आतंकवाद के विरुद्ध उठ रहीं ‘चंद सही आवाजें’

Wednesday, Jul 29, 2015 - 12:34 AM (IST)

धर्म गुरुओं और धर्म प्रचारकों का समाज में विशेष स्थान है और लोग उनकी बात सुनते हैं। इसी कारण समय-समय पर मुसलमान मुफ्ती (धर्म प्रचारक) भी अपने समाज के लिए उन मुद्दों पर फतवे जारी करते रहते हैं जिन्हें वे समूह समाज और देश के हित में उचित मानते हैं।

इस समय विश्व भर में आतंकवाद ने कहर मचा रखा है और विश्व के अनेक मुस्लिम देशों में ‘आई.एस.आई.एस.’ (इस्लामिक स्टेट्स ऑफ ईराक एंड सीरिया) जैसे संगठनों द्वारा अपने ही भाई-बंधुओं का खून बेरहमीपूर्वक बहाया जा रहा है। 
 
एक ओर मिस्र, यमन, सऊदी अरब, कुवैत, लीबिया, ट्यूनीशिया और अफगानिस्तान आदि देश ‘आई.एस.आई.एस.’ के आतंकवादियों की हिंसा से लहूलुहान हो रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तानी गुप्तचर एजैंसी ‘आई.एस.आई.’ का समर्थन प्राप्त आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तोयबा’,‘तालिबान’, ‘हिज्बुल मुजाहिदीन’ आदि द्वारा भारत के साथ-साथ पाक व अफगानिस्तान में भी किए जा रहे रक्तपात के विरुद्ध मुस्लिम समाज में आवाजें उठने लगी हैं।
 
इसे रोकने की दिशा में एक पग उठाते हुए अपने फतवों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्थित ‘दरगाह आला हजरत’ की शाखा ‘तहरीक-ए-तहफ्फुज सुन्नियात’ ने आतंकवादियों या आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वालों के विरुद्ध ईद के अवसर पर फतवा जारी किया है। 
 
संगठन के महासचिव ‘मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी’ के अनुसार ‘सुन्नी बरेलवी मरकज’ के मुफ्तियों ने आतंकियों और दहशतगर्दों की सहायता करने वाले की मौत पर ‘नमाज-ए-जनाजा’ नहीं पढ़ाने का ऐलान किया है।
 
उन्होंने मुसलमानों से उन लोगों का बहिष्कार करने की भी अपील की जो किसी न किसी रूप में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। उनके अनुसार ऐसा करके वे आतंकवाद के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करना चाहते हैं। मुफ्तियों ने कहा, ‘‘यह ऐलान किया जाता है कि अब से कोई मौलाना, मुफ्ती या कोई मजहबी नेता किसी ऐसे शख्स के जनाजे में नमाज नहीं पढ़ेगा, जिसका टैररिज्म या टैररिस्टों में कोई संबंध है।’’ 
 
इसी भांति ही लंदन स्थित ‘वल्र्ड एहलुल बायत इस्लामिक लीग’ के प्रमुख एवं वरिष्ठ शिया विद्वान ‘अल्लामा सईद मोहम्मद मुसावी’ ने भी आतंकवादी हिंसा और आतंकवादियों के विरुद्ध विश्व भर में जेहाद छेड़ रखा है। 
 
हालांकि ‘अल्लामा मुसावी’ का मुख्यालय लंदन में है लेकिन वह अधिकांश समय आतंकवाद के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व भर में घूमते रहते हैं। इसी सिलसिले में वह मुम्बई भी आए हुए थे।
 
‘अल्लामा मुसावी’ का कहना है कि ‘‘जेहाद का अर्थ बुराई के विरुद्ध संघर्ष करना होता है। इस लिहाज से आप कह सकते हैं कि मैंने इस्लाम के नाम का दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध जेहाद छेड़ रखा है।’’ 
 
‘‘निर्दोष और निरीह लोगों की हत्या करने वाले तथाकथित जेहादी पथभ्रष्ट अपराधी हैं चाहे वे ‘आई.एस.आई.एस.’ से जुड़े हों या किसी अन्य आतंकवादी संगठन से। इन लोगों को जेहादी बता कर मीडिया इस्लाम के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहा है।’’
 
‘अल्लामा मुसावी’ ने हाल ही में ताजिकिस्तान में संयुक्त राष्ट महासचिव ‘बान-की-मून’ से भी भेंट की थी और आतंकवादी संगठनों को  आर्थिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक एवं किसी भी अन्य प्रकार की सहायता देने वालों को संयुक्त राष्ट द्वारा अपराधी घोषित करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि ‘‘ऐसे संगठनों को आर्थिक सहायता देने वाले देशों का नाम भी उजागर करना चाहिए।’’
 
‘अल्लामा मुसावी’ का यह भी कहना था कि यदि आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक सहायता और हथियारों की आपूर्ति के स्रोत काट दिए जाएं तो आतंकवाद अपनी मौत आप ही मर जाएगा।
 
जहां बरेली के मुफ्तियों ने आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने वालों का बहिष्कार करने की घोषणा की है वहीं शिया विद्वान ‘अल्लामा मुसावी’ द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध जेहाद छेडऩा संकेत है कि लोग अब आतंकवादियों और आतंकवाद से किस कदर तंग आते जा रहे हैं। विश्व में शांति लाने के उद्देश्य से आतंकवाद के विरुद्ध यह एक अच्छा पग है। इसी तरह अन्य आगुओं को भी इस तरह के निर्देश देने चाहिएं।  
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