चुनाव निकट आए तो नेताओं को ‘भगवान याद आने लगे’

Sunday, Aug 05, 2018 - 03:45 AM (IST)

आपसी गठबंंधनों आदि के प्रयास शुरू कर दिए हैं वहीं मंदिरों आदि में दर्शनों के लिए भी जा रहे हैं जैसा कि गत वर्ष गुजरात के चुनावों के दौरान देखने को मिला था।

इनमें भाजपा शासित राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण  हैं जहां वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। दोनों ही राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकारें बचाने के लिए और कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। दोनों ही दलों के शीर्ष नेता अन्य उपायों के अलावा विभिन्न मंदिरों और धर्मस्थलों की यात्रा करके लोगों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी ‘जन संवाद यात्रा’ के सिलसिले में 16 जुलाई को डूंगरगढ़ के प्रसिद्ध श्रीनाथ मंदिर में गईं। वहां उन्होंने 50 संतों को शाल और श्रीफल भेंट करके उनका अभिवादन किया तथा ‘‘म्हारे ऊपर पूरो आशीर्वाद रकजू’’ कहते हुए उनसे आशीर्वाद की याचना की और संतों ने कहा, ‘‘विजयी भव:।’’ वसुंधरा ने राज्य के 16 जिलों में 50 से अधिक जनसंवाद सभाएं की हैं। इस दौरान वह सभी जगह कम से कम एक मंदिर में अवश्य गईं और अब 4 अगस्त को उन्होंने चुनावों में पिछली सफलता दोहराने के लिए राजसमंद में भगवान विष्णु को समर्पित चारभुजा मंदिर से ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ आरंभ की है जिसका उद्घाटन अमित शाह ने किया। वसुंधरा का इस यात्रा के दौरान राज्य के सभी 7 डिवीजनों में स्थित मंदिरों में जाने का कार्यक्रम है। 

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कुछ महीनों के दौरान अनेक मंदिरों की यात्रा की है तथा राहुल गांधी भी राजस्थान के मंदिरों की यात्रा की योजना बना रहे हैं। कुछ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पार्टी नेता अतीत में हमेशा ही मंदिरों में दर्शनों के लिए जाते रहे हैं परंतु चूंकि राहुल गांधी ने 25 सितम्बर, 2017 को गुजरात का चुनावी दौरा द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर से शुरू किया था, लिहाजा अब इन यात्राओं को अधिक ही उभारा जा रहा है। अढ़ाई महीनों के प्रचार अभियान के दौरान राहुल गांधी 27 मंदिरों में गए थे। वास्तव में राहुल गांधी से लेकर अमित शाह और वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान तक सभी ने मंदिर दर्शन को अपनी प्रचार यात्राओं का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। 

इन दिनों शिवराज सिंह चौहान की ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ जारी है। अपने इस प्रचार अभियान के दौरान वह उस क्षेत्र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंदिर में अवश्य जाते हैं व उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अत्यंत आस्था रखते हैं। राहुल गांधी इसी महीने सीकर में स्थित खाटू श्याम जी मंदिर से अपनी पार्टी का राजस्थान चुनाव अभियान शुरू करने वाले हैं जबकि सितम्बर के पहले सप्ताह में वह खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से मध्य प्रदेश में चुनाव अभियान का श्रीगणेश करेंगे। कांग्रेस के नेताओं में भी मध्य प्रदेश के मंदिर काफी लोकप्रिय हैं। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ व चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अनेक नेता यहां दर्शनों को आ चुके हैं। 

1 मई को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के अगले दिन ही कमलनाथ महाकालेश्वर मंदिर में गए और वापसी पर दतिया के पिताम्बरा शक्तिपीठ में भी नतमस्तक हुए। 1 अगस्त को उन्होंने विंध्य क्षेत्र का दौरा ‘मल्हार’ स्थित मां शारदा मंदिर से शुरू किया। इसी प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी 11 मई को अपनी एक सप्ताह तक चलने वाली ‘परिवर्तन यात्रा’ महाकाल मंदिर में 2 घंटे की लम्बी अवधि तक चली पूजा के बाद शुरू की तथा धार, इंदौर और सीहोर जिलों की यात्रा के दौरान वहां स्थित मंदिरों में भी गए। 

मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के साथ अपनी न्याय यात्रा का दूसरा चरण चित्रकूट में भगवान राम को समर्पित कामता नाथ मंदिर में दर्शनों के बाद शुरू किया था। उक्त परिदृश्य से यही निष्कर्ष निकलता है कि जब भी कोई कठिन या परीक्षा की घड़ी आती है तो नेतागण भी आम लोगों की तरह भगवान की शरण में जाना ही बेहतर मानते हैं।—विजय कुमार  

Pardeep

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