इंगलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए आ गए ‘अच्छे दिन’

Saturday, Feb 21, 2015 - 03:28 AM (IST)

(कृष्ण भाटिया) चुनाव अभियान के दौरान नरेन्द्र मोदी द्वारा कहे गए  वचन ‘‘अच्छे दिन आने वाले हैं’’ ब्रिटिश नेताओं और समाचारपत्रों को शायद बहुत अच्छे लगे हैं। इसीलिए इस उक्ति का आजकल यहां खूब प्रयोग हो रहा है क्योंकि ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। नेता प्रसन्न हैं, उनके भाषणों में और समाचार शीर्षकों में इसकी चर्चा है।

वर्षों बाद ब्रिटेन की आर्थिक दशा में भारी सुधार हुआ है, प्राय: हर क्षेत्र में। लोगों की आमदन बढ़ रही है, बेरोजगारी कम हो रही है, मुद्रास्फीति शून्य को छूने वाली है, ब्याज दर न के बराबर है। बैंक ऑफ इंगलैंड बड़े फख्र से आश्वासन दिला रहा है कि इस वर्ष परिवार इतने अमीर हो जाएंगे जितने पिछले 10 वर्षों में नहीं हो सके क्योंकि : उनकी खर्च करने की शक्ति बढऩे वाली है। तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से उनके पास खर्च करने के लिए अधिक धनराशि होगी, वेतन 3.5 प्रतिशत बढऩे की आशा है, बैंक ब्याज दर जो इस समय 0.5 प्रतिशत है, संभवत: और भी कम हो जाएगी। अगले 2 वर्षों में आॢथक उन्नति की गति और भी तेज हो जाएगी  लेकिन इन सब बातों से यह शंका पैदा हो रही है कि कहीं अपस्फीति (डीफ्लेशन) न शुरू हो जाए।

दूध सस्ता, पानी महंगा
आर्थिक स्थिति में सुधार से खाद्य  पदार्थों की कीमतों में कमी आ गई है। बड़े-बड़े सुपरस्टोरों की आपस में खूब जंग चल रही है और उनमें से कोई न कोई आए दिन खान-पान की सामग्री की कीमतों में कटौती की घोषणा कर रहा है। एक बड़े सुपरस्टोर ‘मोर्रिसन’ ने बुनियादी आवश्यकता वाले कम से कम 131 पदार्थों की कीमतों में 22 प्रतिशत कमी की है। इनमें दूध और ब्रैड भी शामिल हैं।

इस वक्त दूध सस्ता और पानी महंगा है। एक और बड़े सुपरस्टोर ‘टैस्को’ ने पिछले सप्ताह दूध की 2 लीटर की बोतल की कीमत 13 रुपए से कम करके 100 रुपए कर दी तो मार्कीट में खलबली मच गई। बाकी बड़े स्टोरों ने 2 लीटर दूध के भाव 8 रुपए कर दिए। मिनरल वाटर की 2 लीटर की बोतल 110 रुपए में बिक रही है। चूंकि दूध एक आवश्यक उपभोक्ता पेय है जिसे प्राय: हर कोई खरीदता है, सुपरस्टोर इसे सस्ता बेच कर ग्राहकों को आकर्षित करने की जंग में उलझे हुए हैं, लेकिन सुपरस्टोरों के इस ‘दूध युद्ध’ में मारे जा रहे हैं डेरी फार्मों वाले। उन्हें दूध की कीमत कम मिल रही है और वे अपने फार्म बंद कर रहे हैं।

फिर से विश्व का सबसे ज्यादा धनवान देश
इस वक्त बाकी सारे यूरोप के मुकाबले में ब्रिटेन की आर्थिक प्रगति ज्यादा तेजी से हो रही है। स्टॄलग पौंड और शेयरों के भाव बढ़ रहे हैं। यूरोप के बाकी देश इस मामले में पीछे हैं। उन देशों की प्रगति में कहीं अवरोध  न आ जाए इसलिए यूरोपियन सैंट्रल बैंक ने उन्हें 1 ट्रिलियन यूरोपियन डॉलर देने का निश्चय किया है जिसका सीधा फायदा ब्रिटेन को पहुंचेगा। खाद्य और उपभोक्ता सामग्री के मामले में ब्रिटेन बाकी यूरोपियन देशों के मुकाबले में सस्ता है। प्राप्त होने वाली नई धनराशि से यूरोपियन देशों को यहां से माल खरीदना सस्ता पड़ेगा।

न केवल ब्रिटेन के इर्द-गिर्द निकटवर्ती यूरोपियन देश बल्कि कई अन्य देशों को भी इस वक्त ब्रिटेन से माल निर्यात करना सस्ता पड़ रहा है। लगभग 150 देश इस वक्त 19 खरब रुपए की मालियत का सामान ब्रिटेन से खरीद रहे हैं जिसमें खाद्य  पदार्थ और ड्रिक्स शामिल हैं। उलटे बांस बरेली को, बड़ी  पुरानी भारतीय कहावत है लेकिन यह आजकल ब्रिटेन पर लागू हो रही है।

जिन खाद्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए कई अन्य देश मशहूर थे उन देशों को वे पदार्थ अब ब्रिटेन निर्यात कर रहा है। जैसे फ्र्रांस कभी कितने ही प्रकार के स्वादिष्ट चीका (पनीर) बनाने के लिए प्रसिद्ध था, अब वह हर साल 25000 टन से भी ज्यादा पनीर इंगलैंड से मंगवा रहा है। वाइन उत्पादक इटली, आस्ट्रेलिया, साऊथ अफ्रीका, फ्रांस जैसे देशों को ब्रिटेन की वाइन का निर्यात 11 प्रतिशत बढ़कर 48 मिलियन पौंड को छू गया है। ब्रिटिश बियर, बिस्किट भी विदेशों में पहले से अधिक बिक रहे हैं।

वित्त मंत्री जार्ज ऑस्बॉर्न देश की आर्थिक प्रगति से इतने प्रसन्न हैं कि उन्होंने विश्वास प्रकट किया है कि ब्रिटेन 2030 तक फिर से विश्व का सबसे ज्यादा धनवान देश बन सकता है।

Advertising