निजता पर भारी आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस

punjabkesari.in Sunday, Dec 03, 2023 - 05:39 AM (IST)

आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस (ए.आई.) जिसे कृत्रिम मेधा भी कहते हैं, को तकनीकी क्रांति की सर्वोत्तम उपलब्धि माना जा रहा है। इसके आगमन ने न केवल इंटरनैट यूजर्स का कार्य अत्यन्त सरल बना दिया है अपितु स्वास्थ्य, पत्रकारिता, फिल्म उद्योग, शिक्षा आदि विविध क्षेत्रों में भी यह बहुपयोगी सिद्ध हो रही है। बोलने में असमर्थ व्यक्ति के विचार डीपफेक के माध्यम से आवाज पा सकते हैं, इसे आधुनिक तकनीक का ही करिश्मा कहेंगे। शिक्षा क्षेत्र में जटिल समझे जाने वाले विषयों को रोचक स्वरूप प्रदान करना डीपफेक के लिए मानो बाएं हाथ का खेल है। विज्ञापन के क्षेत्र में तो इससे जुड़ी अपार संभावनाएं मौजूद हैं। 

जैसे कि हर तस्वीर के दो पहलू होते हैं, विकसित भविष्य के लिए वरदान बनता डीपफेक अपने नकारात्मक रूप में बहुरूपिया बनकर लोगों की निजता से खिलवाड़ कर रहा है। हाल ही में डीपफेक के शिकार बने कलाकार  चर्चा का केंद्र रहे। वैश्विक स्तर पर अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा मेटा के मुखिया मार्क जुकरबर्ग जैसी नामचीन हस्तियां  भी ए.आई.अय्यारी का निशाना बनने से नहीं बच पाईं। साधारण शब्दों में, डीपफेक ए.आई. की सहायता से तैयार किया गया कंटैंट है जिसमें ऑडियो-वीडियो दोनों ही शामिल होते हैं। तस्वीर अथवा वीडियो में मौजूद व्यक्ति के चेहरे पर अन्य चेहरा लगाकर, ए.आई. की मदद से उसके बॉडी मूवमैंट, हाव-भाव इस प्रकार बदल दिए जाते हैं कि देखने पर यह बिल्कुल असली लगती है। केवल सजग एवं प्रशिक्षित आंखें ही इसकी वास्तविकता भांप पाती हैं। एक तरह के डीपफेक कंटैंट में असली आवाज की कॉपी करके, अलग-अलग तरह के स्कैम अंजाम दिए जाते हैं। 

प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में प्रसारित होने वाले डीपफेक वीडियो न केवल व्यक्ति  विशेष की छवि धूमिल करने का पर्याय बनते हैं अपितु कंटेट के नाम पर अक्सर ऐसी सामग्री भी परोसते रहते हैं, जो समाज में अनैतिकता फैलाने अथवा धार्मिक-साम्प्रदायिक आग भड़काने का कार्य करे। दलगत भावनाओं के चलते राजनीतिक दुष्प्रचार करना आम बात है। सहज सॉफ्टवेयर उपलब्धता के कारण डीपफेक मोबाइल तक अपनी बढ़त बना चुका है। साइबर अपराधियों को पकडऩा कठिन है, इसी बात का वे अनुचित लाभ उठाते हैं। वर्ष 2022 में 66' साइबर सुरक्षा पेशेवरों ने डीपफेक हमलों का सामना किया, डीपफेक धोखाधड़ी से विश्व भर की कंपनियों को 4.8 डॉलर की क्षति उठानी पड़ी। शोधकत्र्ताओं के अनुसार, मौजूदा दशक के अंत तक 90' कंटैंट सिंथैटिक विधि से तैयार किए जा सकते हैं। मशीन लर्निंग एवं ए.आई. आगामी वर्षों में इतने परिपक्व होने की संभावना है कि फॉरैंसिक साइंस की मदद के बिना सच-झूठ को भेदना दुष्कर होगा। 

खास अथवा आम, किसी भी व्यक्ति की निजता से छेड़छाड़ कानूनन अवैध है। सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) नियम, 2021 के तहत, गलत सूचना प्रसारित होने से रोकना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का कानूनी दायित्व है। नियमानुसार, यूजर्स अथवा सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटे के भीतर संबंधित कंटैंट को हटाना अनिवार्य है। ऐसा न होने पर शिकायतकत्र्ता कंपनी के विरुद्ध कोर्ट में मुकद्दमा दर्ज करवा सकता है। यूनीक फीचर्स प्रयुक्त करके डीपफेक बनाना आई.टी. एक्ट की धारा 66-सी तथा ऑनलाइन चैटिंग में इसका प्रयोग करना धारा 66-डी के अंतर्गत आपराधिकश्रेणी में आते हैं। इलैक्ट्रानिक रिकार्ड की जालसाजी के अंतर्गत आने के कारण डीपफेक पर आई.पी.सी. की धारा 463 से 471 लागू की जा सकती है। 

फर्जी ऑडियो-वीडियो सोशल मीडिया पर अपना वर्चस्व बना पाने में कामयाब हो पाते हैं क्योंकि इन पर रोक लगाने संबंधी अभी तक न तो कोई संतोषप्रद कानून मौजूद है और न ही सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले कंटैंट की निगरानी एवं जांच के लिए कोई जवाबदेह नियामक संस्था ही। हाल ही में स्वयं प्रधानमंत्री महोदय द्वारा चिंता जताने के उपरांत जल्द ही मौजूदा कानून संशोधित होने अथवा कठोर कानून लागू होने की संभावनाएं बनी तो हैं। तकनीकी विकास का उद्देश्य हमेशा मानव जीवन को बेहतर बनाना ही रहा है। कृत्रिम मेधा प्रत्येक प्रकार से इस विकासक्रम में अद्भुत सिद्ध हो सकती है बशर्ते न तो वह मानवता पर हावी होने पाए और न ही किसी भी रूप में उसका दुरुपयोग संभव हो।-दीपिका अरोड़ा 
 


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