अफगानिस्तान : ट्रम्प-बाइडेन की छोड़ी हुई विरासत

punjabkesari.in Sunday, Nov 17, 2024 - 05:28 AM (IST)

7 अक्तूबर  2001 को अल कायदा को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान पर अमरीका का आक्रमण-‘ऑप्रेशन एंड्युरिंग फ्रीडम’ शुरू हुआ। यह 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में था। 2003 तक ईराक पर अमरीका के आक्रमण के साथ ही बुश-43 प्रशासन के लिए अफगानिस्तान एक दिखावा बन गया। 2009 में जब बराक ओबामा ने राष्ट्रपति पद संभाला, तब तक अमरीकी रणनीतिक समुदाय के लिए यह स्पष्ट हो चुका था कि ‘प्रोजैक्ट अफगानिस्तान’ कहीं नहीं जा रहा है। 11 फरवरी 2009 को, शपथ लेने के 22 दिन बाद ओबामा ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के प्रति अमरीकी नीति की अंतर-एजैंसी नीति समीक्षा की अध्यक्षता करने के लिए लगभग 3  दशकों से केंद्रीय जांच एजैंसी के अनुभवी विश्लेषक ब्रूस रीडेल को नियुक्त किया।

27 मार्च 2009 को ब्रूस रीडेल ने समीक्षा के परिणाम के बारे में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां एक या 2 मुख्य शीर्षकों को ही सामने रखूंगा। मुझे लगता है, जैसा कि आपने सुना, राष्ट्रपति यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस मिशन का लक्ष्य स्पष्ट और संक्षिप्त हो। 

अल कायदा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों के एक बहुत ही परिष्कृत सिंडीकेट के भीतर काम करता है। अब तक, हमारी नीति अफगानिस्तान और पाकिस्तान को 2 देशों के रूप में देखती है, लेकिन हमारी कूटनीति के लिए संचालन का एक क्षेत्र और हमारी समग्र नीति के लिए एक चुनौती है। जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा  हम पाकिस्तानी सरकार के साथ गहन रूप से जुडऩे जा रहे हैं। हमारे पास पाकिस्तान को आर्थिक सहायता बढ़ाने के लिए बहुत ठोस प्रस्ताव हैं, जो कांग्रेस द्वारा पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि हम सैन्य पक्ष में क्या कर सकते हैं।’’

समीक्षा से मुख्य निष्कर्ष यह निकला कि अफगानिस्तान में अमरीकी भागीदारी बढऩे वाली है, घटने वाली नहीं। इसके कारण अफगानिस्तान में 30,000 सैनिकों की वृद्धि हुई। जनरल मैकक्रिस्टल के नेतृत्व में और अन्य लोगों के अलावा ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलेन और यू.एस. सैंट्रल कमांड के कमांडर जनरल डेविड पेट्रायस के समर्थन से अमरीकी सेना यही चाहती थी। वृद्धि का कड़ा विरोध करने वाले एक व्यक्ति तत्कालीन उप-राष्ट्रपति जो बाइडेन थे, जिन्होंने सोचा था कि अमरीकी डीप स्टेट ने एक नए राष्ट्रपति को ‘बाहर’ विकल्प की बजाय ‘अंदर’ विकल्प पेश करके घेर लिया है। ओबामा अपने 8 साल के कार्यकाल के दौरान अफगानिस्तान में अमरीकी हस्तक्षेप को समाप्त करने में सक्षम नहीं थे। राष्ट्रपति ट्रम्प ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान अफगानिस्तान में अपने पूर्ववर्ती द्वारा निर्धारित मार्ग का ही अनुसरण किया। 

21 अगस्त 2017 को वर्जीनिया के अॄलग्टन में फोर्ट मायर सैन्य अड्डे पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं अमरीकी लोगों की निराशा को सांझा करता हूं। मैं एक ऐसी विदेश नीति पर उनकी निराशा को भी सांझा करता हूं जिसने हमारे सुरक्षा हितों को अन्य सभी विचारों से ऊपर रखने की बजाय बहुत अधिक समय, ऊर्जा, धन और, सबसे महत्वपूर्ण बात, जीवन को हमारी अपनी छवि में देशों के पुनॢनर्माण की कोशिश में खर्च किया है।’’ अफगानिस्तान में दलदल को और भी बदतर होते देख राष्ट्रपति ट्रम्प ने तब तालिबान के साथ एक समझौता करने का फैसला किया। वही लोग जिनका अमरीका ने दुनिया भर में ‘ब्लैक साइट्स’ में इतने जोश से पीछा किया, उन्हें बेअसर किया और यहां तक कि उनके साथ क्रूरता की। उनमें से कई कुख्यात ग्वांतानामो बे जेल में बंद थे।

उन्होंने अफगानिस्तान और ईराक में पूर्व अमरीकी राजदूत जालमी खलीलजाद को कतर राज्य की मदद से तालिबान के साथ बातचीत शुरू करने का काम सौंपा। लंबी बातचीत के बाद अमरीका ने 29 फरवरी 2020 को दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका शीर्षक था ‘अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के बीच अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए समझौता’, जिसे संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा एक राज्य के रूप में मान्यता नहीं दी गई है और जिसे तालिबान और संयुक्त राज्य अमरीका के रूप में जाना जाता है। यह पहली बार नहीं था कि अमरीका ने एक गैर-मान्यता प्राप्त देश के साथ एक संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जहां अमरीका बाहर निकलना चाहता था। 

दोहा समझौते के ठीक बाद अफगानिस्तान में वापस जाने पर, कोविड-19 ने दुनिया को एक ठहराव पर ला दिया। दोहा समझौते के कई हिस्से विशेष रूप से अंतर-अफगान वार्ता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं किए गए। 20 जनवरी 2021 को ट्रम्प की जगह बाइडेन ने ले ली। बाइडेन ने मंद पड़े इस सौदे को जारी रखने का फैसला किया। 15 अगस्त 2021 को अमरीका ने बहुत ही अपमानजनक परिस्थितियों में आखिरकार अफगानिस्तान से वापसी कर ली। 30 अप्रैल 1975 को साइगॉन से अमरीका की वापसी से तुलना की गई। दोहा समझौते पर हस्ताक्षर होने के लगभग 5 साल बाद तालिबान काबुल में आ गया है और समझौते के मूल लेखक ट्रम्प व्हाइट हाऊस में वापस आ गए हैं। अब आगे क्या होगा?-मनीष तिवारी
 


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