संघ के लोगों का सी.एम. के तौर पर चुना जाना पूरे देश के लिए एक महान संकेत

punjabkesari.in Monday, Dec 25, 2023 - 05:15 AM (IST)

भारत के हृदय स्थल में हमारे पास तीन प्रमुख राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के तीन मुख्यमंत्री हैं। ये सभी भगवा शासित प्रदेश हैं। भारत में अब 3 मुख्यमंत्री आर.एस.एस. संगठन के हैं। यहां रहने वाले भाजपाइयों से पहले किसी ने भी इनके बारे में नहीं सुना था। हर कोई कह रहा था कि वह कौन हैं? उनके नए मुख्यमंत्री कौन हैं? और मुख्यमंत्री बनने से पहले वह कहां से हैं? जाहिर तौर पर ये नए मुख्यमंत्री सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद हैं। ये सबसे अच्छे सुखद आश्चर्यों में से एक है जो हमें लम्बे समय से मिला है।

दरअसल बहुत से लोग इस बात से खुश हैं कि नई पीढ़ी की राजनीति में अब बड़ा बदलाव आ रहा है। इसके साथ ही ऊंची उड़ान भरने वाले, अति आत्मविश्वासी और थोड़े अहंकारी मुख्यमंत्रियों को बाहर करने वाले तत्वों में भी बदलाव आया है। चाहे वो शिवराज चौहान हों, वसुंधरा राजे सिंधिया हो या फिर रमन सिंह, जिन्होंने अपने-अपने तरीके से आला कमान को संदेश देने की कोशिश की कि उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य और सबसे लोकप्रिय है लेकिन वे भूल गए कि आलाकमान में लोकप्रियता केवल एक ही व्यक्ति की है और वे केवल मोदी हैं।

तीन राज्यों में वोट मोदी के नाम पर मिले हैं। मोदी के नाम पर मुख्यमंत्रियों ने कड़ी मेहनत की लेकिन उन राज्यों के प्रमुख के रूप में यह उनका कत्र्तव्य था। वोट खींचने वाला एक व्यक्ति है, जो दिन-रात चलता रहा वह मोदी थे। तीन नए मुख्यमंत्रियों की कारगुजारी को लेकर लोगों को इंतजार करना होगा और उनका प्रदर्शन देखना होगा लेकिन ये तीनों महान संगठन पुरुष रहे हैं और  सोशल इंजीनियरिंग में भी  बहुत अच्छे हैं। नए मुख्यमंत्रियों के पास 2 नए उपमुख्यमंत्री हैं जो 2024 के चुनावों के लिए अच्छे टीम वर्क में जाति समीकरण बनाए रखते हैं। पार्टी खुश है कि चुने गए व्यक्ति उनमें से एक हैं।

लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ये कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो सकते हैं। इसलिए हर एक आदमी को उम्मीद है कि वह अपनी कड़ी मेहनत से एक दिन शीर्ष पर पहुंच जाएगा और उस कड़ी मेहनत की सराहना की जाती है, उस पर ध्यान दिया जाता है और पुरस्कृत किया जाता है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा होते ही झटका लगा। मीडिया को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये लोग कौन हैं? क्योंकि अंग्रेजी मीडिया केवल सर्वश्रेष्ठ राजनेताओं या राज्य के शीर्ष रैंक के लोगों से बात करता है और उनकी चापलूसी करता है। उनकी उलझन को देखना बहुत मजेदार रहा।

ये लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) से जुड़े हुए हैं। वे पार्टी के कामकाज को बाखूबी जानते हैं, वे सोशल इंजीनियरिंग को जानते हैं। ये लोग साधारण से दिखने वाले, दाल-रोटी खाने वाले और खादी पहनने वाले पार्टी के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे सत्ता के भूखे नहीं हैं। कई ऐसे लोग हैं जो कांग्रेस और अन्य पाॢटयों को छोड़ कर महत्वाकांक्षा रखते हुए भाजपा में शामिल हुए हैं लेकिन उन्होंने अब जान लिया है कि यह केवल कड़ी मेहनत ही मायने रखती है फिर चाहे आप कोई भी हों। आपको कुछ करना है और यही आपका एकमात्र कत्र्तव्य है। तभी आपको इसका प्रतिफल मिलेगा। यदि भाजपा सोचती है कि आप इसके लायक हैं तो आपका भविष्य है नहीं तो आप डीप फ्रीज में डाल दिए जाएंगे।

कटका नृत्य के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की तारीफ तो करनी होगी। उनकी फुर्ती देखने लायक थी जिस तरह से वे तलवार संभालते हैं। उज्जैन से तीन बार विधायक रहने का मतलब है कि उनके पास मंदिर का आशीर्वाद है और उन्होंने लोगों के लिए कड़ी मेहनत की है। राजस्थान के मुख्यमंत्री पहली बार के विधायक हैं लेकिन लम्बे समय तक संघ के महासचिव रहे। यही बात छत्तीसगढ़ के लिए भी लागू होती है। मैं इस बात से खुश हूं कि संगठन के लोगों का चुना जाना पार्टी के माध्यम से पूरे देश में एक महान संकेत जाता है कि एक बार के विधायक से लेकर संघ के महासचिव तक कोई भी कल मुख्यमंत्री या मंत्री बन सकता है। यह काम करने के लिए बेहद उत्साहजनक बात है। -देवी एम. चेरियन


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