कल के लिए एक हरित वायदा है
punjabkesari.in Thursday, Jun 05, 2025 - 07:27 AM (IST)

हर बार जब आप अन्य साधनों की बजाय रेलगाड़ी से यात्रा करने का चयन करते हो तो आप केवल आराम और सहूलियतें ही नहीं चुन रहे होते बल्कि आप एक स्वच्छ, हरे-भरे भारत को भी चुनते हैं। पिछले साल 700 करोड़ से अधिक लोगों ने भारतीय रेलवे में यात्रा करने का चयन किया। यह हमारी लाइफलाइन है और कल के लिए एक हरित वायदा है।
भारतीय रेल देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए पंचामृत लक्ष्यों-2017 तक शुद्ध 0 के निकट जाने में मदद कर रहा है। रेलवे इसे एक बहुआयामी पहुंच के द्वारा सक्षम बना रहा है जिसके द्वारा आवाजाही को सड़क से रेल की ओर तबदील किया जा रहा है। इकट्ठे होकर यह कदम भारत को पैमाने पर अपनी आर्थिकता को डी-कार्बोनाइज करने में मदद कर रहे हैं। 2013-14 में रेलवे ने करीब 1,055 मिलियन टन माल को ढोया। 2024-25 में यह बढ़कर 1,617 मिलियन टन हो गया जिससे हमारी रेलवे दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी माल ढोने वाली रेलवे बन गई है। विशेषज्ञों द्वारा की गई गणना का इस्तेमाल करते हुए सड़क से रेल तक माल के इस तबादले ने हमारे देश को 143 मिलियन टन से अधिक सी.ओ. 2 विकास को बचाने में मदद की है। यह 121 करोड़ वृक्ष लगाने के बराबर है।
रेल के द्वारा माल की ढुलाई सड़क द्वारा किए जाने वाले लगभग आधे खर्चे के बराबर है। इसका भाव यह है कि न केवल व्यवसाय के लिए बल्कि समस्त आर्थिकता के लिए बहुत बड़ी बचत है। इस बदलाव में पिछले दशक के दौरान लॉजिस्टिक्स लागतों में 3.2 लाख करोड़ की बचत करने में मदद की है। रेलवे भी बहुत ही स्वच्छ है जो ट्रकों की तुलना में 90 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है। यह हमारे आसमान में कम धुआं छोड़ती है और हमें स्वच्छ हवा मिलती है। सड़क से रेल बदलाव में हमारे लिए 2,857 करोड़ लीटर डीजल बचाया है जिससे ईंधन की लागत में करीब 2 लाख करोड़ की बचत हुई है।
ग्रीन ट्रैक, मजबूत राष्ट्र : भारत तेल का आयात करता है। इसलिए हमारे आवाजाही क्षेत्र का बिजलीकरण करना रणनीतिक तौर पर समझदारी वाला फैसला है ताकि आयात पर हमारी निर्भरता कम हो जाए। 2014 से पहले 60 सालों में भारतीय रेल ने 21,000 किलोमीटर ट्रैक का बिजलीकरण किया है और पिछले 11 वर्षों में हमने 47,000 किलोमीटर का बिजलीकरण किया। आज हमारे ब्रॉडगेज नैटवर्क का 99 प्रतिशत बिजलीकरण किया जा चुका है। रेलवे स्टेशनों, फैक्टरियों और वर्कशापों के लिए ग्रीन ऊर्जा का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जा रहा है। अब यह राज्यों के साथ मिलकर रेलगाडिय़ां चलाने के लिए अधिक ग्रीन ऊर्जा हासिल करने के लिए कार्य कर रहा है। यह सब भारत को अपने शुद्ध 0 लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर ले जाएगा।
इस गति के आधार पर समर्पित माल ढुलाई कोरीडोर (डी.एफ. सीज) बिजलीकरण किए गए हैं जो उच्च क्षमता वाली रेलवे लाइनें हैं जो विशेष तौर पर माल ढुलाई के लिए ही तैयार की गई है। 2,741 किलोमीटर के कार्यशील होने के साथ डी.एफ.सीज. ने सड़कों पर भीड़भाड़ को कम किया है और डीजल की खपत और कार्बन निकासी को काफी हद तक कम कर दिया है। भारत हाईड्रोजन के साथ चलने वाली रेलगाड़ी जैसी आधुनिक, 0 निकासी वाली टैक्नोलॉजी को भी अपना रहा है। पहली रेलगाड़ी हरियाणा में जींद और सोनीपत के बीच चलेगी और 2600 यात्रियों को लेकर जाएगी। यह सबसे बड़ी दुनिया की शक्तिशाली और सबसे लम्बी हाईड्रोजन रेलगाड़ी होगी।
अर्थव्यवस्था और पर्यावरण : भारत साबित कर रहा है कि आॢथक विकास और पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी साथ-साथ चल सकते हैं और साथ-साथ चलने भी चाहिएं। विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक 2023 के अनुसार भारत अब 139 देशों में से 38वें स्थान पर है जोकि 2014 के बाद 16 स्थानों की छलांग है। रेलवे बिजलीकरण के विस्तार में लागतों और निकासी को कम कर दिया है। इसने गति और क्षमता में भी बढ़ौतरी की है जिससे भारत को विश्व स्तरीय लॉजिस्टिक्स मियारों के निकट जाने में मदद मिली है।
रेलवे नैट जीरो की ओर बढ़ेगा : प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय रेलवे के लिए नैट जीरो प्राप्त करने के लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य रखा है। तेज बिजलीकरण और सड़क से रेल तक माल की बड़े स्तर पर तबदीली के कारण भारतीय रेल 2025 के अंदर ही नैट जीरो (स्कोप-1) हासिल करने की राह पर है। इस विश्व वातावरण दिवस पर भारतीय रेल टिकाऊ और विकास के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि कर रही है। प्रत्येक इलैक्ट्रिीफाइड ट्रैक लगाया गया है।-अश्विनी वैष्णव,हरदीप पुरी,सतनाम सिंह संधू