बिहार चुनाव में आरोप-प्रत्यारोपों की बाढ़ नेता तोड़ रहे मर्यादाओं की सीमाएं

Sunday, Sep 27, 2015 - 01:21 AM (IST)

बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखें निकट आने के साथ-साथ चुनावी गतिविधियों व टिकटों को लेकर घमासान एवं मारामारी तेज से तेजतर होती जा रही है। नेता एक-दूसरे के विरुद्ध बयानों के लगातार तीर छोड़ रहे हैं तथा अनेक नई किस्म की दिलचस्पियां सामने आ रही हैं, जिनमें से चंद निम्न में दर्ज हैं :

नेतागण अपने विरोधियों के विरुद्ध अजीबो-गरीब बयान दे रहे हैं। लालू यादव ने पिछले दिनों राजग पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘तेल की कीमतें नीचे आ रही हैं और दालों की कीमतें छत फाड़ कर ऊपर जा रही हैं तो क्या अब लोग दालों की बजाय तेल खाना शुरू कर दें?’’ 
 
एक अन्य मौके पर लालू प्रसाद यादव ने इन चुनावों को एक ओर देव सेना (राजद-जद (यू)-कांग्रेस महागठबंधन) तथा दूसरी ओर राक्षस सेना (भाजपा नीत राजग गठबंधन) के बीच मुकाबला करार दिया। 
 
लालू को नीतीश ने कुछ समय पूर्व ‘अजगर’ बताया था और अब लालू ने जाति आधारित आरक्षण के विरोधियों को ललकारते हुए कहा है कि ‘‘इन लोगों ने अजगर के बिल में हाथ डाल दिया है और इन्हें अब इसका नतीजा भी भुगतना पड़ेगा।’’
 
बक्सर से भाजपा सांसद अश्विनी चौबे ने सोनिया गांधी को ‘जहर की पुडिय़ा’ और ‘पूतना राक्षसी’ (जिसे भगवान श्री कृष्ण के वध के लिए कंस ने भेजा था) तथा राहुल गांधी को ‘विदेशी गर्भ से पैदा हुआ तोता’ कह कर मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ दीं और कहा कि ‘‘वह तो लिख कर दी हुई लाइनें ही पढ़ कर भाजपा की आलोचना करते हैं।’’
 
और हाल ही में अश्विनी चौबे ने लालू और नीतीश कुमार की कुख्यात अपराधियों ‘बिल्ला’ और ‘रंगा’ से तुलना कर दी जिन्हें 1978 में भाई-बहन संजय और गीता चोपड़ा की हत्या के आरोप में फांसी की सजा दी गई थी। 
 
जन-अधिकार पार्टी के नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का आरोप है कि लालू और उनके दोनों बेटे चुनाव लडऩे के इच्छुकों से जब्री वसूली कर रहे हैं। राजद विधायक राघवेंद्र प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव पर हर जगह डम्मी उम्मीदवार खड़़े करने का आरोप लगाया है जिससे राजग को लाभ हो सके।
 
कुछ पाॢटयों व नेतागणों ने एक-दूसरे के विरुद्ध बयानों के तीर छोडऩे के अलावा बाहुबलियों को टिकट देने में भी कोई संकोच नहीं किया। लोजपा ने पूर्व पाॢलयामैंटेरियन सूरज भान सिंह, उसके जीजा और पत्नी वीणा देवी के नजदीकी रिश्तेदार को टिकट दिए हैं। ‘डॉन’ के नाम से मशहूर सूरज भान के विरुद्ध हत्या, अपहरण व जब्री वसूली के दो दर्जन से अधिक केस चल रहे हैं। 
 
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की जन-अधिकार पार्टी दूसरे दलों से निष्कासित चुनाव लडऩे के इच्छुकों की शरणस्थली बन गई है और वह दूसरे दलों से निष्कासितों को जहां से भी वे लडऩा चाहें, अपनी पार्टी का टिकट दे रहा है।
 
चुनावों के इस मौसम में लालू को फिल्मी गाने बहुत याद आ रहे हैं। पिछले दिनों एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा वादा है कि महागठबंधन के जीतने की स्थिति में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे।’’ और इसके बाद गाने लगे, ‘‘जब प्यार किया तो डरना क्या।’’ 
 
लेकिन लालू के इस सपने को भंग करने के लिए मुलायम सिंह ने भी कमर कस ली है और लालू के साथ अपनी रिश्तेदारी को ताक पर रख कर बिहार में अपनी पार्टी का कोई वजूद न होने के बावजूद लालू के ‘महागठबंधन’ को चुनौती देने के लिए 6 दलों का ‘सोशलिस्ट सैकुलर फ्रंट’ बना लिया है।
 
इसमें सपा के अलावा जन-अधिकार पार्टी, राकांपा, समरस समाज पार्टी, नैशनल पीपुल्स पार्टी तथा समाजवादी जनता दल शामिल हैं। इन सभी दलों के नेता किसी न किसी मुद्दे को लेकर महागठबंधन के नेताओं से नाराज हैं।
 
बेशक नवीनतम सर्वे में भाजपा नीत राजग के पक्ष में कुछ वातावरण बताया जा रहा है परंतु कुल मिलाकर फिलहाल यही कहा जा सकता है कि बिहार के सिंहासन पर कब्जा करना किसी भी गठबंधन के लिए फूलों की सेज साबित होने वाला नहीं है। चुनावों की इस प्रतिष्ठïा की लड़ाई में सारे आदर्श और सारे सिद्धांत भुला दिए गए हैं । 
 
पहले अवश्य ही ‘राजग’ तथा ‘महागठबंधन’ के बीच मुकाबला होता दिखाई दे रहा था परंतु अब इसमें वामदलों के मोर्चे के अलावा मुलायम सिंह नीत मोर्चे के भी कूद पडऩे से ये चुनाव पहले से अधिक कठिन होते जा रहे हैं और इनमें नई बातें जुडऩे का इन चुनावों पर असर पड़ सकता है।  
 
Advertising