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। अंग्रेजों के शासनकाल से ही गहरी हुई भ्रष्टाचार की जड़ें आजादी के 75 साल बाद भी सींचे जाने से देश का विकास और अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। भ्रष्टाचार की मार ने उन लाखों-करोड़ों युवाओं के सपने चूर किए, जो सरकारी नौकरियां पाने को रिश्वत और अपने काम-धंधे के लिए बैंकों से कर्ज के अभाव में मजदूरी कर रहे हैं या बेरोजगारों की फौज बढ़ा रहे हैं। 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साल 1985 में ओडिशा दौरे के दौरान अपने एक भाषण में गरीबों की हालत सुधारने के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की बात कबूलते हुए कहा था, ‘‘गरीबों के लिए भेजे गए 1 रुपए में से महज 15 पैसे ही जरूरतमंदों तक पहुंच पाते हैं’’। विकास कार्यों और जरूरतमंदों की कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की सेंधमारी दूर करने के लिए ‘डिजिटल इंडिया’ की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुई। बैंक खातों में सीधे भुगतान ने लाभार्थियों और किसानों की परेशानी दूर की। चुनावी चंदे के बदले राजनीतिक पार्टियों द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण पर नकेल के लिए चुनावी बांड की पहल ने इनके खरीदारों की पहचान भी गोपनीय रख उनकी गरिमा बनाए रखी। फिलहाल उम्मीद है कि भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए आगे बढ़ा पंजाब एक दिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी मुक्त रंगला राज्य होगा।-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)
 


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