छठ पूजाः आज खरना, जानिए इससे जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियां

punjabkesari.in Wednesday, Oct 25, 2017 - 12:39 PM (IST)

पटनाः दिवाली के बाद सूर्य भगवान की उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ शुरु हो चुका है। नहाय खाय के बाद आज दूसरे दिन खरना किया जाएगा। आज के दिन श्रद्धालु सारा दिन उपवास रखने के बाद भगवान को रोटी-खीर का भोग लगाकर फिर प्रसाद खाएंगे जिसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।

सुख-समृद्धि की कामना और दूसरे मनोरथों की पूर्ति के लिए के लिए छठ पूजा की जाती है। सूर्य आराधना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है- चैत्र षष्ठी और कार्तिक षष्ठी को। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। 
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छठ पूजा से जुड़ी कहानियां 
पुराण में छठ पूजा से संबंधित एक कहानी बताई गई है। राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ, लेकिन वह मरा पैदा हुआ। 

प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने कहा, 'सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो।' राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

छठ पर्व के बारे में एक ओर कथा भी है। कथा के अनुसार, जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।


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