कांग्रेस और भाजपा के अंदर झगड़े ही झगड़े आखिर कब थमेगा यह सिलसिला

Thursday, Jun 24, 2021 - 04:04 AM (IST)

देश के दोनों बड़े राजनीतिक दलों कांग्रेस व भाजपा में टूटन और बगावत लगातार जारी है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू, मंत्रियों चरणजीत सिंह चन्नी और सुखजिंद्र सिंह रंधावा व विधायक परगट सिंह आदि ने मु यमंत्री अमरेंद्र सिंह के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है। 

इनकी कलह दूर करने के लिए मल्लिकार्जुन खडग़े, जे.पी. अग्रवाल तथा पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत पर आधारित कांग्रेस की तीन सदस्यीय समिति मु यमंत्री अमरेंद्र सिंह सहित पंजाब के 100 से अधिक नेताओं से बात करने के बावजूद अभी तक मसला सुलझाने में विफल रही है। 22 जून को दिल्ली में बेनतीजा समाप्त हुई तीन सदस्यीय कमेटी के साथ बैठक में कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने नवजोत सिद्धू को ही फसाद की जड़ बताया तथा कहा कि उनकी ओर से सिद्धू को कोई भी पद नहीं दिया जा सकता। 

पंजाब की भांति ही राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व उपमु यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद थम नहीं रहा तथा पायलट के समर्थक विधायक व बसपा से गत वर्ष कांग्रेस में शामिल हुए विधायक मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए गहलोत पर दबाव डाल रहे हैं। इस मामले में गहलोत समर्थक 13 निर्दलीय व बसपा से आए 6 विधायकों ने पायलट धड़े के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है जिनमें से 12 विधायकों ने पायलट धड़े पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। बिहार कांग्रेस में भी घमासान जोरों पर है और पार्टी की कलह दिल्ली दरबार तक जा पहुंची है। पार्टी के एक गुट का मानना है कि चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा जिम्मेदार हैं। 

भाजपा को भी अंतर्कलह तथा 3 गठबंधन सहयोगियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है जिसे दूर करने की जि मेदारी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल रखी है। इसी सिलसिले में उन्होंने न सिर्फ उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को बदला है बल्कि उत्तर प्रदेश में चल रही उठापटक पर काबू पाने का भी प्रयास किया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी पूर्व आई.ए.एस. अफसर ए.के. शर्मा को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा पर मु यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें दिल्ली बुलाकर उनकी शंकाओं का समाधान किया और शर्मा को प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष का पद देकर उनके उपमु यमंत्री बनाए जाने की चर्चाओं पर विराम लगाया है।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ भी योगी आदित्यनाथ की अनबन की खबरों के बीच आदित्यनाथ 22 जून को अचानक उनके घर जा पहुंचे और उनके परिवार के सदस्यों के साथ खाना खाया। हालांकि यह मौका केशव प्रसाद मौर्य के बेटे को विवाह पर बधाई का था परंतु जानकारों का कहना है कि इस भोज-राजनीति के बहाने दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव दूर करने की कोशिश भाजपा नेतृत्व ने की है। 

उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपने 3 गठबंधन सहयोगियों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है। ‘निषाद पार्टी’ के अध्यक्ष संजय निषाद ने उन्हें विधानसभा चुनाव में डिप्टी सी.एम. का चेहरा बनाने की मांग कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह तथा पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डïा से राज्य व केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक-एक मंत्री पद की मांग करने के अलावा उन्होंने भाजपा द्वारा उनकी मांग न मानने पर गठबंधन से अलग होकर चुनाव लडऩे पर विचार करने की चेतावनी भी दे दी है।

अपने कार्यकत्र्ताओं पर दर्ज मुकद्दमे वापस लेने की मांग के अलावा संजय निषाद ने कहा है कि ‘‘यदि हमारा समुदाय दुखी हुआ तो 2022 में बड़ी मुश्किल होगी।’’ इसी प्रकार ‘अपना दल’ की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी प्रदेश मंत्रिमंडल में ‘अपना दल’ का कोटा बढ़ाने की मांग अमित शाह के समक्ष रखी है। ‘सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी’ के नेता ओ.पी. राजभर ने भी भाजपा पर समाज के पिछड़े वर्गों से धोखा करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह अब भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। 

पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस से दलबदली करके भाजपा में आए नेताओं द्वारा वापस तृणमूल कांग्रेस में लौटने का सिलसिला शुरू हो जाने के बाद भाजपा नेतृत्व में ङ्क्षचता व्याप्त हो गई है।

कुल मिलाकर दोनों ही बड़े दलों कांग्रेस और भाजपा में व्याप्त असंतोष, कलह और टूटन जारी है जो किसी भी दृष्टिï से इन दोनों दलों और देश के हित में नहीं है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए देश में मजबूत सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ मजबूत विपक्ष का होना भी उतना ही जरूरी है। मजबूत विपक्ष सत्तारूढ़ दल को मनमानी करने से रोकता है। इससे भ्रष्टïाचार व अनियमितताएं कम होती हैं। अत: दोनों ही दलों पर अपनी अंतर्कलह समाप्त कर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास करना चाहिए।—विजय कुमार 

Advertising