देश के इस राज्य में पिछले 8 सालों में शराब पीने से 156 लोगों की मौत
punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2024 - 09:57 PM (IST)
पटनाः बिहार सरकार ने स्वीकार किया है कि अप्रैल 2016 में शराबबंदी के बाद से राज्य में अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मद्यनिषेध एवं आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। हालांकि, अधिकारी ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से 'संदिग्ध जहरीली शराब से मौतों' की संख्या 266 है। अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, राज्य में शराब तस्करों के खिलाफ चल रहे अभियान के बावजूद शराबबंदी वाले बिहार में शराब की तस्करी जारी है।
मद्य निषेध एवं आबकारी विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने पटना में यहां संवाददाताओं से कहा, "राज्य में 2016 से अब तक विभिन्न जिलों में कुल 156 'पुष्ट जहरीली शराब से मौतें' हुई हैं। पिछले आठ वर्षों में राज्य में 'संदेहास्पद जहरीली शराब से मौतों' के रिपोर्ट किये गए 266 मामलों में से 156 की पुष्टि हुई है।" उन्होंने कहा कि राज्य में सबसे अधिक जहरीली शराब से मौतों की रिपोर्ट जिन जिलों में हुई हैं, उनमें सारण, गया, भोजपुर, बक्सर और गोपालगंज शामिल हैं।
सचिव गुंजियाल ने कहा, "अगस्त 2024 तक विभाग द्वारा निषेध कानूनों के उल्लंघन से संबंधित कुल 8.43 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें राज्य के बाहर के 234 लोगों सहित कुल 12.7 लाख लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है। संबंधित अधिकारियों ने अब तक 3.46 करोड़ लीटर शराब जब्त की है, जिसमें देशी शराब भी शामिल है।" उन्होंने कहा, "अगस्त 2024 तक विभाग ने जब्त शराब का 98 प्रतिशत नष्ट कर दिया है, जो लगभग 3.38 करोड़ लीटर शराब है। विभाग ने राज्य के विभिन्न शहरों से शराब के परिवहन में इस्तेमाल किए गए 1.24 लाख वाहनों को भी जब्त किया।"
गुंजियाल ने कहा, "अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए 71,727 वाहनों की नीलामी से विभाग ने 327.13 करोड़ रुपये एकत्र किए। विभाग और पुलिस अधिकारी राज्य के कुछ जिलों में शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।" इस अवसर पर मौजूद बिहार के मद्य निषेध और आबकारी विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की हाल की टिप्पणी पर सवालों को खारिज कर दिया कि शराबबंदी से संबंधित उल्लंघनों में केवल दलितों को निशाना बनाया जा रहा है।
सदा ने कहा, "मैं उनकी (मांझी) टिप्पणियों पर क्या कह सकता हूं? जीतन राम मांझी एक वरिष्ठ नेता हैं... उन्हें ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए ... वह बड़े नेता हैं। मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनको इस तरह की बात समझ में आ रही है तो बड़े नेता से बात करें।" गौरतलब है कि मांझी ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा था कि "शराबबंदी व्यवस्था ने मुख्य रूप से गरीब, कमजोर वर्गों, विशेषकर दलितों को निशाना बनाया है, जबकि पूरे राज्य में शराब घर-घर पहुंचाई जा रही है।"