पाकिस्तान में हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी

punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2020 - 02:00 AM (IST)

विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए हिंदू, सिख, ईसाई, हाजरा व अहमदिया अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा, नाबालिग अल्पसंख्यक कन्याओं के अपहरण, बलात्कार, धर्मांतरण एवं जबरन विवाह तथा अल्पसंख्यकों के धर्म स्थानों पर हमले लगातार जारी हैं। इसी कारण वहां से हिंदुओं का लगातार पलायन हो रहा है और कुछ वर्षों के दौरान 20 हजार से अधिक हिंदू परिवार भारत आ चुके हैं। अभी 3 फरवरी को ही पाकिस्तान से पलायन करके 187 हिंंदुओं का जत्था भारत पहुंचा है जो सबके सब भारत में स्थायी नागरिकता लेने के इच्छुक हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी 16 दिसम्बर 2019 को जारी रिपोर्ट में कहा है कि ‘‘पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनने के बाद से वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बहुत बढ़ गए हैं जो अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा दे रही है।’’

‘‘हिंदुओं तथा ईसाइयों को सर्वाधिक प्रताडि़त करने के साथ-साथ इनकी सैंकड़ों महिलाओं का बलात्कार और अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन करवा कर जबरदस्ती मुसलमानों से विवाह किया जा रहा है।’’  ‘‘बच्चों को उनके शिक्षक और सहपाठी अपमानित करते हैं। अल्पसंख्यकों के उत्पीडऩ के लिए ईश निंदा कानून का इस्तेमाल भी किया जाता है और इसकी आड़ में अल्पसंख्यकों पर हिंसा बढ़ी है।’’ उक्त रिपोर्ट की सत्यता मात्र इस महीने की निम्र घटनाओं से स्पष्ट है : 

03 जनवरी को ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर सैंकड़ों लोगों की भीड़ ने पथराव किया और ननकाना साहिब का नाम बदलने की धमकी दी। 14 जनवरी को एक हिंदू लड़की महक कुमारी का निकाह अली रजा नामक मुसलमान से करवा दिया गया। इसके विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे सैंकड़ों लोगों को हटाने के लिए कमांडो फोर्स ने उन पर गोलियां चलाईं। 25 जनवरी को सिंध के ‘चाचरो’ गांव में बड़ी संख्या में लोगों ने मां भटियानी देवी के मंदिर पर हमला करके मूर्ति को खंडित करने के बाद मंदिर में सुशोभित धार्मिक ग्रंथों और लाल ध्वज को जला दिया गया। 

26 जनवरी को कराची प्रांत के मटयारी जिले में भारती बाई नामक हिंदू महिला को चंद हमलावरों ने शादी के मंडप से अगवा करके जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाने के बाद उसकी शादी एक मुसलमान से कर दी। शिकायत मिलने पर पुलिस ने अपहरणकत्र्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने की बजाय उलटे भारती बाई को अगवा करके ले जाने वालों की मदद की। 26 जनवरी को कराची के स्कूल में अपने पति के साथ अपने बच्चों का दाखिला करवाने गई 7 महीने की गर्भवती एक ईसाई महिला पर अज्ञात बदमाशों ने गोलियां चला कर उसे घायल कर दिया। 27 जनवरी को सेना की आलोचना करने पर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक पश्तून नेता मंजूर पश्तीन को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। 

28 जनवरी को सिंध प्रांत के जिला ‘कोट गुलाम मोहम्मद’ की हिन्दू युवती अजात कुमारी मेघवार को अगवा करके उसका धर्म परिवर्तन करवाए जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि मात्र 5 दिनों में ही सिंध के अलग-अलग शहरों में अल्पसंख्यक समुदाय की 6 लड़कियों का अपहरण करके उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय पर वहां की सरकार और सेना की शह पर किए जाने वाले अत्याचारों के ये तो चंद नमूने मात्र हैं जिसके विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ही नहीं बल्कि अब तो स्वयं पाकिस्तान के उदारवादी मुसलमानों द्वारा भी आवाज उठाई जाने लगी है। 3 फरवरी को पाकिस्तान के जैकोबाबाद में ‘जीए सिंध महाज’(जे.एस.एम.) के चेयरमैन रियाज खान चांदियो के नेतृत्व में विभिन्न उदारवादी मुसलमान संगठनों ने नाबालिग हिंदू लड़की के धर्मांतरण के बाद एक मुसलमान के साथ विवाह के विरुद्ध भारी प्रदर्शन किया। 

प्रदर्शन में शामिल सिंधी गायक ढोलक की थाप पर ‘तुम्हारा मजहब तुम्हारे साथ रहे, हमारा मजहब हमारे साथ रहे’ गीत गाकर पीड़ित युवती के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा पाकिस्तान में उदारवादी मुसलमानों द्वारा भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाने से स्पष्ट है कि वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कितने बढ़ चुके हैं और इस पर पाकिस्तान सरकार की चुप्पी इस तथ्य का मुंह बोलता प्रमाण है कि पाकिस्तान के नेताओं ने अपने देश के अल्पसंख्यकों बारे कितना निन्दनीय रवैया अपना रखा है।—विजय कुमार  


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