‘अमर शहीद लाला जगत नारायण जी’ ने 12 दिनों में निभा दिया वादा

punjabkesari.in Saturday, Sep 09, 2023 - 04:44 AM (IST)

पंजाब  के रोपड़ जिले के ‘सोहाना’ गांव के आसपास के इलाके के लोग आज भी स्वयं को अमर शहीद लाला जगत नारायण जी का ऋणी अनुभव करते हैं, जिनकी लाला जी के साथ एक अमिट याद जुड़ी हुई है। 
किस्सा अविभाजित पंजाब का है। उस समय लाला जी पंजाब के शिक्षा एवं परिवहन मंत्री और नारायणगढ़ से विधायक थे। इस इलाके के 4 गांव सोहाना, कुम्बड़ा, मौली बेदवान तथा मटौर पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से 10 किलोमीटर की दूरी पर हैं। तहसील खरड़ भी लगभग 10 किलोमीटर दूर है। 

यह इलाका उन दिनों जिला अम्बाला के अंतर्गत था। आवागमन के लिए अम्बाला, चंडीगढ़, बनूड़ व खरड़ के लिए बस सॢवस कतई नहीं थी। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लोग पैदल ही खरड़ जाया करते थे। कभी-कभी सरकारी कामों के लिए लोगों को जिला मुख्यालय अम्बाला भी जाना पड़ता था और आवागमन के साधन न होने के कारण वहां जाना एक लम्बी विदेश यात्रा से कम नहीं था। यह 45-50 किलोमीटर का सफर लोग पैदल या साइकिल से ही करते थे। आसपास के लोग इन 4 गांवों में अपनी बहन-बेटियों का रिश्ता करना पसंद नहीं करते थे क्योंकि वहां आना-जाना कठिन था।

उन्हीं दिनों लाला जगत नारायण जी सोहाना में किसी समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर शामिल हुए। इलाके की पंचायतों व जनप्रतिनिधियों ने लाला जी को आवागमन की समस्या बता कर अम्बाला के लिए बस सेवा आरंभ करने की विनती की। लाला जी ने उत्तर दिया, ‘‘जो मुझसे बन पड़ेगा, मैं अवश्य करूंगा।’’ लोग आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि 12 दिनों के भीतर ही अम्बाला से सोहाना वाया बनूड़ (दो समय) बस सेवा शुरू हो गई। यह घटना लाला जी की कार्यशैली का ज्वलंत उदाहरण है कि वे लोगों की कठिनाइयां कैसे दूर करते थे। 

1966 में पंजाब विभाजन हुआ और यह इलाका जिला रोपड़ के अधीन आ गया। सोहाना-खरड़ के मध्य नदी पर पुल बन जाने के कारण यह बस सेवा अम्बाला से तहसील खरड़ वाया बनूड़ कर दी गई और यह रूट हरियाणा रोजवेज को अलॉट हुआ। आज लगभग 70 वर्ष के बाद भी यह बस सेवा बरकरार है और लोग इसे ‘लाला जी  वाली’ बस पुकारते हैं। आज यह इलाका पंजाब के सबसे विकसित इलाकों में से एक है- मोहाली का अंतर्राज्यीय बस स्टैंड बन गया है, एयरपोर्ट बन जाने से देश-विदेश जाने के लिए हवाई उड़ानें उपलब्ध हैं लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मोहाली इलाके के परिवहन क्षेत्र की गगनचुम्बी इमारत (जिससे लाखों-हजारों वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं) की पहली ईंट लाला जगत नारायण जी ने रखी थी।-प्रभदयाल चोपड़ा


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