मणिपुर तथा देश के अन्य हिस्सों में चौतरफा हिंसा आखिर कहां से आ रही है

Monday, Jul 24, 2023 - 04:03 AM (IST)

मणिपुर में 2 महिलाओं के साथ दरिंदगी की घटना के बाद से देश में महिलाओं पर अत्याचारों को लेकर आक्रोष और बढ़ गया है। नवीनतम समाचारों के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग के पास आई शिकायतों के अनुसार मणिपुर में 4 मई से 15 मई के बीच कुकी समुदाय की महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में दरिंदगी की गई है। 4 मई को 2 महिलाओं के साथ दरिंदगी का वीडियो वायरल होने के अलावा उसी दिन एक 22 वर्षीय कुकी छात्रा तथा उसके मित्र के साथ भी दरिंदगी की गई थी। अगले दिन 5 मई को भी कोनुंग मामांग गांव की 2 महिलाओं की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। यहीं पर बस नहीं, 15 मई को भी मैतेई भीड़ ने एक 18 वर्षीय युवती के अपहरण के बाद उसका बलात्कार किया। वहां 2 अन्य महिलाओं के साथ भी दरिंदगी की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है। दूसरी ओर बंगाल तथा अन्य राज्यों में भी महिलाओं के साथ दरिंदगी किए जाने के समाचार आए हैं। भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी के अनुसार पंचायत चुनावों के दौरान बंगाल में भी महिलाओं के साथ मणिपुर जैसी 2 घटनाएं हुई हैं।

मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचारों पर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से इतने लम्बे समय तक इस मामले में कोई कार्रवाई न होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि, ‘‘मणिपुर में ऐसे सैंकड़ों केस हुए हैं पर मैं इस केस की निंदा करता हूं। हम आरोपियों को मृत्युदंड दिलाने का प्रयास करेंगे।’’ तो क्या यह माना जाए कि मणिपुर में बलात्कार हुई महिला का दुख कम है क्योंकि बंगाल में भी यही हुआ। लगभग 86 बालिकाओं से बलात्कार भारत में रोज होते हैं जबकि एक सभ्य समाज में एक भी बलात्कार नहीं होना चाहिए। 

मणिपुर तथा अन्य राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों से स्पष्ट है कि हमारे समाज में हिंसा और उत्पीडऩ की मानसिकता बढ़ती जा रही है। जहां तक मणिपुर का सवाल है, यह बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक के बीच जारी लड़ाई का परिणाम तो है ही, इसके साथ ही अफवाहों के कारण भी उपद्रवी अधिक उकसाहट में आए। मणिपुर की 73 प्रतिशत महिलाएं साक्षर तथा आर्थिक रूप से अत्यंत मजबूत हैं और उन्हीं को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि इतनी हिंसा और महिलाओं के इस कदर दमन का स्रोत कहां है? लगभग यही स्थिति अन्य राज्यों में भी है। महिलाओं पर बढ़ रही हिंसा और उत्पीडऩ का एक कारण यह भी है कि देश में बलात्कार के जितने केस दर्ज होते हैं और उनमें से बहुत कम मामलों में ही दोषियों को सजा मिलती है जो 27 प्रतिशत के लगभग है। 

सामान्यत: जहां तानाशाही होती है वहां महिलाओं को दमन का शिकार होना पड़ता है परंतु भारत जैसे लोकतंत्र में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना तो एक ओर उन्हें पीछे धकेलने और उन्हें अपनी ङ्क्षहसा का एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। आखिर यह मानसिकता कहां से आ रही है? देश की स्वतंत्रता के बाद हमने नारी साक्षरता, अर्थव्यवस्था, गरीबी उन्मूलन, रोजगार आदि प्रत्येक क्षेत्र में  भारी प्रगति की है, अत: इस सबके बावजूद सवाल पैदा होता है कि लोगों में इतनी हताशा कहां से आ रही है? क्या यह समाज में व्याप्त आर्थिक हताशा का परिणाम है या राजनीतिक हताशा का? ऐसे मामलों का एक बड़ा कारण यह भी है कि लोगों को लगता है कि कोई भी अपराध करके वे आसानी से बच कर निकल जाएंगे। क्या समाज में यह संदेश जा रहा है कि हम जितनी हिंसा करेंगे, उसके विरुद्ध दूसरे पक्ष के लोग उसकी उतनी ही तीव्र प्रतिक्रिया नहीं करेंगे? और वे पुलिस को रिपोर्ट नहीं करेंगे और या फिर इस तरह के केस ही इतने अधिक हैं कि ऐसा करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई ही नहीं होगी। 

क्या इसका कारण यह है कि कानून और पुलिस का डर लोगों के दिल से निकल गया है, या इस तरह के अपराध एक-दूसरे के उकसावे के कारण किए जा रहे हैं या इसके पीछे राजनीतिक प्रोत्साहन का हाथ है या पुलिस की भीड़? दो महीनों में भी मणिपुर की पुलिस ने न कोई बलात्कारी पकड़ा और न झूठा वीडियो चलाने वालों को गिरफ्तार किया जिसके कारण ये सारा दुखद अध्याय शुरू हुआ। सबसे खतरनाक बात यह है कि जिस भी समाज में ऐसी हिंसा की भावना आ जाती है उसे समाप्त करना बहुत कठिन हो जाता है। नाजी जर्मनी में अभी भी ‘नियो नाजी’ बन रहे हैं और अमरीका में गोरों का दबदबा (व्हाइट सुप्रीमैसी) अभी भी जारी है। इस प्रकार के हिंसक विचारों और हिंसक कृत्यों की मानसिकता वाले समूहों को समाप्त नहीं किया जा सकता और ये दोबारा किसी न किसी रूप में हर जगह सिर उठाते रहते हैं। हमारे सामने इसका एक ज्वलंत उदाहरण अफ्रीका के कई देश हैं। हालांकि इन्हें स्वतंत्रता भारत के आसपास ही मिली परंतु वहां के समाज में अत्यधिक ङ्क्षहसा आ जाने के कारण अभी तक वहां स्थायित्व नहीं आ पाया है।

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