जरूरतमंदोंं को ही सबसिडी की पहल का विस्तार करे ‘आप’ सरकार

Wednesday, Jul 27, 2022 - 06:37 AM (IST)

बिजली के घरेलू उपभोक्ताओं को ‘जीरो बिल’ के साथ ही पंजाब की भगवंत मान सरकार ने मुफ्त बिजली तर्कसंगत यानि ‘रैशनलाइज’ करने के लिए एक नए ‘रोडमैप’ की पहल की है। इस पहल से सबसिडाइज्ड बिजली का लाभ अधिक जरूरतमंदों को देने का प्रयास है।

पंजाब के हित में शासन सुधार के लिए उठाए इस अहम कदम की और भी सराहना की जाएगी, यदि इसे आगे बढ़ाते हुए अन्य सबसिडी स्कीमों में भी सुधार किया जाए। खेती के लिए मुफ्त बिजली का लाभ लेने वालों में बड़े किसानों के साथ तमाम साधन-संपन्न लोगों में सांसद, विधायक, उद्योगपति, डाक्टर, इंजीनियर, सी.ए., से लेकर एन.आर.आई. तक शामिल हैं। खेती के लिए 55 प्रतिशत से अधिक मुफ्त बिजली का लाभ साधन-संपन्न लोगों को मिल रहा है। 

एक जुलाई से घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली के साथ सुधार की इस पहल में सामान्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को 2 महीने के बिजली बिल में 600 यूनिट से कम खपत की शर्त पूरी करनी होगी। आयकरदाताओं, सरकारी कर्मचारियों (चौथी श्रेणी को छोड़कर),10000 रुपए से अधिक के पैंशनधारकों, वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और महापौरों को भी मुफ्त बिजली के लाभ से दूर रखा है। इसी पहल की तर्ज पर कृषि क्षेत्र के लिए मुफ्त बिजली स्कीम में सुधार से छोटे गरीबों किसानों को सबसिडी का अधिक लाभ दिया जा सकता है। 

3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे पंजाब की अर्थव्यवस्था और विकास में संतुलन साधने के लिए कृषि क्षेत्र की मुफ्त बिजली में कई सुधार किए जाने की जरूरत है। तय सीमा में मुफ्त बिजली के लिए डी.बी.टी. (डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसफर) के रास्ते सीधे किसानों के बैंक खातों में नकद सबसिडी के भुगतान से कृषि क्षेत्र में बिजली सबसिडी के बोझ को काफी हल्का किया जा सकता है। 

कृषि के लिए बिजली की मुफ्तखोरी घटाने के लिए 2018 में पंजाब राज्य किसान एवं कृषि श्रमिक आयोग ने 10 एकड़ से अधिक खेती जमीन वाले किसानों या इंकम टैक्स अदा करने वाले किसानों को मुफ्त बिजली बंद करने की सिफारिश की थी। अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह की रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि ‘मुफ्त बिजली से बड़े किसानों को ही फायदा हुआ है’, लेकिन पंजाब में खेती को मुफ्त बिजली का मुद्दा केवल बहस तक सीमित रह गया। पिछली कोई भी सरकार खेती को मुफ्त बिजली में सुधार की हिम्मत नहीं जुटा सकी। समय की मांग है कि बिजली सबसिडी से सरकारी खजाने पर सालाना 16,000 करोड़ रुपए का भार कम करके जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए भगवंत मान सरकार 5 पहलुओं पर गौर करे।  

पहला, साधन संपन्न लोगों की मुफ्तखोरी बंद हो : किसानों के लिए शुरू की गई मुफ्त बिजली योजना का लाभ लेने में साधन-संपन्न लोग आगे हैं। सांसद, विधायक, सरकारी कर्मचारी और आयकरदाताओं के खेतों की मुफ्त बिजली बंद करके जरूरतमंद गरीब छोटे किसानों को मुफ्त बिजली का अधिक लाभ दिया जा सकता है। 

दूसरा, एन.आर.आई. सबसिडी के पात्र न हों : सबसिडी का लाभ सुनिश्चित करने के लिए हमारे नीति निर्धारकों को किसान की परिभाषा ही स्पष्ट नहीं है। एक काश्तकार ही असली किसान है या एक एन.आर.आई., जो अपनी जमीन का बड़ा रकबा बुआई के लिए दूसरों को पट्टे पर देकर तमाम सरकारी सबसिडी का लाभ ले रहा है? 

