गर्भ से लेकर कब्र तक चलता है महिलाओं का जीवन

punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2024 - 04:53 AM (IST)

हमारी महिलाओं, बेटियों और बहनों के सम्मान की रक्षा के लिए अब बहुत हो गया है जो कार्यस्थल, बाजार, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान या यहां तक कि स्कूलों में भी हर जगह असुरक्षित हैं। इस खतरे को रोकने के लिए क्या कठोर कदम उठाए जाने चाहिएं या अपराधियों के लिए क्या त्वरित उपाय या सजा है जो दूसरों के लिए निवारक हो सकती है?  क्या अदालतें बलात्कार के मामलों से और अधिक  तत्परता से निपट सकती हैं? कई बार मामले का फैसला आने में दशकों लग जाते हैं और तब तक पीड़ित और समाज दोनों ही भूल जाते हैं और समस्याएं या तो पीछे छूट जाती हैं या फिर खत्म होने के लिए छोड़ दी जाती हैं। 

भारत में हर दिन बच्चियों और शिशुओं के साथ बलात्कार होता है। क्या कभी कोई बलात्कारी फांसी तक पहुंचा है? शायद नहीं। दरअसल हमारी राजनीतिक व्यवस्था में खामियां हैं क्योंकि हमारे राजनीतिक नेता महिलाओं के खिलाफ अपराधों को ज्यादा महत्व नहीं देते और इसका राजनीतिकरण न करने का उपदेश देते हैं क्योंकि उन्हें राजनीतिक परिणामों की चिंता है। उनका मानना है कि बलात्कार जैसे अपराध पितृसत्ता जैसे सामाजिक कारकों के कारण होते हैं। भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोलकाता की भयावह घटना की कड़ी निंदा की है और देश से महिलाओं के खिलाफ अपराध को समाप्त करने का आह्वान किया है। 

महिलाएं मेहनती, ईमानदार, निष्ठावान और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी चुनौती का सामना करने का साहस रखती हैं, लेकिन उन्हें कमज़ोर, दब्बू और निष्क्रिय माना जाता है और उन्हें वासना की वस्तु के रूप में भी देखा जाता है। वास्तव में महिलाओं का जीवन गर्भ से लेकर कब्र तक चलता है। 

महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा समाज द्वारा देखे जाने वाले मुख्य मुद्दे हैं। लेकिन पितृसत्तात्मक समाज नहीं चाहता कि महिलाएं स्वायत्त और सक्षम हों। समाज में महिलाओं के लिए समानता और सम्मान के लिए इस गहरी पितृसत्तात्मक मानसिकता को खत्म किया जाना चाहिए। जब तक हम में से हर कोई - माता-पिता, शिक्षक, सरकार, न्यायाधीश, व्यक्ति आदि- इसे पहचान नहीं पाता और इसका पालन नहीं करता, तब तक महिलाओं का शोषण और दुव्र्यवहार होता रहेगा। हम सभी को एक अधिक सम्मानजनक समाज बनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि महिलाएं सम्मान के साथ स्वतंत्र रूप से चल सकें। -राज कुमार कपूर


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