भारतीय राजनीति के आदर्श पुरुष अटल जी
punjabkesari.in Monday, Dec 25, 2023 - 06:29 AM (IST)
आज 25 दिसम्बर 2023 है, यह अटल जी की 99वीं जन्म जयंती है। 25 दिसम्बर 2024 को उनकी जन्म जयंती का शताब्दी वर्ष होगा। हमें पूरा विश्वास है कि अटल जी के आदर्शों पर चलने वाले और वर्षों की जनसंघ और भाजपा के घोषणापत्र में लिखे वचनों को साकार करने वाले वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी उनकी जन्म शताब्दी की अद्भुत तैयारी की योजना बना चुके होंगे या बना रहे होंगे।
जनता पार्टी की सरकार के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ में अटल जी पहले भारतीय विदेश मंत्री थे जिन्होंने हिंदी में भाषण देकर पूरे विश्व को जहां चौंका दिया था, वहीं अपनी राष्ट्रभाषा को सम्मान प्रदान किया था। वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी अब तक विश्व में 66 राष्ट्रों में गए और भारत की, भारत माता की और वहां बसे भारतीयों के बीच अपनी संस्कृति और राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण जिस तरह से किया उसे अटल जी को दी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि कहेंगे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
केंद्र में अटल जी की पहली सरकार 13 दिन की थी, दूसरी बार 13 महीने की थी, जब 13 महीने की सरकार गिर रही थी तब विपक्ष में बैठे लोगों ने ताने मारे थे कि अटल जी ने सत्ता के लिए धारा 370, राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक को समाप्त करना, समान नागरिक संहिता जैसे अपने विचारधारा के विषय को भूलकर एन.डी.ए. से समझौता किया।प्रधानमंत्री के नाते अटलजी ने सदन में जवाब दिया था कि राष्ट्रपति जी द्वारा सबसे बड़े दल होने के नाते हमें सरकार बनाने के लिए बुलाया गया, तो हमने न्यूनतम सांझा कार्यक्रम बनाया था जिससे देश पर पुन: चुनाव का भार न पड़े और अच्छी सरकार दे सकें, लेकिन विपक्ष की ओर से अटल जी ने कहा कि एक बात समझ लीजिए, जिस दिन हम बहुमत में आएंगे, उस दिन न धारा 370, न राममंदिर, न तीन तलाक और न समान नागरिक संहिता को छोड़ेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने 2014 में भाजपा की अकेले दम पर केंद्र में बहुमत की सरकार बनवाई। 2019 में इतिहास रचा गया और दोबारा सरकार बनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के कानों में अटल जी के वे वाक्य जो उनके द्वारा सदन में कहे गए थे और जनसंघ से लेकर भाजपा के घोषणापत्र में लगातार लिखे जा रहे थे, को पूरा करने का अवसर आया,उन्होंने तनिक भी देर नहीं की और अपने राजनीतिक पुरखों की लिखी और कही विचारधारा की बातों को 140 करोड़ जनता के चरणों में समर्पित किया।
अटल जी ने मुंबई में सम्पन्न हुए भाजपा के प्रथम सम्मेलन में कहा था ‘अंधेरा हटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’ आज उनके इस वाक्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी शब्दश: साकार करने में अनवरत देश के एक सेवक एवं कार्यकत्र्ता के रूप में सक्षमता से साकार कर रहे हैं। अटल जी ग्वालियर स्थित शिंदे की छावनी के कमल सिंह बाग स्थित अपने पैतृक निवास के एक छोटे से पाटोर में पैदा हुए। अटल जी का संपर्क बाल्यकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तीजारे जी से हुआ। वहीं से वे संघ के स्वयंसेवक बने।
अटल जी को जिन शिक्षकों ने पढ़ाया था उनमें एक बहुत बड़े साहित्यकार डा. शिवमंगल सिंह सुमन जी थे। वहां से अध्ययन करने के बाद अटलजी कानपुर पहुंचे। वहां उन्होंने लॉ में एडमिशन लिया। इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि उनके पिताजी ने बेटे के साथ लॉ किया। उन्हें अध्ययन के पश्चात उत्तर प्रदेश के शांडिला क्षेत्र में संघ के विस्तारक- प्रचारक के रूप में भेजा था। प्रचारक रहते हुए वे पहले गुजरात भाजपा के संगठन मंत्री बने और बाद में भाजपा के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बने। यह संयोग ही कहा जाएगा कि संघ के संस्कार से युक्त अब तक जो दोनों प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विचारधारा के बने वे प्रारंभ से ही संघ के स्वयंसेवक रहे।
अटलजी ने कश्मीर के बारे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा कही गई बात कि ‘ कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है’ को उस दिन साकार कर दिया जब संसद में आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा की उपस्थिति में सर्वसम्मति से पारित करा लिया गया कि ‘कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है’ कश्मीर के बारे में अटलजी के मन में कितनी स्पष्टता थी, यह उनके इस काव्य से ही स्पष्ट हो जाता है-
‘धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो
संसार भले ही हो विरुद्ध
कश्मीर पर भारत का सर नहीं झुकेगा
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा।’
वह दिन दूर नहीं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में 140 करोड़ जनता के मन में पाक अधिकृत कश्मीर में तिरंगा फहराने का सपना पूरा होगा। हम यहां पर अटलजी की तुलना वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी से कतई नहीं कर रहे लेकिन अटलजी की जन्म जयंती पर संयोगवश जो दोनों नेताओं में एकात्मभाव, एकात्मदर्शन और विचारधारा की प्रतिबद्धता दिखी और दिख रही है, उसको समाज के सामने रखना लेखक के नाते मैं अपनी प्रतिबद्धता ही मानता हूं। अटलजी आज भले ही काया से हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन छाया से वे हम सबके बीच सदैव रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने उन्हें भारत रत्न देकर और 25 दिसम्बर उनके जन्म दिवस को सुशासन दिवस घोषित कर एक आदर्श जीवनशैली के राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सेवा का जहां सम्मान किया, वहीं राजघाट पर उनकी समाधि ‘सदैव अटल’ बनाकर हर भारतवासी की ओर से जो श्रद्धांजलि अर्पित की वह इतिहास में अमर हो गया। -प्रभात झा, पूर्व सांसद एवं पूर्व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष