चीन की लगभग सारी प्रांतीय सरकारें कंगाल
punjabkesari.in Thursday, Nov 30, 2023 - 06:02 AM (IST)

चीन को अमरीकी प्रतिबंधों के चलते बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है, उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है सारे विदेशी निवेशक चीन छोड़कर बाहर जा रहे हैं जिससे चीन में भारी बेरोजगारी फैल गई है, इस समय चीन के राजकोष में इतने भी पैसे नहीं रह गए हैं कि वह अपने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन दे सके। चीन की लगभग सारी प्रांतीय सरकारें कंगाल हो चुकी हैं और केन्द्रीय सरकार ने उन्हें अपने आॢथक मामले खुद निपटाने को कहा है और केन्द्र उन्हें एक भी पैसा नहीं दे रहा है।
ऐसी हालत में शी जिनपिंग को अमरीका के आगे घुटने टेकने पड़े हैं, इसलिए शी जिनपिंग अमरीका यात्रा पर थे जहां उन्हें उम्मीद थी कि वह अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलकर चीन के सारे मसले सुलझा लेंगे। लेकिन सिर मुंडाते ही ओले पड़े वाली तर्ज पर शी जिनपिंग के अमरीका पहुंचने के दौरान उनकी यात्रा का विरोध वहां पर रहने वाले चीनियों ने करना शुरू कर दिया।
दरअसल अमरीका में बहुत सारे चीनी अपने बेहतर भविष्य के लिए गए थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीनियों ने चीन कम्युनिस्ट पार्टी की गलत नीतियों के कारण छोड़ा, ये लोग मजबूरी में चीन से अमरीका आए थे। कोरोना महामारी के समय भी जिस चीनी को मौका मिला वह अमरीका पहुंच गया। शी जिनपिंग सैन फ्रांसिस्को एशिया प्रशांत आर्थिक मंच में भाग लेने के लिए 14 नवंबर को पहुंचे थे लेकिन यहां पर ढेरों मानवाधिकार कार्यकत्र्ताओं के साथ शिनच्यांग वेवूर स्वायत्त क्षेत्र के उईगरों को आजाद करो, तिब्बत स्वायत्त प्रांत, हांगकांग, मकाऊ को सी.पी.सी. से आजाद कराने के नारों के बीच शी का स्वागत हुआ।
शी जिनपिंग के खिलाफ इन आंदोलनों में हालांकि प्रवासी चीनियों की भरमार थी लेकिन इसमें कुछ गैर-चीनी अमरीकियों ने भी हिस्सा लिया था और उन सबका यही नारा था कि चीन से सी.पी.सी. को खत्म करो और तिब्बत, शिनच्यांग, हांगकांग, मकाऊ को आज़ाद कराओ। इन आंदोलनकारियों में वर्ष 1989 में तिनानमिन चौराहे पर सी.पी.सी. द्वारा हुए जनसंहार के कृत्यों की भी आलोचना की जा रही थी। अमरीका में रहने वाले चीनियों के साथ स्थानीय लोग भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कारनामों से परिचित हैं और जो लोग चीन से अमरीका आकर बसे हैं ये लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी कैसे चीनियों पर लगाम लगाकर रखती है। सी.पी.सी. ने चीन के अलग-अलग जातीय समूहों पर इतने ज्यादा अत्याचार किए हैं कि जिसे भी अवसर मिला वह चीन से बाहर भाग निकला।