भारत की सभी सरकारें और जनता हिम्मत न हारे

Monday, Apr 26, 2021 - 12:50 AM (IST)

भारत में फैले कोरोना की प्रतिध्वनि सारी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। जो अमरीका कल-परसों तक भारत को वैक्सीन या उसका कच्चा माल देने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, आज उसका रवैया थोड़ा नरम पड़ा है। अमरीका के कई सीनेटरों और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बाइडेन प्रशासन से खुलेआम अनुरोध किया है कि वह भारत को तुरंत सहायता पहुंचाए। इस समय अमरीका के पास 30 करोड़ टीके तैयार पड़े हुए हैं लेकिन वह ट्रम्प के घिसे-पिटे नारे ‘अमरीका पहले’ से चिपका पड़ा है। कई भारतीय मूल के लोगों के अमरीकी संसद में होते हुए अमरीका उदासीन रहे यह संभव नहीं है। 

भारत में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों और उनके दृश्यों ने सारी दुनिया का दिल दहला रखा है। जो लोग भारत के प्रति दुश्मनी या ईष्र्या का भाव रखते हैं, उनके दिल भी पिघल रहे हैं। मुझे पाकिस्तान और चीन से कई नेताओं, विद्वानों और पत्रकारों के फोन आ रहे हैं। जो लोग बहस के दौरान मुझसे भिड़ पड़ते थे, वे भी ङ्क्षचता और सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं। वे भारत का हाल जानने के लिए उत्सुक हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, आसिफ जरदारी और मियां नवाज शरीफ की बेटी मरियम के संदेश पढ़कर ऐसा लगा कि चाहे भारत और पाक एक-दूसरे से युद्ध लड़ते रहते हैं लेकिन ये दोनों देश मूलत: हैं तो एक ही बड़े परिवार के सदस्य।

चीनी सरकार ने दोबारा दवा भिजवाने का प्रस्ताव किया है। चीन और पाकिस्तान के इन बयानों को हमारे कुछ लोग इन देशों की कूटनीतिक चतुराई कहकर दर-किनार कर सकते हैं और यह भी मान सकते हैं कि मोदी सरकार की छवि बिगाडऩे के लिए ही यह सब नाटक किया जा रहा है लेकिन हम यह न भूलें कि इसी सरकार ने दर्जनों पड़ोसी और सुदूर देशों को पिछले साल लाखों टीके भिजवाए थे। अब जबकि भारत में कोरोना-संकट गहराता जा रहा है, दुनिया के राष्ट्र भी दुबकने वाले नहीं हैं।  भारत की सभी सरकारें और जनता हिम्मत न हारे, सभी सावधानियां बरतें, परस्पर टांग-ङ्क्षखचाई की बजाय सहयोग करें और शीघ्र ही इस महामारी से मुक्ति पाएं।
 

-डा. वेदप्रताप वैदिक

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