डिजिटल युग में साइबर ठगों से सावधान
punjabkesari.in Sunday, Feb 19, 2023 - 04:50 AM (IST)

आज के डिजिटल युग में देश की ज्यादातर आबादी इंटरनैट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती है और लेन-देन के लिए यू.पी.आई. सबसे पसंदीदा तरीका बन चुका है। ज्यादातर लोग अपनी सहूलियत के लिए दो या दो से ज्यादा नंबर भी रखते हैं और अपने फोन में डुअल सिम यानी दो सिम का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन डुअल सिम के इस दौर में दूसरे नंबर को रिचार्ज कराना लोग अक्सर भूल जाते हैं और यही एक गलत आदत साइबर लुटेरों के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं होती। इस छोटी सी लापरवाही की वजह से लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई से हाथ धो बैठते हैं।
पिछले कुछ वक्त से देश में कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने अपने दूसरे सिम को रिचार्ज कराना बंद कर दिया और बाद में यह सिम किसी साइबर ठग के हाथ लग गया और ठगों ने पीड़ितों का पूरा खाता खाली कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी पिछले महीने ऐसे कुछ मामले सामने आए थे, जहां साइबर ठगों ने बंद पड़े सिम कार्ड को दोबारा इश्यू करवा कर लाखों की ठगी को अंजाम दिया। लखनऊ पुलिस के अनुसार पकड़ा गया आरोपी फर्जी के.वाई.सी. के जरिए बंद पड़ा सिम खरीद कर ठगी को अंजाम दे रहा था।
दरअसल ये साइबर अपराधी सबसे पहले फर्जी आई.डी. से बंद पड़ा सिम खरीदते हैं। कई मामलों में तो इनकी सिम विक्रेताओं से सांठ-गांठ तक होती है। साइबर लुटेरों की कोशिश होती है कि ये पुराने डिजिट के नंबर ही खरीदें क्योंकि ज्यादातर लोगों का यह पुराना नंबर ही उनके बैंक अकाऊंट और ई-मेल आई.डी. के साथ जुड़ा रहता है। लापरवाही या फिर जानकारी न होने की वजह से वे इसे बदलते भी नहीं हैं। एक बार सिम मिलने के बाद ये अपराधी उस सिम में आपके भीम, यू.पी.आई., पे.टी.एम., फोनपे या फिर गूगलपे जैसे किसी ऐप को लॉगइन करते हैं।
लॉगइन करने के बाद इन्हें इस ऐप के साथ अटैच या आपका जुड़ा हुआ बैंक अकाऊंट नंबर और ई-मेल आई.डी. भी मिल जाती है। हालांकि ये अपराधी यू.पी.आई. से पैसा ट्रांसफर नहीं करते क्योंकि उससे एक दिन में मात्र 1 लाख रुपए तक का ही लेन-देन हो सकता है। आपके बैंक अकाऊंट की डिटेल लेने के बाद ये ठग बैंक की ‘इंटरनैट बैंकिंग’ वैबसाइट पर जाते हैं और वहां पहले ‘फॉरगेट यूजर आई.डी.’ विकल्प पर क्लिक करते हैं और बैंक की वैबसाइट इनसे अकाऊंट नंबर, ई-मेल और रजिस्टर्ड फोन नंबर डालने के लिए कहती है।
जिसे एंटर करने के बाद आपके ही बंद पड़े सिम, जो कि बैंक के साथ रजिस्टर है और अब साइबर ठग के पास मौजूद है, पर एक ओ.टी.पी. आता है, जिसे एंटर करते ही अपराधी को इंटरनैट बैंकिंग की यूजर आई.डी. पता चल जाती है। ठीक इसी प्रक्रिया अथवा प्रोसैस के जरिए ये ठग ‘फॉरगेट पासवर्ड’ विकल्प का भी इस्तेमाल करते हैं और अपना नया पासवर्ड जैनरेट या फिर बना लेते हैं। बस इसके बाद ये साइबर लुटेरे इंटरनैट बैंकिंग के जरिए आपके अकाऊंट को खोलते हैं और फिर पूरा अकाऊंट साफ हो जाता है।
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि आपको पता भी नहीं चलता क्योंकि आप अपना वह नंबर पहले ही बंद कर चुके होते हैं और आपके पास बैंक ट्रांजैक्शन से जुड़ा कोई मैसेज आने का सवाल ही पैदा नहीं होता।दरअसल साइबर लुटेरे ट्राई यानी टैलीकॉम रैगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नए नियमों का फायदा उठा रहे हैं। पिछले वर्ष 2022 में ट्राई ने नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसके मुताबिक जो टैलीकॉम कंपनियां सिम खरीदने पर लाइफटाइम वैलिडिटी दे रही थीं, उसे बंद कर दिया गया है।
अब नए नियमों के मुताबिक अगर यूजर को अपना नंबर चालू रखना है तो उसे हर महीने अपना सिम रिचार्ज कराना होगा या फिर तीन महीने या छ: महीने का पैकेज लेना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता तो तीन महीने बाद यह नंबर अपने आप बंद हो जाएगा और फिर टैलीकॉम कंपनी उस सिम को किसी दूसरे व्यक्ति को इश्यू कर देगी। लेकिन ट्राई का यही नियम अब साइबर ठगों के लिए पैसा लूटने का एक नया अड्डा बन गया है।
इसी तरीके का इस्तेमाल कर साइबर ठगों ने दिल्ली के एक व्यापारी के बैंक खाते से एक-दो नहीं बल्कि 75 लाख रुपए उड़ा लिए और पांच महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें एक रुपया तक वापस नहीं मिला है। दरअसल अधिकांश लोग अपना ओ.टी.पी. दूसरों को शेयर करने की गलती कर बैठते हैं या फिर कोई अन ऑथोराइज्ड ट्रांजैक्शन कर बैठते हैं। जब ऐसे किसी केस की आर.बी.आई. जांच करता है और यदि उसे लगता है कि यह गलत ट्रांजैक्शन व्यक्ति विशेष की गलती के कारण हुई है, तब ऐसे केस में आर.बी.आई. क्लेम को रिजैक्ट कर देता है।
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं आज आपका सिम और फोन भी आपके किसी ऐसेट यानी आपकी एक संपत्ति से कम नहीं है। ऐसे में उसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर आप नहीं चाहते कि कोई साइबर अपराधी आपका बैंक खाता सिर्फ इस वजह से खाली कर दे, कि आप अपने दूसरे सिम को रिचार्ज कराना भूल गए हैं, तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए और हर महीने अपने सिम कार्ड की वैलिडिटी यानी सिम की वैधता की जांच करते रहना चाहिए। -ऋषभ मिश्रा