22 अक्तूबर 1947 : कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले की ‘अनकही कहानी’

Wednesday, Oct 21, 2020 - 04:38 AM (IST)

15 अगस्त 1947 को संयुक्त भारत का विभाजन अंग्रेज सरकार ने कर दिया तो पाकिस्तान नाम से एक अलग देश का भारत के उत्तरी मुस्लिम बहुसंख्यक कुछ प्रांतों पर आधारित देश का निर्माण हो गया। पाकिस्तान के उदय के केवल दो महीनों के समय के पश्चात ही कश्मीर को हड़पने के लिए पाकिस्तान की फौज ने हमला करने की एक योजना बड़े गुप्त ढंग से तैयार की जिसे तत्कालीन पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां ने बाकायदा मंजूरी दी थी। 

इस योजना के अधीन पाकिस्तानी सेना ने 22 अक्तूबर 1947 को कश्मीर पर हमला करने के लिए सीमा को पार कर लिया और मुजफ्फराबाद एवं डोमेल पर 24 अक्तूबर को बाकायदा आक्रमण कर दिया। यहां पर डोगरा फौजों, जो गिनती में हमलावरों की तुलना में बहुत कम थे लेकिन उन्होंने डटकर मुकाबला किया परन्तु दुश्मन के भारी दबाव के चलते उसे पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा।  बस फिर क्या था अगले दिन ही आक्रमणकारी दस्ते श्रीनगर सड़क की तरफ बढऩे शुरू हो गए और अगली लड़ाई उड़ी के स्थान पर डोगरा फौजों से हुई। यहां भी आक्रमणकारियों का हाथ ऊपर रहा। 

26 अक्तूबर को आततायी सेना ने बारामूला पर कब्जा कर दिया और वहां खून के दरिया बहा दिए। ‘नस्ली सफाया’ के नाम पर नृशंस हत्याकांड किए और ऐसे प्रमाण मौजूद हैं कि तब बारामूला की कुल 14000 आबादी में से केवल 3000 गैर ङ्क्षहदू ही बचे, बाकी 11000 हिंदुओं का सफाया कर दिया गया जिनमें स्त्री, पुरुष और बच्चे शामिल थे। इस जघन्य अपराध से समस्त जम्मू-कश्मीर में भारी सनसनी फैल गई। तब कश्मीर के महाराजा हरि सिंह जो इस हमले से पहले अपनी रियासत के भविष्य के बारे में अभी किसी फैसले पर नहीं पहुंचे थे, ने तुरंत भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जम्मू-कश्मीर को बचाने की विनती की और जम्मू-कश्मीर का विलय विधिवत रूप से भारत के साथ करने की घोषणा कर दी। 

महाराजा की इस अचानक घोषणा से पाकिस्तान के हाकम और उसके सैनिक कमांडर हक्के-बक्के रह गए क्योंकि वे तो यह आस लगाए बैठे थे कि महाराजा अपनी रियासत का विलय पाकिस्तान के साथ कर देंगे लेकिन उनके यह सपने चूर-चूर हो गए और पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने महाराजा हरि सिंह की प्रार्थना पर भारतीय फौजों को आदेश दिया कि कश्मीर से हमलावर पाकिस्तानी सेना को बाहर खदेड़ दिया जाए। जैसे ही भारतीय फौजों ने मोर्चा संभाला और थल एवं हवाई फौज ने पाकिस्तानी फौज पर सीधा वार किया तो हमलावर फौज के पसीने छूटने लग पड़े और वह बड़े तेजी से पीछे हटनी शुरू हो गई। तब तक श्रीनगर से स्थानीय आबादी सड़कों पर निकल आई और उसने भारतीय फौज का जी जान से साथ दिया तो आक्रमणकारी सेना जिसमें कबायली भी शामिल थे, सिर पर पांव रखकर भागने लगे। अब भारतीय फौज उनका पीछा कर रही थी और साथ ही साथ सफाया भी कर रही थी। भारत की वायुसेना ने भी पाकिस्तान की फौज पर अंधाधुंध बम और गोले बरसाए और इस तरह इसकी कमर तोड़ कर रख दी। 

भारतीय फौजें जब लगातार पाकिस्तानी सेना को खदेड़ रही थीं और तय था कि आक्रमणकारियों को कश्मीर की सीमा से बाहर कोहाला पार कर दिया जाता, तभी पंडित नेहरू ने हिमालय जैसी गलती की और राष्ट्र संघ से हस्तक्षेप करने की अपील कर दी। अगर पंडित नेहरू तब यह गलती न किए हुए होते तो पाकिस्तानी सेना को भारतीय फौज कश्मीर के कुछ हिस्से से भी बाहर निकाल देती। ऐसे ही अवसरों के लिए इतिहासकारों-कवियों ने एक शे’र भी लिखा है : ‘‘लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई’’ (भूल तो केवल क्षण भर में हुई परन्तु उसका दंड कई लम्बे समय तक भोगना पड़ा)। 

ऐतिहासिक रूप से भारत पर सदियों से हमले होते रहे हैं और हमलावरों की गिनती भी कोई थोड़ी नहीं रही। इनमें प्रमुख हमलावर सिकंदर, चंगेज खां, तैमूरलंग, महमूद गजनवी, अब्दाली, नादिर शाह ने अलग-अलग समय पर भारत पर हमले किए और यहां हत्या, लूटमार करके चलते बने परन्तु बाबर ने जब भारत पर हमला किया तो उसने यहीं पर डेरा डाल दिया और राजधानी दिल्ली पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार इतिहास में मुगल काल का आरंभ हुआ। 

भारत पर सदियों की गुलामी का कारण केवल यह था कि देश छोटे-छोटे राज्य में बंटा हुआ था और इनमें से कई राज्य आपस में ही लड़ते रहते थे और कोई केंद्रीय शक्ति मौजूद नहीं थी, केवल कुछ चक्रवर्ती राजाओं को छोड़कर। यह तो भारत के विभाजन के पश्चात पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की दूरदर्शिता ही थी जिन्होंने 650 से अधिक देसी रियासतों का भारत में विलय कर दिया था। जब कश्मीर की बारी आई तो पंडित नेहरू कहने लगे कि इसके बारे में वे देख लेंगे और इसके बाद जो हुआ वह सबके सामने है। कश्मीर पर पाकिस्तान की सेना का आक्रमण कश्मीर को अपने कब्जे में करने के लिए किया गया था। इस हमले के बारे में यद्यपि छिटपुट कुछ विवरण मिलते हैं परन्तु अब इस समूची फौजी कार्रवाई के संबंध में प्रमाणिक सामग्री ङ्क्षहद समाचार पत्र समूह ने प्राप्त कर ली है जिसे बाकायदा किस्तवार पाठकों की जानकारी के लिए छापा जाएगा।-ओम प्रकाश खेमकरणी

Advertising