‘अटल जी के सपनों का भारत’

Thursday, Dec 24, 2020 - 05:06 AM (IST)

25 दिसम्बर को समूचा राष्ट्र एक महान व्यक्तित्व, भारत के राजनीतिक शिखर पुरुष श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती मना रहा है। इस दिन को ‘सुशासन’ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। सुहृदय, आदर्श नेता, अजातशत्रु, दूरदर्शी, संवेदनशील कवि, पत्रकार इत्यादि इत्यादि, उनके समग्र व्यक्तित्व में राष्ट्रीयता के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक की झलक साफ नजर आती है। वह एक राजनेता ही नहीं बल्कि ओजस्वी, तेजस्वी व यशस्वी महापुरुष थे, जो स्वभाव से बहुत विनम्र थे। यह दिन, ‘क्रिसमस-डे’ के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ, जिन्होंने समूचे विश्व में शांति, प्रेम व सद्भावना का संदेश दिया। 

संघर्षमय जीवन : अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन संघर्ष की वह कहानी है, जो भावी पीढ़ी को प्रेरणा देती है। किस प्रकार एक साधारण शिक्षक का बेटा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री बना। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वह चार दशकों से भी अधिक समय तक सांसद रहे। 1942 में गांधी जी के ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन का हिस्सा बने और उन्हें आगरा जेल की बच्चा-बैरक में रखा गया। 24 दिनों की यह उनकी पहली जेल यात्रा थी। राजनीतिक सफर में भी संघर्ष उनका साथी रहा। वह चाहे आपातकाल का समय हो या फिर संसद में नैतिक व लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का प्रश्न, अटल जी अन्यों के लिए हमेशा मिसाल बने। 

श्रद्धेय अटल जी का सम्पूर्ण जीवन ही तपस्या व आदर्श से परिपूर्ण रहा है। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे जनसंघ के दिग्गजों के शिष्य रहे वाजपेयी जी श्री जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा के पात्र बने और श्रीमती इंदिरा गांधी भी उनसे सलाह-मशविरा करतीं जबकि अटल जी उनकी आलोचना करने में कभी पीछे नहीं रहे। उग्र मजदूर संघ के नेता जार्ज फर्नांडीस से दोस्ती की, जो आगे चलकर उनके सहयोगी भी बने।

राष्ट्र को समर्पित राजनेता : अपनी असाधारण योग्यता व प्रतिभा के परिणामस्वरूप वह आज भी करोड़ों लोगों के हृदय पर राज करते हैं। यही कारण है कि उनको करोड़ों हृदय का सम्राट भी कहा जाता है। वह उदारवादी थे और जीवन में उच्च मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा। एक सर्वसम्मत नेता के रूप में उन्होंने दुनिया में अपनी विशेष पहचान कायम की। हालांकि, अधिक वर्षों तक वह प्रतिपक्ष में रहे और सरकार के जनविरोधी निर्णयों की मुखालफत करते व जनहित में रचनात्मक सुझाव देते और सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा भी करते। वह अपने भाषणों से करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। उनकी विचारधारा प्रखर राष्ट्रवादी थी, जिसने राष्ट्र को समॢपत करोड़ों लोगों को प्रेरणा दी। वह अपने उद्बोधन में अक्सर कहा करते थे, ‘‘यह देश जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं है, बल्कि जीता जागता राष्ट्र पुरुष है। इस पावन धरती का कंकर-कंकर शंकर है, बूंद-बूंद गंगाजल है। भारत के लिए हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करूंगा।’’ 

प्रजातंत्र के प्रहरी : देश में जब आपातकाल लगाया गया उस समय उन्होंने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन किए और जेल गए। बाद में जनता पार्टी की सरकार में वह विदेश मंत्री बने। 24 मार्च 1977 को श्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी इस सरकार के बारे में विशेषकर मुस्लिम राष्ट्रों का मानना था कि कट्टर हिन्दूवादी कैसे मुस्लिम देशों से अपने रिश्ते बनाएगा? लेकिन, उन्होंने उस समय पाकिस्तान के लिए मुस्लिम भाइयों के वीजा आवेदन को खत्म किया। उस समय सभी मुस्लिम राष्ट्रों से अच्छे संबंध बने और उनकी भारत के प्रति सोच में परिवर्तन आया। बाद में, वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने। 

