नेपाल-भारत संबंधों में तनाव के लिए जिम्मेदार कौन-कौन?

Sunday, Jun 21, 2020 - 02:32 AM (IST)

उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोडऩे वाली सामरिक महत्व की 80 किलोमीटर लम्बी सड़क के 8 मई को भारत द्वारा उद्घाटन के बाद से ही भारत और नेपाल के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। इसकी तत्काल प्रतिक्रिया स्वरूप नेपाल सरकार ने उत्तराखंड में स्थित लिपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख इलाकों पर अपना दावा जता दिया है और भारत पर इन इलाकों पर अवैध कब्जा करने का आरोप भी लगा दिया। 

* 12 जून को नेपाल पुलिस के जवानों ने बिहार के सीतामढ़ी से सटी नेपाल सीमा पर कुछ भारतीयों को बेरहमी से पीटने के अलावा उन पर गोली चला दी जिससे एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई।
* 18 जून को नेपाल सरकार ने भारत के दावों को खारिज करते हुए लिपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल में दिखाने वाले विवादास्पद नक्शे को स्वीकृति प्रदान कर दी। 

* और अब 19 जून को नेपाल सरकार ने नया अड़ंगा लगाते हुए बिहार में पूर्वी चम्पारण जिले के ‘ढाका’ में नदी पर भारतीय क्षेत्र में निर्माणाधीन तटबंध के 500 मीटर हिस्से पर स्वामित्व जताते हुए इसका निर्माण रुकवा दिया है। 

नेपाल यह सब चीनी नेताओं के इशारों पर कर रहा है क्योंकि वे यह जाहिर करना चाहते हैं कि भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं और भारत सरकार अपनी कमजोरियां छिपाने के लिए पड़ोसी देशों से उलझ रही है। यह इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अक्सर चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से सलाह मशविरा करते रहते हैं और 19 जून को भी उन्होंने वीडियो कांफ्रैंसिंग द्वारा उनसे वार्ता की थी। 

हालांकि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के चंद नेताओं ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस समय जबकि भारत के साथ इनके संबंध तनावपूर्ण हैं, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से दोस्ती बढ़ाने का यह उचित समय नहीं है परंतु लगता है कि नेपाली शासकों पर इसका कुछ असर होने वाला नहीं। जहां चीनी नेताओं का यह प्रयास दुर्भावना से प्रेरित है वहीं रणनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कुछ मामलों में भारत सरकार भी नेपाल से संबंध बिगडऩे के लिए कुछ जिम्मेदार अवश्य है क्योंकि पहले पहल जब नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सीमा विवाद को लेकर भड़काऊ बयान दिए तब भारतीय नेताओं ने कहा कि पहले नेपाल को बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाना होगा। 

इससे पहले भी भारत सरकार ने यह कह कर मामला लटकाने की कोशिश की थी कि पहले कोरोना का संकट निपट जाए उसके बाद ही नेपाल से भूमि विवाद पर चर्चा की जा सकती है। कुल मिलाकर जहां चीन के उकसावे पर भारत के साथ संबंध बिगाडऩे के लिए नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ही अधिकतर जिम्मेदार हैं वहीं भारत सरकार भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार है जिसने समय रहते स्थिति को संभालने की बजाय हालात को बिगडऩे दिया।—विजय कुमार 

Advertising