बेहतर कल का सपना देख रही स्ट्रीट लाइट के नीचे एक बच्ची

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2024 - 05:50 AM (IST)

आधी रात के करीब मैंने आइसक्रीम खाने के लिए सड़क पर गाड़ी चलाने का फैसला किया। मैंने सड़कें खाली पाईं, लेकिन मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि प्रत्येक स्ट्रीट लाइट के नीचे, फुटपाथ पर बच्चे बैठे थे, जो अपनी गोद में रखी अध्ययन पुस्तकों को पूरी एकाग्रता से देख रहे थे। मैंने शायद 12 या 13 साल की एक छोटी लड़की को देखा जिसके चेहरे पर ऊपर की स्ट्रीट लाइट की कमजोर किरणों से जगमगाती एकाग्रचित्त एकाग्रता का भाव था। उसे मेरी कार या सड़क पर अन्य ट्रैफिक की आवाज से कोई परेशानी नहीं थी, न ही रात के सन्नाटे को तोडऩे वाले हॉर्न और बीप ने परेशान किया। उसकी आंखें उसकी किताब पर केंद्रित थीं और इसमें कोई संदेह नहीं था कि उसका मन उसमें लिखे विषय-वस्तु पर था। वह एक सार्वजनिक स्थान पर बैठी थी, लोगों की निगाहों का सामना कर रही थी, जिसमें से कुछ उत्सुक, कुछ पूछताछ करने वाले, कुछ जिज्ञासु और कुछ सीधे-सादे लोग थे लेकिन उसके लिए, ये आंखें परेशान नहीं कर रही थीं क्योंकि उसकी आंखें तो उसकी किताब पर थीं! 

और जब मैंने इस छोटी लड़की को देखा, तो मेरा मन अपने इस देश के बारे में सोचने लगा। एक ऐसा देश जहां बुद्धिजीवी मौखिक द्वंद्व और शब्दों की लड़ाई लड़ते हैं, जहां मूर्खतापूर्ण और बेतुके विचारों को गहराई से समझाने के लिए तर्कसंगत सोच का उपयोग किया जाता है और जहां लेखक उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो वास्तव में गैर-मुद्दे हैं। जब हमें इन बच्चों की देखभाल करनी चाहिए, तो वे मंद रोशनी के नीचे ज्ञान इकट्ठा करने में इतने व्यस्त हैं जो उनकी दिशा में इतनी कंजूसी से फैंकी जाती है। हम ऐसे बच्चों को भूल जाते हैं। हमारे राजनेता जो तय करते हैं कि उन्हें क्या पढऩा है।

जब हम इतिहास और तथ्यों को बदल देते हैं, यह महसूस किए बिना कि वे अपना सारा समय और इरादा ज्ञान और सच्चाई से पोषित होने के लिए लगा रहे हैं, न कि किसी राजनीतिक पार्टी की नकली प्रयोगशाला में बनाए गए नकली तथ्यों से। कल वह छोटी सी बच्ची, जो लैंपपोस्ट के नीचे पढ़ रही है, अपनी कक्षा में उस पर तब हंसी उड़ाई जा सकती है जब वह हमारे प्राचीन अंतरिक्षयानों, रॉकेटों और अंतर-ग्रहीय लेन-देन के बारे में अजीबो-गरीब काल्पनिक कहानियां लिखेगी। 

कल, वह छोटी सी बच्ची खुद को नौकरी पाने के लिए खुद को बुरी तरह से अयोग्य पाएगी क्योंकि शिक्षा मंत्रालय ने हमारे देश के बच्चों को शिक्षित करने की बजाय प्रचार सामग्री खिलाने का फैसला किया है। इस देश में बहुत-सी बीमारियां हैं, लेकिन अगर हम इस एक क्षेत्र (शिक्षा) पर ध्यान केंद्रित कर सकें, जिसका काम अगली पीढ़ी को सच्चाई और तथ्य देना है, न कि काल्पनिक कहानियां तो हम उस छोटी सी बच्ची और उन लाखों अन्य बच्चों के साथ न्याय कर पाएंगे जो स्ट्रीट लाइट या अपने घरों में किसी मंद लैंप के नीचे पढ़ते हैं! उस छोटी सी बच्ची ने अपनी किताब बंद की और सपनों की तरह दूर तक देखते हुए जम्हाई ली। मुझे उम्मीद थी कि जब वह एक बेहतर कल का सपना देख रही थी, तो हमारे अधिकारी अपने संकल्प के साथ उसे वह देंगे जिसकी वह हकदार थी; एक ऐसी शिक्षा जो उसके महान प्रयास के लायक थी...!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
 


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