बंगाल में हिंसा के लिए भाजपा-तृणमूल में आरोप-प्रत्यारोप

Saturday, May 18, 2019 - 01:53 AM (IST)

मंगलवार को कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सुसज्जित ट्रक के पीछे चल रहे भाजपा समर्थक विद्यासागर कालेज में घुस गए और ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी जो 20 वर्षों से वहां पर स्थापित थी। 

यह मूर्ति कालेज के मुख्य कार्यालय में शीशे के कैबिन के अंदर थी। इस हमले के कुछ समय बाद सायं करीब 7 बजे प्रिंसीपल गौतम कुंडु ने बताया कि कैसे एक समूह ने गेट को तोड़ दिया और कार्यालय में घुस आए तथा शीशे के कैबिन तक पहुंच गए। कालेज के तृतीय वर्ष के छात्र कुणाल डे ने बताया कि हमलावरों ने अपने चेहरे गमछों और रूमालों से ढंके हुए थे ताकि उन्हें पहचाना न जा सके। ग्राऊंड फ्लोर पर पहुंच कर उन्होंने शीशे के बक्से को तोड़ दिया। उन्होंने बिजली की तारों को भी तोड़ दिया ताकि वे अंधेरे में तोड़-फोड़ कर सकें। 

सिटी कालेज में ज्योलॉजी पढ़ाने वाले देबाशीष करमाकर ने कहा कि भाजपा समर्थकों ने उनका लैपटॉप तोड़ दिया जो मूर्ति के पास एक मेज पर रखा हुआ था। करमाकर विद्यासागर कालेज में कलकत्ता यूनिवर्सिटी की ओर से नामित हैं। अपनी आंखों के सामने हुई इस घटना को देख कर करमाकर सदमे में हैं। उन्होंने अपनी पत्नी सहित कालेज परिसर के एक कोने में शरण ली। मैंने अपना लैपटॉप बैग में डाल कर विद्यासागर की मूर्ति के पास रख दिया था। जब मैं वापस लौटा तो मेरा लैपटॉप टूटा हुआ था। इसमें दोनों कालेजों के कई जरूरी दस्तावेज थे। इसके अलावा चुनाव से जुड़े हुए दस्तावेज भी बैग में थे। 

करमाकर ने बताया, ‘‘मैंने भगवा पगड़ी पहने एक युवक को जमीन पर कुछ फैंकते हुए देखा।’’ हमले के समय प्रिंसिपल कुंडु बिधान सरानी (कोलकाता से उत्तर दक्षिण का एक प्रमुख स्थल) से कुछ दूर थे। उन्होंने बताया,‘‘जब मैं वापस लौटा तो कार्यालय पहचाना नहीं जा रहा था। सब जगह शीशे के टुकड़े बिखरे हुए थे और हमारे आदर्श विद्यासागर की मूर्ति गायब थी।’’ कालेज के एक अध्यापक ने बताया कि जब हमला हुआ उस समय भी  कुछ कक्षाओं में पढ़ाई चल रही थी। हमले के समय तीन महिला शिक्षक अपनी कक्षाओं के अंदर डरी हुई खड़ी थीं। 

कालेज की वैबसाइट में लिखा है, ‘‘पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के उत्साह, प्रेरणा और बलिदान को देखते हुए कालेज को 1879 में स्नातक तक की शिक्षा देने के लिए तथा 1882 में बी.एल. कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी की संबद्धता मिली।’’ 29 जुलाई 1891 में कालेज के संस्थापक की मृत्यु के बाद 1917 में  इसका नाम विद्यासागर कालेज रख दिया गया। कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने उनके दुपट्टे खींचे और उन्हें छूने की कोशिश की। तृतीय वर्ष की छात्रा स्वर्णाली मित्रा ने कहा, ‘‘हम मेन गेट के भीतर खड़े थे। युवाओं ने लोहे का गेट लांघना शुरू किया। एक युवक ने मेरा स्कार्फ खींचा। सभी युवक भाजपा के समर्थन में नारे लगा रहे थे और उन्होंने विद्यासागर की मूर्ति को तोड़ दिया।’’ हमले में कालेज यूनियन के महासचिव मनीरुल मंडल भी घायल हो गए। 

हमले की जानकारी मिलने पर रात 9.30 बजे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कालेज पहुंचीं। मुख्यमंत्री ने मूर्ति के टुकड़ों को उठाकर शीशे के  टूटे हुए कैबिन के भीतर रखा। 9.45 बजे सी.एम. ने बिधान सरानी पर खड़े होकर पत्रकारों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने बाहरी गुंडों की सहायता से कलकत्ता यूनिवर्सिटी पर हमला किया है। क्या अमित शाह को उन दिग्गजों के बारे में पता है जिन्होंने इस कालेज में शिक्षा ग्रहण की है? जब हम विद्यासागर का दूसरा शताब्दी समारोह मना रहे हैं, ऐसे समय में उन्होंने हमारे आदर्श की मूर्ति तोड़ दी है।’’ बाद में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने रात में कालेज स्टाफ के साथ बैठक की। 

उधर भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘‘कालेज के कुछ युवकों ने बिना उकसावे के हमारी रैली पर हमला किया। मूर्ति को यूनियन के कमरे में रखा गया था और इसे तृणमूल ने तोड़कर कार्यालय के सामने रख दिया ताकि हम पर आरोप लगाया जा सके। हम न्यायिक जांच की मांग करते हैं।’’-एस. चौधरी, एस. चक्रवर्ती

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