चीन में सक्रिय घरेलू आतंकवादियों के साथ आई.एस. का संपर्क बढऩे लगा

Saturday, Jul 15, 2017 - 10:13 PM (IST)

भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान का सबसे बड़ा सहयोगी और साथी अब चीन बन रहा है। पाकिस्तान सरकार ने इसे सीमा के निकट अनेक छावनियां और सड़कें बनाने के लिए जमीन भी दे रखी है तथा वह इसके अलावा भी पाकिस्तान में अनेक परियोजनाओं पर काम कर रहा है। 

चीनी नेता भारत विरोधी गतिविधियों और भारत में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकियों पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयासों को तारपीडो करके पाक को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष समर्थन दे रहे हैं परंतु वहां चल रही आतंक की फैक्टरियों की आंच अब चीन तक भी पहुंचने लगी हैै। इसका पहला संकेत 2009 में मिला जब पाक अधिकृत कश्मीर के निकट चीन के ‘झिंजियांग’ प्रांत में भीषण दंगों में 200 से अधिक और अगस्त 2011 में 25 से अधिक लोग मारे गए। तब चीनी अधिकारियों द्वारा जांच के दौरान पकड़े गए इन हमलों के लिए जिम्मेदार ‘उईघुर’ आतंकवादियों ने स्वीकार किया कि उन्हें विस्फोटक सामग्री और हथियार बनाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान में सक्रिय ‘ईस्ट तर्किस्तान इस्लामिक मूवमैंट’ (ई.टी.आई.एम.) नामक गिरोह ने दिलवाई थी। 

जांच में उक्त हमलों के पीछे पाकिस्तान में पल रहे धार्मिक कट्टïरपंथी आतंकी गिरोहों का हाथ होने की पुष्टिï के बाद चीन के राष्ट्रपति हू-जिन-ताओ ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी से फोन पर चीनी आतंकियों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण देने पर पहली बार चिंता जताई। मार्च, 2017 में एक चीनी संस्था की रिपोर्ट में बताया गया कि अपने देश को आतंकवाद से मुक्त रखने के प्रयासों के बावजूद चीन में आतंकवादी हमले और विदेशी आतंकवादी गिरोहों का दबदबा बढ़ रहा है। ‘चाइना डेली’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर और अफगानिस्तान से लगने वाले झिंजियांग में घरेलू आतंकवादी समूहों के साथ ‘इस्लामिक स्टेट’ (आई.एस.) के संपर्क बढ़ रहे हैं जिस कारण अब चीन को भी आतंकवाद का डर सताने लगा है। 

झिंजियांग में स्थिति के गंभीर होने और चीन में घरेलू एवं विदेशी आतंकवादी गिरोहों में संपर्क बढऩे के दृष्टिïगत चीन सरकार ने इस्लामिक आतंकवादियों पर शिकंजा कसने के क्रम में अनेक प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब चीन के सुदूरवर्ती पश्चिमी शहर ‘कासगर’ की सबसे बड़ी मस्जिद में इबादत के लिए जाने वालों को घूरते हुए पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मैटल डिटैक्टर से जांच के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। इसके अलावा अशांत ‘झिंजियांग’ क्षेत्र के ‘उईघुर’ मुस्लिम बहुल इलाके में दाढ़ी रखने पर आंशिक प्रतिबंध सहित सरकार ने अनेक कड़ी पाबंदियां लगा दी हैं। किसी को भी सार्वजनिक तौर पर इबादत की इजाजत नहीं है। 

वर्षों से ‘कासगर’ की केंद्रीय मस्जिद में रमजान के आखिर में आने वाली ईद की नमाज पढऩे और जश्न मनाने के लिए भीड़ उमड़ती थी लेकिन इस बार रमजान के आखिर में प्रार्थना हाल में बहुत कम लोग जुटे। यही नहीं सरकार ने ‘कासगर’ में ईद की नमाज में शामिल होने वाले लोगों को रोकने के लिए शहर में कई जगह सख्त जांच नाके भी लगाए। इस तरह के प्रतिबंधों पर टिप्पणी करते हुए स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग कहने लगे हैं कि यह मजहब के लिहाज से अच्छी जगह नहीं रही है तथा झिंजियांग चीन के मुस्लिमों के लिए एक खुली जेल में बदल चुका है जिसके बारे में चीन सरकार का कहना है कि सख्त पाबंदियां और पुलिस की भारी मौजूदगी क्षेत्र में इस्लामिक चरमपंथ व अलगाववादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए है। 

चीन भले ही भारत विरोधी गतिविधियों में पाकिस्तान का साथ दे रहा है और ‘चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरीडोर’ बनाने के अलावा पाकिस्तान को अन्य अनेक मुद्दों पर समर्थन दे रहा है लेकिन वह यह नहीं चाहता कि आतंकवाद का यह रोग उसके अपने देश में पंजे फैलाए। जिस प्रकार चीनी शासक अपने देश में आतंकवाद की आंच महसूस करते हुए उससे बचने की कोशिश कर रहे हैं, वैसा ही दृष्टिïकोण दूसरे देशों के प्रति अपनाते हुए वे यदि आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान के प्रति भी अपना कर उस पर आतंकवादी समूहों को बढ़ावा देने से रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें तो इस उप महाद्वीप में सुख-समृद्धि और शांति का नया दौर शुरू हो सकता है।—विजय कुमार 

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