ब्लूचिस्तान बहुत जल्द आजादी की रौशनी देखेगा

punjabkesari.in Saturday, May 28, 2022 - 05:27 AM (IST)

ब्लूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा अधिकृत प्रांत है जो देश की कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 44 प्रतिशत है। 770 किलोमीटर की तट रेखा के साथ, ब्लूचिस्तान ईरान और अफगानिस्तान के साथ सीमा सांझा करता है। विश्व का 40 प्रतिशत तेल गवादर बंदरगाह के माध्यम से आता है जोकि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के मुहाने के निकट स्थित है। पाकिस्तान के एकीकृत राष्ट्रवाद का प्रदर्शन ब्लूच, पश्तून और सिंधियों के जातीय राष्ट्रवादी विरोध के साथ मिलता है जोकि पाकिस्तान के गठन के बाद से अपने राजनीतिक और आर्थिक हाशिए पर जाने का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान के पंजाब केंद्रित योजनाएं और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत परियोजनाओं ने आजादी चाहने वाले बलों के बीच संघर्ष को और खराब कर दिया है। 

गवादर बंदरगाह का अधिग्रहण और बाद में गवादर से जुड़ी सी.पी.ई.सी. परियोजनाओं से ब्लूच फर्मों, श्रमिकों और मछुआरों के बहिष्कार तथा इसके प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के अलावा विभिन्न विकास नीतियों ने ब्लूचिस्तान में पहले से ही मौजूद अलगाववादी भावनाओं को बढ़ा दिया है। ब्लूचिस्तान की मुख्य पार्टियों ने ऐसी परियोजनाओं का पूरी तरह से विरोध किया है और पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वान किया है। क्वेटा में शिया हजारा समुदाय के खिलाफ राजनीतिक भेदभाव भी एक मानवाधिकार मुद्दा रहा है। सुन्नी सम्प्रदाय के लोग शिया हजारा को ईरानी जासूस मानते हैं। 

आज विभिन्न ब्लूच विद्रोही समूहों, ब्लूच रिपब्लिकन आर्मी (बी.आर.ए.), यूनाइटेड ब्लूच आर्मी, ब्लूच राजी अजोई संगर (बी.आर.ए.एस.) के एकीकरण से ब्लूच नैशनल आर्मी (बी.एन.ए.) या ‘आजादी ब्रिगेड’ की स्थापना हो सकती है। यदि रावलपिंडी ब्लूचों के खिलाफ अपने अत्याचारों को बढ़ाता है तो ब्लूच ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सभी ब्लूचों को एकजुट होकर ‘ग्रेटर ब्लूचिस्तान’ बनाने के लिए और अधिक जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। शैरी ब्लूच की हालिया आत्मघाती बमबारी ने ब्लूचिस्तान में स्वतंत्रता संग्राम के तेज होने की ओर ध्यान आकर्षित किया है। कई संतुष्ट पाकिस्तानी गुटों ने सी.पी.ई.सी. और रावलपिंडी का विरोध करने के शैरी ब्लूच के फैसले की सराहना की है। ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर सिंधी अलगाववादियों ने उनकी बहुत बहादुरी की प्रशंसा की है। 

अभी तक ब्लूच विद्रोही ग्रुपों के विरोध-प्रदर्शनों के अलावा तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों और ‘हिट एंड रन’ हमलों का इस्तेमाल किया है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टी.टी.पी.) का उद्देश्य पाकिस्तान में इस्लामी अमीरात की स्थापना करना है जो तालिबान ने अफगानिस्तान में किया था। टी.टी.पी. और ब्लूचिस्तान के विद्रोहियों के आत्मघाती हमला करने की प्रकृति एक जैसी है। 

दिलचस्प बात यह है कि क्या यह संभव है कि टी.टी.पी.के नेता नूरवली महमूद ने ब्लूच विद्रोहियों के साथ गठबंधन किया हो? अब तक टी.टी.पी.(पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम) और बी.एल.ए. (पाकिस्तान के दक्षिण क्षेत्र) द्वारा स्वतंत्र कार्य किए गए हैं। हालांकि अब ऐसा नहीं हो सकता। रावलपिंडी से स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए तालिबान की आकांक्षाओं और क्षमताओं से इंकार नहीं किया जा सकता। तालिबान के मंत्रियों के भी ऐसे बयान आए हैं जो अपने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में एक स्वतंत्र भूमिका की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा तालिबान के पास 9/11 के बाद के घटनाक्रम का बदला लेने का उद्देश्य भी हो सकता है जिसमें पाकिस्तान ने चतुराई से अमरीका को तालिबान को कुचलने में मदद की थी। 

हम याद कर सकते हैं कि 2010 की शुरूआत में तहरीक-ए-तालिबान ब्लूचिस्तान (टी.टी.बी.) टी.टी.पी. की तर्ज पर उभरा। टी.टी.बी. पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में बदलने की आकांक्षा रखता है। संगठन ने मुख्य रूप से अफगान पश्तून जनजातियों के विदेशी लड़ाकुओं की भर्ती की। हालांकि अफगानिस्तान से अमरीका के बाहर निकलने के बाद पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ हमलों की तीव्रता और संख्या में वृद्धि हुई है। हाल ही में टी.टी.पी. और पाकिस्तान के बीच अफगान तालिबान और हक्कानी नैटवर्क के माध्यम से मध्यस्थता हुई। 

पाकिस्तान की प्रमुख विदेश और सुरक्षा नीति मुख्य रूप से भारत विरोधी दृष्टिकोण रखती है। उसका उद्देश्य केवल भारत को अस्थिर करना है। पाकिस्तान जल्द ही अपने घरेलू आतंक का शिकार हो जाएगा और एक ऐसे राष्ट्र के रूप में सूचीबद्ध हो सकता है जिसने खुद अपनी ही कब्र खोदी हो। जोसेफ नी ने एक बार कहा था, ‘‘महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं ने कभी अपने हितों का पालन नहीं किया। वे अपने लोगों के हितों के बारे में चिंतित थे।’’ मगर इस्लामाबाद ने कभी भी इस तरह का नेता नहीं बनाया। अधिक अराजकता, आतंक, बाहरी ऋण और मुद्रास्फीति के साथ यह भविष्यवाणी करना गलत नहीं होगा कि ब्लूचिस्तान बहुत जल्द आजादी की रौशनी देखेगा।-निषिथा कौशिकी


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