सत्ता का सिंहासन हासिल करते-करते शशिकला पहुंची जेल में

Tuesday, Feb 14, 2017 - 11:47 PM (IST)

फिल्म अभिनेत्री से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की गद्दी तक पहुंची जयललिता के राजनीतिक जीवन के हर उतार-चढ़ाव में 1980 से उसका साथ दिया उसकी सहेली शशिकला नटराजन ने। ‘मन्नारगुडी माफिया’ के नाम से मशहूर शशिकला किसी समय जयललिता को उसकी पसंदीदा फिल्मों के कैसेट सप्लाई करती थी पर बाद में ये दोनों गहरी सहेलियां बन गईं। जयललिता ने शशिकला के बेटे ‘सुधाकरण’ को गोद लेकर उसकी शादी करवाई और उस पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए। बीच में दोनों के बीच कटुता भी पैदा हुई और 19 दिसम्बर 2011 को जयललिता ने शशिकला को पार्टी व अपने सरकारी निवास से निकाल दिया परन्तु वह मार्च 2012 में  माफी मांग कर पुन: जयललिता के पास आ गई। 5 दिसम्बर 2016 को जयललिता की मृत्यु के बाद शशिकला ने उसके वफादार पन्नीरसेलवम को राज्यपाल से मुख्यमंत्री पद की शपथ तो दिलवा दी परन्तु स्वयं मुख्यमंत्री बनने के उसके इरादे जल्दी ही जाहिर हो गए।

5 फरवरी को पन्नीरसेलवम द्वारा शशिकला के कहने पर पार्टी विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर नए मुख्यमंत्री के लिए शशिकला का नाम प्रस्तावित करने से यह बात सिद्ध हो गई और शशिकला को विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया। परंतु राज्यपाल के चेन्नई से बाहर होने और शशिकला के विरुद्ध चल रहे आय से अधिक सम्पत्ति के केस का फैसला 14 फरवरी के लिए लम्बित होने के कारण वह मुख्यमंत्री पद की शपथ न ले सकी। इसके बाद तेजी से हुए घटनाक्रम में जहां जयललिता की मौत को लेकर सवाल उठाए जाने लगे, वहीं पन्नीरसेलवम ने शशिकला के विरुद्ध बगावत कर दी व कहा कि उसी ने उन्हें त्याग पत्र देने के लिए विवश किया था।

इस पर जहां शशिकला ने पन्नीरसेलवम को पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया, वहीं पार्टी के 130 विधायकों को किसी रिसोर्ट पर भेज दिया गया। दूसरी ओर पन्नीरसेलवम ने भी राज्यपाल से मिल  कर अपना इस्तीफा वापस लेने तथा सदन में बहुमत साबित करने की इ‘छा व्यक्त कर दी। पन्नीरसेलवम की बगावत के बाद शशिकला ने तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव से गुहार की, कि वह जल्द से जल्द उन्हें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दें परन्तु राज्यपाल ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतजार करना ही उचित समझा। इस लड़ाई में  शशिकला जीत के प्रति पूर्णत: आश्वस्त थीं पर 14 फरवरी को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निचली अदालत का फैसला बहाल रखने से मुख्यमंत्री बनने का उसका सपना टूट गया जिसके अंतर्गत शशिकला व उसके 2 साथियों को दोषी ठहराते हुए, 4-4 वर्ष कैद, 10 करोड़ रुपए जुर्माना व तत्काल सरैंडर करने का आदेश दे दिया गया।

अब न सिर्फ उन्हें अपनी शेष साढ़े तीन वर्ष कैद की सजा काटनी होगी बल्कि 10 साल के लिए चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य भी हो गई हैं जिससे उसका राजनीतिक करियर समाप्त हो गया लगता है। सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले के बावजूद शशिकला ने पन्नीरसेलवम को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए अपने प्रयास नहीं छोड़े और दोषी ठहराए जाने के तुरन्त बाद चेन्नई से 80 कि.मी. दूर रिसोर्ट में जहां उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को ठहराया हुआ था, आपात बैठक बुलाई। इसमें पन्नीरसेलवम को अन्नाद्रमुक से निकालने व अपने विश्वासपात्र  ई.के. पलानीस्वामी को पार्टी विधायक दल का नेता चुनने के साथ ही राज्यपाल को पत्र भेज कर सरकार बनाने के लिए निमंत्रित करने का दावा पेश कर दिया है।

अब गेंद राज्यपाल के पाले में है। इस सत्ता संघर्ष का परिणाम जो भी निकले फिलहाल तमिलनाडु में स्थिति तनावपूर्ण और राजनीतिक उठा-पटक तेज हो गई है, बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं तथा लगता है कि शशिकला के जेल जाने के बाद भी वहां सत्ता संघर्ष जारी रहेगा और वहां कानून-व्यवस्था बिगडऩे और राजनीतिक अस्थिरता पैदा होने की स्थिति में राष्टï्रपति शासन भी लगाया जा सकता हैै।
—विजय कुमार

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