भारतीय संविधान में कलात्मकता

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2024 - 05:22 AM (IST)

हमारा भारत देश संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का एक जीता-जागता अनुभव है। इसके इतिहास को सरल शब्दों में व्यक्त करना अत्यंत कठिन है। इससे भी अधिक कठिन है 5 हजार से अधिक वर्षों की सभ्यता के इतिहास को एक दस्तावेज के रूप में व्यक्त करना, जो देश की स्वतंत्रता के समय एक नए स्वतंत्र हुए राष्ट्र के भाग्य का मार्गदर्शन करने वाला हो। लेकिन आचार्य नंदलाल बोस केवल एक कलाकार नहीं थे और भारत के संविधान पर चित्रण उनके लिए केवल एक और कार्य नहीं था। संविधान में चित्रण के लिए उनकी दृष्टि हड़प्पा सभ्यता के समय से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक भारत की यात्रा का वर्णन करती है।

संविधान की शुरूआत हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के चित्रण से होती है। नंदलाल बोस इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट थे कि प्रतीक में शेर बिल्कुल असली शेरों की तरह दिखें, उनकी चाल और चेहरे के हाव-भाव सही हों और आयु के हिसाब से उनमें बदलाव हो। राष्ट्रीय प्रतीक के डिजाइनर दीनानाथ भार्गव, जो उस समय कला भवन में एक युवा छात्र थे, इस कलाकृति को चित्रित करने से पहले शेरों के हाव-भाव, शारीरिक भाषा और तौर-तरीकों का अध्ययन करने के लिए महीनों तक कोलकाता चिडिय़ा घर गए। प्रस्तावना पृष्ठ और कई अन्य पृष्ठों को बेहर राममनोहर सिन्हा ने डिजाइन किया था। 

संविधान की प्रस्तावना एक हाथ से लिखा हुआ लेख है जो आयताकार बॉर्डर से घिरा हुआ है। बॉर्डर के 4 कोनों में 4 पशुओं को दर्शाया गया है। दर्शाए गए 4 जानवर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के आधार से लिए गए हैं। बॉर्डर की कलाकृति में कमल की आकृति प्रमुखता से दिखाई देती है। कमल की आकृति बॉर्डर कलाकृति में प्रमुखता से दिखाई देती है। संविधान का प्रत्येक भाग एक चित्र से आरंभ होता है और अलग-अलग पृष्ठों पर अलग-अलग बॉर्डर डिजाइन दर्शाए गए हैं। कलाकारों के हस्ताक्षर चित्र पर और बॉर्डर के पास दिखाई देते हैं जो इस प्रोजैक्ट में सभी के सहयोग को दर्शाता है। 

अनेक पृष्ठों पर कई हस्ताक्षर हैं जो बंगाली, ङ्क्षहदी, तमिल और अंग्रेजी में दिखाई देते हैं। भारत के संविधान के भाग-19 में विविध विषयों से संबंधित एक चित्र है जिसमें नेताजी सैन्य पोशाक में अपने सैनिकों से घिरे हुए सलामी दे रहे हैं। नंदलाल बोस के हस्ताक्षर चित्रण पर दिखाई देते हैं और ए. पेरूमल के हस्ताक्षर पृष्ठ के बाएं निचले कोने पर दिखाई देते हैं। वे कला को लोगों तक ले जाने वाले कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हुए।  संविधान का भाग-ङ्कढ्ढ, जो प्रथम अनुसूची के भाग-ए में राज्यों से संबंधित है, ध्यान में बैठे भगवान महावीर की समृद्ध रंगीन चित्र से शुरू होता है, जिसमें वे अपनी आंखें बंद करके और हथेलियां एक-दूसरे पर टिकाकर बैठे हुए हैं। 

यह मूल संविधान के कुछ रंगीन चित्रों में से एक है। रंगीन चित्रों में जमुना सेन और नंदलाल बोस के हस्ताक्षर हैं। इस पृष्ठ पर बॉर्डर डिजाइन में राजनीति नामक कलाकार के हस्ताक्षर भी हैं। भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों पर केंद्रित है। इस पृष्ठ पर दिए गए चित्रों में भारत के 2 वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु गोबिंद सिंह को दिखाया गया है। इस पृष्ठ पर दिए गए चित्र धीरेंद्र कृष्ण देब बर्मन द्वारा बनाए गए हैं, जो त्रिपुरा राजघराने के सदस्य थे और रबींद्रनाथ टैगोर और नंदलाल बोस के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। 

बॉर्डर डिजाइन पर कृपाल सिंह शेखावत के हस्ताक्षर हैं, जो भारत के एक प्रसिद्ध कलाकार और मिट्टी के बर्तन बनाने वाले थे, जिन्हें जयपुर की प्रतिष्ठित ब्लू पॉटरी की कला को पुनर्जीवित करने के लिए जाना जाता है। संविधान में चित्रों की प्रेरणा भारत के विशाल इतिहास, भौतिक परिदृश्य, पौराणिक चित्र और स्वतंत्रता संग्राम में निहित है। भारत के संविधान का भाग 13 ‘भारतीय क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य और उनके परस्पर संबंधों’ से संबंधित है। 

इस पृष्ठ पर दिया गया चित्रण महाबलिपुरम में स्मारकों के समूह का हिस्सा है जो यूनेस्को द्वारा अंकित विश्व धरोहर स्थल है। ‘गंगा का अवतरण’ एक बड़ी, खुली हवा में बनी चट्टान की नक्काशी वाली मूॢत है जो स्वर्ग से धरती पर गंगा नदी के उतरने की कथा को पत्थर में दर्शाती है। भाग 3 जो मौलिक अधिकारों से संबंधित है, उसमें रामायण का एक दृश्य दिखाया गया है। इस पृष्ठ के बॉर्डर पर जमुना सेन के हस्ताक्षर हैं। भाग 4 जो राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित है, उसमें महाभारत का एक दृश्य दिखाया गया है। 

संविधान का भाग 7 ‘पहली अनुसूची के भाग बी में शामिल राज्यों’ से संबंधित है। इस खंड की शुरूआत में दिए गए चित्रण में सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रसार को दर्शाया गया है। उन्हें हाथी पर सवार दिखाया गया है, जो सभी तरह के साज-सज्जा से सुसज्जित है और बौद्ध भिक्षुओं से घिरा हुआ है। यह चित्रण अजंता की शैली में है, जिसमें भिक्षुओं को शरीर के ऊपरी हिस्से को बिना वस्त्रों और आभूषणों के साथ दिखाया गया है। यह चित्रण नंदलाल बोस द्वारा किया गया था, जिनका काम अजंता भित्तिचित्रों में पाई जाने वाली कलात्मक परंपराओं से बहुत प्रभावित था। भारत का संविधान इस मायने में अनूठा है कि यह मूल रूप से एक हस्तलिखित दस्तावेज था। इसे अंग्रेजी में प्रेम बिहारी रायजादा और ङ्क्षहदी में वसंत के. वैद्य ने सुलेखित किया था। भारत का संविधान एक मौलिक कला ग्रंथ है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। -गजेंद्र सिंह शेखावत (केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री)


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