आखिरकार चीन ने टेके घुटने

Friday, May 03, 2019 - 02:48 AM (IST)

आखिरकार चीन को घुटनों पर आना ही पड़ गया। विश्व समुदाय के सामने झुकते हुए चीन ने कुख्यात आतंकी सरगना अजहर मसूद के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो से तकनीकी प्रावधान हटा लिया। इससे मसूद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किया जा सका। बीते एक महीने में यह तीसरा मौका है जब चीन अपनी हेकड़ी दूसरे देशों पर नहीं जमा सका। उलटे उसे ही रास्ते पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे पहले चीन के विरोध की अनदेखी करते हुए अमरीकी नौसेना के युद्धपोत ताइवान जलडमरूमध्य से होकर गुजरे। चीन और ताइवान को अलग करने वाले 180 किलोमीटर लम्बे जलडमरूमध्य पर चीन अपना दावा जताता रहा है। चीन की नाराजगी की परवाह किए बगैर अमरीका ने कहा कि इस क्षेत्र से गुजरना यह दर्शाता है कि ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में आवाजाही को कोई रोक नहीं सकता। 

चीन ने हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बी.आर.आई.)के लिए आयोजित किए गए सम्मेलन से पूर्व भारत की आपत्तियों के मद्देनजर इस परियोजना के नक्शे से अरुणाचल प्रदेश और पाक के हिस्से वाले कश्मीर को भारत के नक्शे में दर्शाया। चीन का यह कदम आश्चर्य से कम नहीं है। भारत ने बी.आर.आई. परियोजना के प्रमुख घटक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी.पी.ई.सी.) के विरोध में दूसरी बार सम्मेलन का बहिष्कार किया। 

चीन यह नहीं चाहता था कि सम्मेलन के ऐन मौके पर भारत की तरफ से इस मामले में कोई तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए। भारत के इस परियोजना के नहीं जुडऩे से चीन कई देशों की निगाहों में संदिग्ध हो गया है। इस सम्मेलन में कई देशों ने शिरकत नहीं की। इन देशों को डर था कि चीन कहीं उन्हें श्रीलंका की तरह अपना आॢथक गुलाम न बना ले। चीन की दूरगामी आर्थिक नीति से घबराकर मलेशिया ने भी इस परियोजना को सीमित कर दिया है। 

चीन को तीसरा झटका लगा उइगर मुस्लिमों के साथ की जाने वाली ज्यादतियों को लेकर अमरीका द्वारा की गई खुली आलोचना से। इस मुद्दे पर अमरीका ने चीन को तगड़ी लताड़ लगाई। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के पाखंड का जोखिम नहीं उठा सकती। चीन आतंकवाद को लेकर बेनकाब इसलिए भी हो गया कि एक तरफ उइगर मुस्लिमों को आतंकी बताकर कुचलने में लगा हुआ है और दूसरी तरफ पाक में छिपे बैठे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी सरगना का बचाव कर रहा था।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी उइगर मुस्लिमों पर चीन की दमनकारी नीतियों की निंदा की है। वॉच ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिख कर चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.) इस मुद्दे से आंखें फेेरे हुए है। यू.एन. ने एक बार भी इस मुद्दे को लेकर चीन की तीखी आलोचना नहीं की। इसके विपरीत बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों से ज्यादतियों को लेकर यू.एन. खूब सक्रिय रहा। यू.एन. ने बर्मा में एक प्रतिनिधि दल को जांच के लिए भेजा। लेकिन ऐसी कवायद उइगर मुस्लिमों की हालत को लेकर नहीं की गई। वीटो पावर होने के कारण यू.एन. चीन के खिलाफ अभी ऐसे बयानों और कार्रवाइयों से मुंह चुराता रहा है। 

आतंकी सरगना अजहर मसूद के मामले में चारों ओर से घिरने के बाद मजबूरी में चीन रास्ते पर आया। ब्रिटेन, अमरीका और फ्रांस द्वारा चीन के वीटो पर जवाब तलब करने के बाद चीन भारी दबाव में आ गया। चीन को लगने लगा कि भारत से निपटने के इस तरीके से वह पूरी दुनिया की आंखों में किरकिरी बन गया है। चीन भारत से खुन्नस निकालने के लिए अभी तक मसूद को मोहरा बनाए हुए था। यह कूटनीति चीन के लिए उलटी पड़ गई। चीन के सामने विश्व समुदाय से अलग-थलग पडऩे का खतरा खड़ा हो गया। 

यही वजह रही कि चीन पाकिस्तान के दबाव के बावजूद अजहर मसूद को समर्थन देने की कूटनीति पर कायम नहीं रह सका। चीन की समझ में यह बात अब आने लगी है कि यदि बी.आर.आर. जैसे प्रोजैक्ट में अन्य देशों की विश्वनीयता बनाए रखनी है तो विश्व की आवाज को दरकिनार नहीं किया जा सकता। अब देखना यही है कि उइगर मुस्लिमों सहित अन्य मुद्दों पर चीन कब तक विश्व की अनसुनी करता है। देर-सवेर अन्य विवादित मुद्दों पर भी चीन को अपने रुख में बदलाव लाना होगा। पूरी दुनिया की उपेक्षा करके चीन किसी भी हालत में तरक्की नहीं कर सकता।-योगेन्द्र योगी

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