खांसी, जुकाम तथा बुखार के लिए औषधि है अलीबाग का सफेद प्याज

Tuesday, Jan 28, 2020 - 04:55 AM (IST)

अलीबाग के सफेद प्याजों को जल्द ही ज्योग्राफिकल इंडीकेशन (जी.आई.) का टैग मिल सकता है। अलीबाग तहसील में रायगढ़ जिले के कृषि विभाग द्वारा समर्थन प्राप्त अलीबाग व्हाइट ओनियन प्रोड्यूसर ग्रुप ने टैग के लिए चेन्नई के ज्योग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्ट्री में आवेदन किया है। महाराष्ट्र के पास पहले ही 24 जी.आई. टैग वाले कृषि उत्पाद हैं। भारत में करीब 300 जी.आई. टैग वाले उत्पाद हैं। 

पुणे के जी.आई. एक्सपर्ट एडवोकेट गणेश हिगमायर ने बताया कि अलीबाग का सफेद प्याज एक पारम्परिक वैरायटी है जिसकी खेती दशकों से की जा रही है। इसका एक विशेष स्वाद है तथा रंग भी। जिसका कारण इस क्षेत्र की भूमि की रचना तथा मौसम है। सफेद प्याज की गंध दूसरे प्याजों की तरह नहीं होती जोकि मार्कीट में उपलब्ध होते हैं। इसका स्वाद मीठा होता है जो दूसरों से भिन्न है। कच्चे तौर पर इसे खाया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह खांसी, जुकाम, बुखार तथा एलर्जी के लिए एक बड़ी औषधि है। इसमें घावों को भरने की क्षमता भी है क्योंकि ये एंटीसैप्टिक तथा एंटीबायोटिक है। 

रायगढ़ में सफेद प्याज की खेती ज्यादातर काले, खांडला, पावेल, न्यूली, साहन तथा धावर गांवों में की जाती है। इसे पारम्परिक ढंग से उगाया जाता है। इसके बीजों को छोटी आयताकार क्यारियों में बोया जाता है। खाद के तौर पर गोबर तथा फिश पाऊडर का इस्तेमाल किया जाता है। अलीबाग का सफेद प्याज अपने पारम्परिक स्वाद के लिए जाना जाता है जोकि 7 माह तक कायम रहता है। ऐसा माना जा रहा है कि जी.आई. टैग प्याज की विशिष्टता को कायम रखेगा तथा इसका आयात बढ़ाएगा। ङ्क्षहगमायर का कहना है कि जी.आई. संरक्षण प्रणाली वल्र्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन समझौते के बाद आई। यूरोप में 59,000 जी.आई. पंजीकृत उत्पाद हैं। भारत में कोई एक जी.आई. टैग के लिए 60 किलोमीटर के बाद आवेदन कर सकता है। 

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