एडीजी के पत्र को लेकर बिहार सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा

punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 11:12 PM (IST)

पटना, पांच जून (भाषा) बिहार में प्रवासी श्रमिकों के बड़ी संख्या में आने के कारण कानून एवं व्यवस्था के बारे में जिलों को सतर्क किये जाने के संबंध में पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा जारी किये गये एक परिपत्र को लेकर शुक्रवार को राज्य की नीतीश कुमार सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। हालांकि इस परिपत्र को अब वापस लिया जा चुका है।

अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) (कानून एवं व्यवस्था) अमित कुमार ने 29 मई को एक पत्र जारी किया था और चार जून को एक पत्र के जरिये इस पत्र को अब वापस ले लिया गया है। दूसरे पत्र में कहा गया है कि पिछला पत्र ‘‘भूलवश’’ जारी किया गया था।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडे ने स्थिति को संभालने का प्रयास करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मीडिया को बताया कि सरकार का प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस मुख्यालय को विभिन्न स्रोतों से कई सूचनाएं प्राप्त होती हैं और उन्हें उपयुक्त तरीके से प्रसारित किया जाता है। ऐसा ही इस पत्र के साथ हुआ और जब यह अहसास हुआ कि इसे जारी नहीं किया जाना चाहिए था, तब इसे वापस ले लिया गया।’’
कॉन्फ्रेंस में मौजूद एडीजी अमित कुमार ने डीजीपी से सहमति जताई और कहा कि यह मामला अब समाप्त हो गया है।

बहरहाल, पत्रों की प्रतियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं जिसके बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि पत्र से पता चलता है कि सरकार श्रमिक और मानव जीवन की गरिमा में विश्वास नहीं करती है। वह लंबे समय से प्रवासियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि वे अपने गृह राज्य में द्वितीय श्रेणी के नागरिक हो।

यादव ने पूछा, ‘‘तो, क्या सरकार अब मानती है कि प्रवासियों का आर्थिक पुनर्वास असंभव है? यदि ऐसा है, तो वह उन्हें झूठे वादों के साथ दिन-प्रतिदिन गुमराह कर रही है।’’
राज्य विधानपरिषद के सदस्य और कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने एक बयान जारी कर मांग की कि मुख्यमंत्री इस मामले में माफी मांगें।



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PTI News Agency

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