तीसरा, छोटे किसान को मिले लाभ :  2020 में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार के समय अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि, ‘पंजाब के गरीब किसानों के लिए शुरू की गई कृषि बिजली सबसिडी का लाभ बड़े और मझौले किसानों को अधिक मिल रहा है। 3.62 लाख बड़े (25 एकड़ से अधिक जमीन) और मझौले (10 एकड़ से अधिक जमीन) किसानों द्वारा हर साल 56 प्रतिशत बिजली सबसिडी का लाभ लिया जा रहा है, जबकि 10 एकड़ तक भूमि जोत वाले 7.29 लाख छोटे, सीमांत व जरूरतमंद गरीब किसानों के हिस्से 44 प्रतिशत बिजली सबसिडी आती है। 

चौथा, 2300 प्रतिशत बढ़ा बिजली सबसिडी बोझ घटे : 1997-98 में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की शुरूआत के पहले साल सरकारी खजाने पर केवल 693 करोड़ रुपए का बोझ था। 2022-23 के लिए यह बढ़ कर 15,845 करोड़ रुपए हुआ। 25 वर्षों में सरकारी खजाने पर 2300 प्रतिशत बढ़े बजली सबसिडी का बोझ हल्का करने की जरूरत है। 2022-23 के बजट अनुमान मुताबिक पंजाब सरकार की 45,588 करोड़ रुपए की सालाना टैक्स कमाई का 36.5 प्रतिशत बिजली सबसिडी पर खर्च होगा। इसमें कृषि बिजली पर 6947 करोड़ रुपए, घरेलू उपभोक्तओं को 300 यूनिट मुफ्त देने पर 6395 करोड़ रुपए और औद्योगिक उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली से सबसिडी का सालाना 2503 करोड़ रुपए का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। 

पांचवां, पर्यावरण को खतरा : मुफ्त बिजली के पहले साल 1997-98 में 6.1 लाख टयूबवैलों की संख्या 25 वर्षों में बढ़कर 15 लाख से अधिक हो गई है। 25 वर्षों से मिल रही मुफ्त बिजली के चलते धान के रकबे में 51 प्रतिशत की बढ़ौतरी से भूजल का बहुत अधिक दोहन होने से पंजाब के 148 में से 131 ब्लॉकों में भूजल का स्तर तेजी से गिरना पर्यावरण और स्वास्थ्य  के लिए खतरे की घंटी है। 

उपाय : आम आदमी पार्टी की सरकार अपने नेताओं, सांसदों, मंत्रियों और विधायकों को खेती के लिए मुफ्त बिजली छोडऩे की पहल से बड़े पैमाने पर अभियान चलाए। उद्योगपति, बड़े किसान, एन.आर.आई. साधन संपन्न लोग, सरकारी कर्मचारी और ई.एस.आई. या ई.पी.एफ. का लाभ लेने वाले प्राइवेट सैक्टर के कर्मचारियों को भी जरूरतमंदों के हित में खेती के लिए मुफ्त बिजली छोडऩे की मुहिम के लिए आगे आना चाहिए। ट्यूबवैलों के लिए मुफ्त बिजली की बजाय ‘डी.बी.टी.’ के जरिए किसानों के बैंक खातों में नकद सबसिडी का पायलट प्रोजैक्ट आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है। एम.एस.एम.ईज को छोड़ कर बड़े उद्योग के लिए रियायती बिजली दरें वापस लिए जाने पर विचार हो। 

आगे की राह : करदाताओं की गाढ़ी कमाई का सबसिडी के माध्यम से दुरुपयोग रोकने से सरकार के खजाने में होने वाली बचत से जब हरेक पंजाबी स्वस्थ, शिक्षित होकर समृद्ध होगा तभी ‘रंगले’ पंजाब का सपना पूरा होगा।(वाइस चेयरमैन सोनालीका तथा पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एंव प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन)(वाइस चेयरमैन सोनालीका)--डा. अमृत सागर मित्तल

Advertising