मैं खुद बलात्कार की शिकार हूं : उडविन

punjabkesari.in Friday, Mar 06, 2015 - 01:20 AM (IST)

(अवंतिका मेहता) बी.बी.सी. के लिए लेसली उडविन द्वारा बनाई गई दस्तावेजी फिल्म ‘इंडिया’ज़ डॉटर’ ने देशवासियों की आंखों को नम कर दिया है। इस फिल्म के बनने का समाचार जैसे ही सामने आया, इसमें आरोपी के बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि फिल्म का प्रसारण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, मगर इसके बावजूद बी.बी.सी. ने देश के बाहर इस फिल्म का प्रसारण कर दिया।

अवार्ड विजेता ब्रिटिश फिल्म मेकर लेसली उडविन इस फिल्म को बनाकर विवादों के घेरे में है, जिसमें उस बस के आरोपी ड्राइवर से किया गया साक्षात्कार शामिल है, जिसमें 16 दिसम्बर को भयावह सामूहिक बलात्कार हुआ था। गत दिवस एक इंटरव्यू में उडविन ने दस्तावेजी फिल्म बनाने के कारणों तथा यौन हिंसा के अनुभवों बारे अपने विचार सांझा किए।

यह पूछने पर कि अपनी दस्तावेजी फिल्म के लिए उन्होंने 16 दिसम्बर की ही घटना को क्यों चुना, उडविन ने कहा कि इस घटना ने उन्हें प्रेरित नहीं किया था। यदि ऐसी घटना कहीं और भी होती व लोगों को महिला अधिकारों के लिए लड़ाई हेतु अत्यंत शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों में लडऩा पड़ता तो वह वहां भी जातीं।

साक्षात्कार में बलात्कारियों की मानसिकता को पेश किया गया है। इसमें बताया गया है कि रेप निजी समस्या से अधिक कैसे है। यदि आप बलात्कारी की मानसिकता को नहीं समझेंगे तो आप कैसे इस समस्या का समाधान करेंगे?

यह पूछने पर कि बचाव पक्ष के वकीलों का साक्षात्कार करने से क्या मिला, लेसली उडविन ने कहा कि वह उन सभी किरदारों को दिखाना चाहती थीं जिन्होंने इस मामले में सीधी भूमिका निभाई। वकील समाज के पहलुओं बारे बात करते हैं, वे महिला की एक विशेष तरीके से बात करते हैं। वे केवल यह नहीं कहते कि वह एक विशेष समय पर सड़कों पर थी, वे कहते हैं कि वह ‘कुछ चाहती’ थी। वे कहते हैं कि महिला एक फूल है, पुरुष एक कांटा है। एक महिला को सुरक्षा की जरूरत है, मुझे यह बताने वाले आप कौन होते हैं?

यह पूछने पर कि उन वकीलों के साथ क्या होना चाहिए, उडविन ने कहा कि जिन वकीलों ने दस्तावेजी फिल्म में महिलाओं के खिलाफ नफरतपूर्ण टिप्पणियां की हैं, उन्हें तुरन्त बर्खास्त कर देना चाहिए।

यह पूछने पर कि भारत के पुरुष अन्य देशों के पुरुषों से अलग कैसे हैं, उन्होंने कहा कि वह जहां भी गईं, पुरुष उन्हें घूर-घूर कर देखते थे। कई बार तो यह इतना खराब होता था कि उन्हें रुक कर पुरुषों को घूरना पड़ता था। इससे उन्हें वास्तव में गुस्सा आता था। उन्हें महिलाओं को इस तरह घूरने की आज्ञा नहीं, जैसे कि वे कोई वस्तु हों। उडविन ने बताया कि वह खुद बलात्कार की शिकार हैं और जानती हैं कि पुरुषों द्वारा एक वस्तु की तरह घूरे जाना बहुत डरावना होता है।

तो क्या आप दिल्ली में असुरक्षित महसूस करती हैं, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह असुरक्षित महसूस करती हैं। सुरक्षित घर लौटना बहुत बड़ी राहत है।

लेसली उडविन ने बताया कि उन्होंने दस्तावेजी फिल्म के लिए 28 लोगों का साक्षात्कार किया, जिनमें शीला दीक्षित शामिल हैं। उन्होंने 7 सजायाफ्ता बलात्कारियों के विचार जाने और 5 को फिल्माया। उडविन ने कहा कि फिल्म में आप दोनों पक्षों के विचार देखेंगे। इसमें आपको मृत्युदंड के पक्ष में तथा खिलाफ लोग दिखेंगे।

दस्तावेजी फिल्म का नाम ‘इंडिया’ज़ डॉटर’ रखने बारे उडविन ने कहा कि मीडिया ने उसे ‘भारत की बेटी’ कहा था और हमें भारत में उसका नाम उजागर करने की इजाजत नहीं।

गृह मंत्री की टिप्पणी तथा पुलिस कार्रवाई को लेकर उन्होंने कहा कि यह उनके कार्य को रोकने तथा पटरी से उतारने का प्रयास है। यह दुखद है, मगर हैरानीजनक नहीं। यह एक बीमार समाज है। पुरुष अपनी यथास्थिति व अपनी ताकत बनाए रखना चाहते हैं।

क्या आप मानती हैं कि फिल्म में उस घटना के बाद देश में उठे जोश को कमतर करके दिखाया गया है, यह पूछने पर उडविन ने कहा कि नहीं। यह एक वैश्विक समस्या है क्योंकि प्रत्येक समाज बीमार है। यह केवल यहां नहीं, बल्कि सारे विश्व में एक प्रमुख समस्या है।
(हि.टा.)


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