विनाश के 14 वर्ष बाद ईराकी गांव में फिर शुरू हुआ स्कूल
punjabkesari.in Wednesday, Apr 04, 2018 - 04:49 AM (IST)
स्कूल में छुट्टी होने के बाद बस्ता उठाए घर की ओर लौट रही मलक के चेहरे पर एक अनूठी चमक है : इस 10 वर्षीय लड़की ने अब ईराक के गांव रोमा में स्थित अपने स्कूल में अपनी पढ़ाई का पहला समैस्टर पूरा कर लिया है।
2004 में सशस्त्र इस्लामी जेहादी आतंकियों ने ईराक के दिवानिया प्रांत के गांव अल-जहूर पर हल्ला बोला था और बगदाद से 200 किलोमीटर दक्षिण में स्थित बिल्कुल अलग-थलग किस्म के इस गांव के एकमात्र स्कूल को ध्वस्त कर दिया था। मलक ने बताया: ‘‘टी.वी. पर मैं अक्सर बच्चों को स्कूल का बस्ता उठाए जाते देखती हूं और उनके चेहरों पर एक अलग ही तरह की खुशी होती है। मुझे उनसे कुछ ईष्र्या होती थी क्योंकि हमारा स्कूल तो कई वर्ष पहले बर्बाद कर दिया गया था।’’ 2003 में अमरीकानीत सैन्य हमले और सद्दाम हुसैन के पतन के बाद अल्पसंख्यक मुस्लिम रोमा जिपसियों के गांव में सब कुछ नाटकीय ढंग से बदल गया। इस घुमंतू कबीले के लोग कई शताब्दियां पूर्व भारत से आकर यहां बसे थे।
ईराक में रोमा लोगों को ‘कावलिया’ यानी घुमंतू अथवा खानाबदोश कहा जाता है और पेशे से इन लोगों की पहचान संगीतकारों और नर्तकों की है। इन लोगों को गाने-बजाने के लिए शादियों, पार्टियों एवं दावतों में बुलाया जाता है। लेकिन सद्दाम के पतन के बाद ईराक में कट्टरपंथी इस्लामिक गुटों की तूती बोलने लगी तो रोमा लोगों की परेशानियां बढऩे लगीं। उन पर बदचलनी के आरोप लगने लगे। उन पर यह भी आरोप लगने लगा कि वह जिन पार्टियों में जाते हैं वहां शराब परोसी जाती है। ईराक में हजारों रोमा लोग रहते थे लेकिन उनमें से बहुतेरों को अपने घर-घाट छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि काम-धंधा न मिलने के कारण वे भिखारियों जैसा जीवन जीने को मजबूर थे।
अल-जहूर के लोगों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। इस्लामी आतंकियों ने इस गांव पर हल्ला बोला और अपने पीछे मौत और विनाश का मंजर छोड़ गए। 14 वर्षों तक इस गांव के बच्चों के पढऩे के लिए कोई स्कूल नहीं था लेकिन आज आनलाइन अभियान की बदौलत अल-जहूर में बचे हुए लगभग 100 परिवारों ने धूल-मिट्टी से भरी सड़कों के दरमियान एक स्कूल शुरू कर दिया है। मलक ने बताया, ‘‘जैसे ही मुझे स्कूल खुलने की बात पता चली, मैं दुनिया की सबसे प्रसन्न इंसान बन गई। मैंने अपने पिता से अनुरोध किया कि मुझे स्कूल में दाखिल करवाएं।’’ मलक ने बताया कि अपने प्रथम समैस्टर में उसे पढऩे और लिखने के साथ-साथ गणित तथा विज्ञान पढ़ाया गया। उसका अब सपना है कि वह भी पढ़-लिख कर अध्यापिका बने और अपने ही गांव में पढ़ाए।