अमित शाह की फारूक अब्दुल्ला को खरी-खरी

punjabkesari.in Saturday, Oct 08, 2022 - 01:30 PM (IST)

जहां एक ओर गृहमंत्री अमित शाह ने बारामूला में हजारों कश्मीरियों को साक्षात संबोधित किया और अपने भाषण में मोदी सरकार के  आंकड़ों का अंबार लगाकर मोदी-शासन की सफलता का बखान किया, वहीं उन्होंने फारूक अब्दुल्ला, मुफ्ती मोहम्मद सईद और नेहरू-परिवार के शासन की काफी आलोचना की और उन्हें खरी-खरी सुनाई। यह बात तीनों परिवारों को काफी चुभ रही है। नैशनल कांफ्रैंस के नेता डा. फारूक अब्दुल्ला ने तो तुरंत उसका जवाब देने की कोशिश की।  शायद गुलाम नबी आजाद भी कुछ बोल पड़ें  तो आश्चर्य नहीं होगा। अब्दुल्ला ने शाह की तरह न तो कोई आरोप लगाया है और न ही केंद्र की भाजपा सरकार पर कोई आक्रमण किया है। 

उन्होंने तो अपने बयान में सिर्फ यह बताया है कि उनकी पार्टी नैशनल कांफ्रैंस ने श्रीनगर में कुल 26 साल राज किया है और उन वर्षों में उन्होंने कश्मीर का काया-कल्प कर दिया है।  फारूक अब्दुल्ला ने जो तथ्य और आंकड़े पेश किए हैं, उनकी प्रामाणिकता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन यह भी तथ्य है कि कश्मीर को केंद्र सरकारों ने जितनी मदद दी है उसमें से काफी पैसा कश्मीरी नेताओं और वहां के अफसरों की जेब में निरंतर जाता रहा है। कश्मीरी अलगाववादी नेताओं पर भ्रष्टाचार के मुकद्दमे चल रहे हैं। लेकिन अमित शाह यदि अपने विरोधियों पर जमकर नहीं बरसेंगे तो वह किसी पार्टी के नेता कैसे माने जाएंगे? 

यदि अमित शाह उनकी भत्र्सना करते-करते यह भी, चाहे दबी जुबान से ही, कह देते कि कश्मीर-जैसी बीहड़ जगह में इन पार्टियों के शासनकाल में आतंकवाद के पनपने के साथ-साथ पत्थरबाजी भी चरम सीमा पर थी तो अब जो दंगल शुरू हो रहा है, वह नहीं होता।  मैं तो यहां तक कहता हूं कि कश्मीर की सभी पाॢटयों और अलगाववादियों से भी भारत सरकार सीधी बात क्यों नहीं चलाए? अमित शाह ने यों भी उन्हें आश्वस्त किया है कि वह जम्मू-कश्मीर में शीघ्र चुनाव करवाना चाहते हैं। वह यह भी न भूलें कि धारा 370 हटाते वक्त शाह ने संसद को आश्वस्त किया था कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा को फिर से शीघ्र ही चालू किया जाएगा। 

 

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