बदलाव की अभिलाषा से प्रेरित एक कहानी

punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 02:42 AM (IST)

अच्छा भोजन लोगों को या कुछ मामलों में, राष्ट्रों तक को एक साथ लाने में कभी असफल नहीं होता है। पिछली सॢदयों में, एक सुखद व आश्चर्यजनक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत, पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले चंदौली में उगाए गए काले चावल ने ओमान और कतर में खाने की मेज पर अपनी जगह बनाई। आकांक्षी जिला कार्यक्रम में शामिल 112 जिलों में से एक, चंदौली को ‘पूर्वांचल क्षेत्र के ‘चावल का कटोरा’ के रूप में जाना जाता है। 

क्षेत्र में धान की खेती की लोकप्रियता को देखते हुए, जिला प्रशासन ने किसानों को उर्वरक मुक्त जैविक काले चावल उगाने तथा कृषि उपज में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया। यह प्रयोग उल्लेखनीय रूप से सफल रहा; चंदौली,दुनिया में काले चावल की बढ़ती मांग को देखते हुए वैश्विक बाजार से जुड़ गया और इसने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों को भी काले चावल का निर्यात किया। 

आकांक्षी जिला कार्यक्रम (ए.डी.पी.), स्वास्थ्य और पोषण;शिक्षा; कृषि और जल संसाधन; बुनियादी ढांचे और वित्तीय समावेशन व कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में विकास के पैमाने पर भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण 112 जिलों पर केन्द्रित है। यह कार्यक्रम जनवरी, 2018 में शुरू किया गया था और इसकी अगुवाई स्वयं प्रधानमंत्री ने की है। केंद्र्र स्तर पर, राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के साथ सक्रिय भागीदारी में इसे नीति आयोग द्वारा संचालित किया जाता है। इनमें से कई जिले देश के सुदूर भागों में स्थित हैं। हालांकि, नागालैंड के किफिरे और मणिपुर के चंदेल से लेकर बिहार के जमुई और राजस्थान के सिरोही तक, ये सभी जिले चुनौतियों से पार पाने और अपनी नई कहानी लिखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

‘आपसी तालमेल, सहयोग और प्रतिस्पर्धा’ के तीन स्तंभों के आधार पर कार्यक्रम,विकास की शानदार कहानी प्रस्तुत करने के साथ-साथ कार्यक्रम को एक जीवंत जन आंदोलन बनाने में सफल रहा है, जिसमें 27 राज्यों और भारत की 14 प्रतिशत आबादी की भागीदारी है। चंदौली के काले चावल के प्रयोग की तरह, कार्यक्रम के कारण, इन जिलों से कई अन्य बेहतर तौर-तरीकों और सफलता की कहानियां सामने आई हैं। 

कार्यक्रम की स्थापना के सिद्धांतों के साथ-साथ कार्यान्वयन रोडमैप को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर व्यापक रूप से सराहा गया है। जून,2021 में, भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) ने कार्यक्रम पर एक स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की। आकांक्षी जिला कार्यक्रम: एक मूल्यांकन शीर्षक से, रिपोर्ट; शासन और अधिकारियों द्वारा बहु-हितधारक भागीदारी के साथ स्थानीय संरचनाओं का लाभ उठाने के संदर्भ में एक वैश्विक उदाहरण के रूप में कार्यक्रम की प्रशंसा करती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण, एक वास्तविकता बन जाए। 

आकांक्षी जिला कार्यक्रम फोकस के प्रमुख क्षेत्रों में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने में सफल रहा है। यू.एन.डी.पी. मूल्यांकन, इन संकेतकों के महत्व के साथ-साथ देश भर से गूंजती जीवंत सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को खूबसूरती से दर्शाता है। सबसे पहले, स्वास्थ्य और पोषण के तहत, महिलाओं और बच्चों के लाभ के लिए सभी आकांक्षी जिलों में मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र स्थापित किए गए हैं। अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव की सं या में वृद्धि हुई है, साथ ही शिशुओं में गंभीर कुपोषण की दर में गिरावट दर्ज की गई है। 

शिशुओं की ऊंचाई और वजन मापने के तरीकों को अब मानकीकृत किया गया है। झारखंड के आकांक्षी जिले रांची से स्वास्थ्य और पोषण संबंधी परिणामों पर नजर रखने का एक शानदार उदाहरण सामने आया है, जिसमें एक ‘पोषण’ एप पेश किया है। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसमें वास्तविक-समय पर डेटा विश्लेषण किया जाता है और यह जिले में बिस्तरों पर मरीज की मौजूदगी, बाल-विकास चार्ट और जिले में प्रत्येक कुपोषण उपचार केंद्र में आवश्यक सामानों की उपलब्धता की निगरानी करता है। एप के कारण स्वास्थ्य केंद्रों में बिस्तरों पर मरीज की मौजूदगी के स्तर में 90 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। 

दूसरा, इन जिलों में शिक्षा संबंधी परिणामों में बड़े पैमाने पर सुधार देखा गया है। नवाचार और डिजिटलीकरण; शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन की आधारशिला रहे हैं। इस मॉडल के तहत, जिले के प्रत्येक स्कूल की निगरानी, मूल्यांकन और मार्गदर्शन सुनिश्चित करने के लिए एक स्कूल प्रभारी नियुक्त किया जाता है। यह कार्यक्रम ‘यथासर्वम’ नामक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है, जिसे प्रौद्योगिकी भागीदार एकोवेशन द्वारा विकसित किया गया है और यह प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करने के लिए एक मोबाइल एप से जुड़ा हुआ है। 

आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शानदार सफलता; राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर के प्रशासन के प्रयासों का परिणाम है, जिसके शीर्ष पर हमारे प्रधानमंत्री की लोगों को सशक्त बनाने की दृष्टि है। ज्ञान और विकास भागीदारों के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों के निरंतर समर्थन के बिना इन जिलों की परिवर्तनकारी विकास की गाथा संभव नहीं हो पाती। इस पैमाने के एक कार्यक्रम ने भारत के विकास की रूपरेखा को फिर से परिभाषित किया है और यह एक के बाद एक प्रगतिशील मील के पत्थर हासिल करते हुए कई और प्रशंसा व सराहना प्राप्त करना जारी रखेगा। (लेखक नीति आयोग के सीईओ हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)-अमिताभ कांत


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