सत्ता में वापसी को तैयार ‘आप’

Monday, Feb 10, 2020 - 02:33 AM (IST)

दिल्ली विधानसभा चुनावों में राजनीतिक विचार-विमर्श, विचारधारा, चुनावी घोषणापत्र तथा विकास परियोजनाओं पर कोई चर्चा नहीं हुई है। मगर आम आदमी पार्टी ‘आप’ ने पिछले 5 वर्षों के दौरान अपने प्रशासन में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा तथा  सी.सी.टी.वी. कैमरों के बारे में किए गए कार्यों के बारे में लोगों को बताया। हालांकि भाजपा ने विकास के लिए अपनी योजना के बारे में चर्चा नहीं की। वहीं पार्टी ने अपना ध्यान शाहीन बाग पर केन्द्रित किया। भाजपा ऐसी भी उम्मीद करती है कि अवैध कालोनियों को नियमित करने के वायदे के साथ वह झुग्गी-झोंपडिय़ों का समर्थन वापस प्राप्त कर लेगी। मगर एग्जिट पोल दर्शाते हैं कि ‘आप’ राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में वापसी के लिए तैयार है। 

एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा पिछली बार प्राप्त की गई तीन सीटों की टैली  में कुछ सुधार करेगी तथा यह दूसरे नम्बर पर रहेगी। पिछली बार दिल्ली  में कांग्रेस राजनीति के खेल से बाहर दिखी। यदि हम किसी सड़क पर खड़े व्यक्ति से पूछें या फिर पॉश कालोनी में रह रहे लोगों से पूछें कि उन्होंने किसको वोट दिया तो निश्चित तौर पर उनका जवाब है अरविंद केजरीवाल। ऐसा प्रतीत होता है कि अरविंद केजरीवाल तथा उनकी पार्टी के हक में एक लहर चल रही है। इस बार दिल्ली के मतदाता खुले तौर पर और चीख-चीख कर शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी तथा बिजली के बारे में बोल रहे हैं। इन मुद्दों पर उनका निर्णय पूरे देश की राजनीतिक श्रेणी को जाएगा। 

पश्चिम बंगाल में भाजपा तथा टी.एम.सी. में खींचातानी
लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा तथा टी.एम.सी. कार्यकत्र्ता कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे जब आपस में लड़ा न जा सके। हाल ही में सी.ए.ए.  प्रदर्शनों को लेकर दोनों पाॢटयों के समर्थकों के बीच खींचातानी उस समय बढ़ गई जब एक नेता ने कोलकाता बुक फेयर के एक स्टॉल की यात्रा की। 44वें अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता बुक  फेयर के दौरान करीब सायं साढ़े चार बजे पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने जब एक स्टॉल में प्रवेश किया तब दोनों पक्षों के बीच कहा-सुनी हो गई। छात्रों के कुछ वर्ग ने सिन्हा को घेर लिया तथा सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। 

राम मंदिर ट्रस्ट सदस्यता को लेकर साधू और शंकराचार्य नाखुश
9 नवम्बर 2019 को राम मंदिर पर फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एडवोकेट के. परासरन की चेयरमैनशिप में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की। यही पता के. परासरन के निवास का भी होगा जिन्होंने अयोध्या विवाद में 9 साल हिन्दू पक्ष की पैरवी की। एक समय में के. परासरन कांग्रेस के बेहद नजदीक थे। मगर अब वह आर.एस.एस. के करीब हैं। इस ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे जिनमें जगद्गुरु शंकराचार्य, प्रयाग के ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, उड्डुपी में पेजावर मठ के जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ, युग पुरुष परमानंद महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज तथा अयोध्या से विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्रा शामिल हैं। मगर राम जन्म भूमि न्यास और विहिप अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने इस बात को लेकर अपनी आवाज उठाई कि दशकों पुराने राम मंदिर आंदोलन को चलाने वाले लोगों को बाहर क्यों रखा गया है? इस दौरान शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केन्द्र के मंदिर ट्रस्ट को स्थापित करने के निर्णय को कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय बनाया है। 

‘विजन फॉर ए नेशन’ किताब का अनावरण
पूर्व वित्त मंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदम्बरम ने बुधवार को कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता तथा नागरिकता चुनौती झेल रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष है तो कुछ लोग उसे राष्ट्र विरोधी कहते हैं। ‘विजन फॉर ए नेशन’ किताब के अनावरण के बाद चिदम्बरम ने कहा कि यदि आजकल कोई धर्मनिरपेक्ष है तब उसकी देशभक्ति के बारे में पूछा जाता है। यहां पर ऐसे भी लोग हैं जो दूसरों  की नागरिकता के बारे में सवाल उठाते हैं। यह खतरे की घंटी है। इस किताब का अनावरण समृद्ध भारत फाऊंडेशन ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी तथा पी. चिदम्बरम तथा अन्यों की उपस्थिति में किया। 

अपने नियुक्ति बोर्ड का गठन जल्द करेगा प्रसार भारती
एक स्वायत्त इकाई के तौर पर तीन दशक पूर्व प्रसार भारती की स्थापना की गई थी। अब जल्द ही यह अपने नियुक्ति बोर्ड का गठन करेगा जिससे दूरदर्शन तथा ऑल इंडिया रेडियो के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति जरूरत के अनुरूप संभव हो सकेगी। प्रसार भारती के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रसार भारती एक्ट 1990 ने एक या इससे अधिक नियुक्ति बोर्ड की स्थापना के बारे में कहा था। मगर इस पर कोई अमल न हुआ क्योंकि केन्द्र सरकार तथा पब्लिक ब्राडकास्टर की ऐसे किसी भी बोर्ड के गठन को लेकर एक राय नहीं थी। जब प्रसार भारती की स्थापना हुई कई सरकारी अधिकारियों ने डैपुटेशन पर इसको ज्वाइन किया। मगर अब सरकार प्रसार भारती के लिए एक रिक्रूटमैंट बोर्ड के गठन की प्रक्रिया पर अमल कर रही है और इसकी जल्द ही घोषणा की जाएगी।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 

Advertising