शराबबंदी पर नीतीश को हाईकोर्ट से झटका

Friday, Sep 30, 2016 - 02:18 PM (IST)

पटना: पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी से संबंधित राज्य सरकार की अधिसूचना को आज असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद ने यहां राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने शराबबंदी से संबंधित 05 अप्रैल 2016 को जो अधिसूचना जारी की थी वह संविधान के अनुकूल नहीं है इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने 20 मई को इस मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

अधिवक्ताओं ने दी थी दलील
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने दलील दी थी कि राज्य सरकार ने नए उत्पाद कानून के तहत एक अप्रैल 2016 से पूरे राज्य में देसी शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया और उसके बाद चरणबद्ध ढ़ंग से विदेश शराब पर भी रोक लगाने की बात कही थी लेकिन सरकार ने अचानक पांच अप्रैल को पूरे प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के लिए अधिसूचना जारी कर दी। 

अप्रैल 2016 को एक साल के लिए दिया था लाइसेंस
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बार चलाने के लिए एक अप्रैल 2016 को एक साल के लिए लाइसेंस दिया था और उनके मुवक्किलों ने इसके लिए राशि भी जमा कर दी थी लेकिन सरकार ने अचानक विदेशी शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया जो गलत है। राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक ललित किशोर ने दलील दी कि राज्य में विदेशी शराब पर बैन भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार लगाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के आधार पर नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर सरकार ने यह फैसला लिया है और ऐसा फैसला लेना राज्य सरकार का अधिकार भी है।  

 विदेशी शराब पर की बिक्री पर लगा दी थी रोक
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 05 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर विदेशी शराब की बिक्री और उसके सेवन पर भी रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने पूर्व के शराबबंदी कानून को सख्त बनाने के उद्देश्य से नई उत्पाद नीति को राज्य के दोनों सदनों से मॉनसून सत्र में पास कराया। दोनों सदनों से पास होने के बाद राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने भी इस पर सात सितम्बर को मुहर लगा दी। यह कानून दो अक्टूबर से लागू होने वाला था। इस नए कानून में घर से शराब की एक भी बोतल बरामद होने पर परिवार के सभी व्यस्क सदस्यों के जेल जाने का प्रावधान था। 

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