भारत के नव-निर्माण की रखी नींव : राजनीति में भाजपा को ‘अस्पृश्य पार्टी’ माना जाता था लेकिन, पहली बार वाजपेयी जी ने गठबंधन की सरकार बनाई, जिसमें स्व. जयललिता, ममता बनर्जी, मायावती तथा फारूक अब्दुला जैसे अलग-अलग विचारधाराओं के राजनेताओं को शामिल किया। इस प्रकार देश मेें पहली बार 23 पार्टियों को साथ लाकर गठबंधन सरकार बनी। उन्होंने सभी राजनीतिक विचारों को साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता प्रदर्शित की। उन्हीं के नेतृत्व में राजग सरकार ने भारत के नवनिर्माण की नींव रखने का काम किया।

प्रधानमंत्री के रूप में प्राथमिकताएं : वर्ष 1998 में मुझे उनके नेतृत्व में कार्य करने का मौका मिला। सही मायने में वह भारत में पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। यह मेरा सौभाग्य है कि उन्हें नजदीक से देखने, समझने और कार्य करने का मुझे मौका मिला। उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में मैं शहरी विकास मंत्री था। उन्होंने 1999 में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया। प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने सड़क और संचार को विशेष प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि फोर-लेन, रेल, वायु और जल मार्ग की संयोजकता से देश में विकास को प्राथमिकता मिलेगी। उनके कार्यकाल में सड़कों का निर्माण तेजी से हुआ। उन्होंने ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुुरूआत की थी। वह पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गांव-गांव को सड़क से जोडऩे की परिकल्पना की थी। 

पोखरण में परमाणु परीक्षण : 11 और 13 मई, 1998 के दिन भारत ने अटल जी के नेतृत्व में राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। इन परीक्षणों ने पहली बार देश के स्वाभिमान को जगाया था। उनके इस कदम ने भारत को एक नई पहचान दी। देश-विदेश में रहने वाले भारतीय अब अपनी पहचान को गर्व से बताने लगे थे। लेकिन, विस्फोट के पश्चात् वाजपेयी जी ने कहा था ‘‘ये विस्फोट किसी देश पर आक्रमण के लिए नहीं बल्कि आत्मरक्षण के लिए हैं। क्योंकि मेरे लिए देश प्रथम है, सर्वोपरि है।’’ हालांकि इस परीक्षण के बाद भारत के सामने कई चुनौतियां आ गई थीं और अमरीका ने भारत को आर्थक, सैन्य प्रतिबंध लगाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश की। लेकिन, अटल जी ने इन सभी चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। 

हिमाचल से नाता : अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे अभिभावक की तरह रहे। हिमाचल से उनका गहरा नाता था। वह हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे। यही वजह है कि सक्रिय राजनीति छोडऩे के बाद उन्होंने कुल्लू के प्रीणी में अपना घर बनाया। यहां के सौंदर्य और बर्फ से लदी पहाडिय़ों पर उन्होंने अनेक कविताएं लिखीं। वह मनाली से इतने मोहित थे कि उन्होंने ‘बुलाती तुम्हें मनाली’ शीर्षक से कविता भी लिखी थी। प्रीणी स्कूल में अटल न केवल बच्चों को अपनी कविताएं सुनाया करते थे, बल्कि उन्होंने अपना एक कविता संग्रह भी उन्हें भेंट किया था। रोहतांग सुरंग वाजपेयी जी की देन है। 

साल 1999 में जब कारगिल युद्ध छिड़ा तो पी.एम.ओ. मनाली में शिफ्ट हो गया था। यहां से देश की सुरक्षा से जुड़े कई फैसले लिए गए। इन्हीं में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग बनाने की परिकल्पना तैयार हुई। हाल ही में मुझे रोहतांग सुरंग जाने का मौका मिला। देशवासियों के लिए यह गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अटल जी के सपने को साकार किया है।-बंडारू दत्तात्रेय(माननीय राज्यपाल हि.प्र.)
 

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