टैक्सटाइल मैगा पार्क : दुनिया के लिए भारतीय उत्पाद निर्माण की ओर एक बड़ा कदम

punjabkesari.in Wednesday, Mar 22, 2023 - 06:27 AM (IST)

प्राचीनकाल से चली आ रही भारतीय वस्त्रों की समृद्ध परंपरा एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है, जो देश को एक वैश्विक निवेश, विनिर्माण और निर्यात केंद्र बना देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सात पी.एम. मित्र मैगा टैक्सटाइल पार्कों के निर्माण की घोषणा की है। ये मैगा टैक्सटाइल पार्क 4,445 करोड़ रुपए के परिव्यय से निर्मित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री के 5एफ विजन (खेत से फाइबर से फैक्टरी से फैशन से विदेश तक) से प्रेरित होकर पी.एम. मित्र पार्क योजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये मैगा पार्क इस क्षेत्र को 2030 तक 250 बिलियन डॉलर के कारोबार और 100 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे। मैगा टैक्सटाइल पार्क वस्त्र क्षेत्र में व्यापक बदलाव करेंगे और प्रत्येक स्थल पर विश्व स्तरीय सुविधाओं, अत्याधुनिक अवसंरचना और एकीकृत मूल्य शृंखला की मदद से वैश्विक चैंपियन तैयार करेंगे।

निर्माण और विकास करने वाली एक प्रमुख कंपनी का चयन किया जाएगा, जो पी.एम. मित्र पार्क की डिजाइन, योजना, निर्माण, वित्तपोषण, संचालन और रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होगी। यह उद्योग के लिए एक बड़ी छलांग है, क्योंकि मूल्य शृंखला वर्तमान में पूरे देश में बिखरी हुई है, जो शृंखला के प्रत्येक संपर्क-ङ्क्षबदू पर लागत और विलंब में वृद्धि करती है। ये मैगा पार्क रोजगार के लगभग 20 लाख प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष अवसरों का सृजन करेंगे और अनुमानित 70,000 करोड़ रुपए के घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करेंगे।

ये शून्य द्रव रिसाव, सांझा अपशिष्ट शोधन संयंत्र, उत्सर्जन मुक्त नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग और वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाने के साथ, सतत विकास के शानदार उदाहरण होंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य आधारों में से एक, वस्त्र क्षेत्र भारतीय निर्यात का एक अहम हिस्सा है। यह सहयोगी संघवाद का एक और उदाहरण है, क्योंकि केंद्र और संबंधित राज्य, दोनों ही विशेष प्रयोजन कंपनी (एस.पी.वी.) के भागीदार होंगे, जो इन मैगा पार्कों की स्थापना और प्रबंधन करेगी।

इन पार्कों की स्थापना हेतु राज्य सरकारें कम से कम 1,000 एकड़ भूमि उपलब्ध कराएंगी। राज्य सरकारें उत्पादन प्रक्रिया के सुचारू संचालन एवं व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक अनुकूल व स्थिर नीतिगत व्यवस्था के साथ-साथ बिजली एवं पानी की आपूर्ति तथा कचरे के निपटारे की एक भरोसेमंद व्यवस्था तथा एकल खिड़की मंजूरी की एक कारगर सुविधा भी प्रदान करेंगी।

इन मैगा पार्कों में उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे एवं प्लग-एंड-प्ले सुविधाओं के साथ-साथ वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संबंधी सहायता भी उपलब्ध होगी।  वस्त्र उद्योग ने सरकार की इस महत्वपूर्ण पहल के प्रति उत्साहवद्र्धक प्रतिक्रिया दी है। उद्योग संगठनों ने उम्मीद व्यक्त की है कि अपेक्षाकृत कम लॉजिस्टिक्स लागत, आधुनिक बुनियादी ढांचा, वैश्विक स्तर पर व्यापार की संभावनाएं और केन्द्र एवं राज्य सरकारों की सहायक नीतियां भारतीय वस्त्र उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी और भारतीय व विदेशी उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराएंगी।

कपड़ा मंत्रालय इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा और प्रत्येक पार्क के एस.पी.वी. को विकास हेतु पूंजीगत सहायता के रूप में ग्रीनफील्ड पार्कों के लिए 500 करोड़ रुपए और ब्राऊनफील्ड पार्कों के लिए 200 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा, वह कार्यान्वयन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रत्येक पार्क में स्थित इकाइयों को 300 करोड़ रुपए तक की राशि प्रदान करेगा।

यह कदम अतिरिक्त प्रोत्साहन देने हेतु अन्य सरकारी योजनाओं के साथ समन्वय की सुविधा भी प्रदान करेगा। भारत पहले ही संयुक्त अरब अमीरात एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है और कनाडा, ब्रिटेन एवं यूरोपीय संघ के साथ इस संबंध में बातचीत कर रहा है। इन प्रयासों से भारतीय वस्त्रों को लाभकारी विकसित बाजारों में अपनी पैठ मजबूत करने में मदद मिलेगी और वस्त्र एवं परिधान के वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

भारत की गिनती पहले ही दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र एवं परिधान निर्यातक देशों में से एक के रूप में होती है। लेकिन अब जबकि देश 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, अमृत काल में हमारी आकांक्षा दुनिया का सबसे बड़ा वस्त्र निर्यातक देश बनने की है। पी.एम. मित्र के जरिए हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। -पीयूष गोयल (लेखक केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता हैं)  


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