लाला जी के बलिदान दिवस पर जब गांधी जी ने चेतावनी दी कि सत्याग्रहियों में कोई शराब पीने वाला न हो

Thursday, Sep 09, 2021 - 03:51 AM (IST)

पूज्य पिता अमर शहीद लाला जगत नारायण जी को हमसे बिछुड़े हुए आज 39 वर्ष हो गए हैं। नि:संदेह आज वह हमारे बीच नहीं हैं परंतु ‘पंजाब केसरी समूह’ पर उनका आशीर्वाद आज भी उसी तरह बना हुआ है। प्रतिवर्ष उनकी पुण्यतिथि पर हम किसी सामाजिक-राजनीतिक कुरीति को उजागर करने वाला उनका लिखा हुआ लेख प्रकाशित करते हैं। अब जबकि अगले माह हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाने जा रहे हैं, हम पूज्य पिता जी द्वारा गांधी जी से उनकी भेंट और शराब की बुराई से संबंधित ‘पंजाब केसरी’ के 2 अक्तूबर, 1971 के अंक  में प्रकाशित संपादकीय अपनी श्रद्धांजलि के रूप में यहां उद्धृत कर रहे हैं : 

‘‘महात्मा गांधी का जन्मदिन’’ 
‘‘2 अक्तूबर को हम महात्मा गांधी का जन्मदिन हर वर्ष मनाते हैं और उस दिन जहां हम गांधी जी के भारत वर्ष पर उपकारों को स्मरण करते हैं, वहां हमें कांग्रेस के भारतीय नेताओं की ओर से यह भी उपदेश दिया जाता है कि हमें महात्मा गांधी के बताए हुए न केवल रास्ते पर चलना चाहिए बल्कि उनके द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को भी अपनाने का यत्न करना चाहिए। 
‘‘मगर ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है हम जहां गांधी जी के उपकारों को भूल रहे हैं, वहीं केंद्रीय सरकार के प्रमुखों से ले कर कांग्रेस वर्करों के निचले तबके तक महात्मा गांधी के सिद्धांतों की न केवल अवहेलना की जा रही है बल्कि यह कोशिश की जा रही है कि महात्मा गांधी और उनके बताए हुए रास्ते को न अपनाना ही देश हित में है। 

‘‘महात्मा गांधी ने जहां देश को आजादी दिलाई वहीं उन्होंने कांग्रेस संस्था में पवित्रता, देशभक्ति और सादगी लाने की भी कोशिश की। कांग्रेस का सदस्य बनने के लिए जहां गांधी युग में हाथ से बुना और हाथ से कता हुआ खद्दर पहनना जरूरी व चर्खा कातना आवश्यक था वहीं कांग्रेस का सदस्य वही बन सकता था जो शराब व अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करता हो। 
‘‘जब मैं पंजाब के व्यक्तिगत सत्याग्रहियों की सूचियां लेकर गांधी जी के पास पहुंचा था तो उन्होंने सारी सूची को देख करके जहां पूर्ण संतोष व्यक्त किया था, वहीं मुझे सूची पर पुनॢवचार करने की हिदायत सिर्फ इसलिए दी कि उस सूची में कोई शराब पीने वाला सत्याग्रही नहीं होना चाहिए। 

‘‘मुझे उन्होंने कड़ी वाॄनग दी कि अगर मैंने किसी शराब पीने वाले व्यक्ति को सत्याग्रह की सूची में शामिल रखा होगा तो मेरे विरुद्ध सख्त एक्शन लिया जाएगा। महात्मा जी की इस कड़ी हिदायत को सामने रखते हुए मैंने पंजाब के सत्याग्रहियों की सूची में से कुछ नाम काट दिए। गांधी जी ने मुझे उसके लिए आशीर्वाद दिया व शेष सूची ज्यों की त्यों स्वीकार कर ली। 
‘‘मगर आज इस देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस की सरकार शराबनोशी पर कोई बंदिश लगाने को तैयार नहीं हालांकि हमारे संविधान में शराब पर पाबंदी लगाने की व्यवस्था है। 

गांधी जी अगर आज हमारे मध्य होते तो उन्होंने केंद्रीय सरकार और प्रदेश सरकारों की इस नीति के विरुद्ध न केवल आंदोलन करना था बल्कि इसके विरुद्ध उन्होंने मरणव्रत रख कर कांग्रेसी सरकारों को विवश करना था कि वे शराबनोशी को हर हालत में बंद करें। ‘‘एक जमाना था कि चीन के लोग अफीमची कहे जाते थे मगर आज माओ-त्से-तुंग के राज में चीन में शराबनोशी और अन्य मादक पदार्थों का सेवन सरकार की ओर से बिल्कुल वर्जित है। 

‘‘हाल ही में चीन के दौरे से लौटे सान फ्रांसिस्को के एक हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा है कि उन्होंने वहां किसी भी व्यक्ति को शराब पीते, अन्य मादक पदार्थों का सेवन करते, वेश्यावृत्ति करते या भीख मांगते नहीं देखा। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दस वर्षों में चीन में छूत की बीमारियों का कोई केस देखने में नहीं आया है। 
‘‘आज चीन की गणना संसार के तीन बड़े देशों में केवल मात्र इसलिए हो रही है कि वहां की सरकार शराब और अन्य मादक पदार्थों के प्रयोग के विरुद्ध है और वहां के लोग अपनी सरकार के आदेशों पर चल कर अपने देश को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 

‘‘आज जो भारत वर्ष में ला-एंड आर्डर की हालत पतली होती चली जा रही है, उसका मुख्य कारण शराबनोशी और अन्य मादक पदार्थों का सेवन है। महात्मा गांधी ने तो हमारे लिए बहुत से उच्च सिद्धांत पालन करने के लिए रखे थे मगर हम दुर्भाग्य से उस मार्ग से भटक गए हैं।
‘‘आज के दिन जब हम महात्मा गांधी का जन्मदिन मना रहे हैं हमें और हमारे कांग्रेसी नेताओं व वर्करों को यह सोचना होगा कि जिस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस देश को आजादी लेकर दी और जो सिद्धांत उन्होंने अपने जीवन में अपनाने के लिए कहा था, हम उनको अपना रहे हैं या नहीं? 
‘‘अगर नहीं अपना रहे हैं तो हमें आज के दिन उन्हें अपनाने की शपथ लेनी चाहिए ताकि हम राष्ट्रपिता के बताए हुए मार्ग से भटक न जाएं और यह देश फिर किसी दूसरे देश का गुलाम न बन जाए। — जगत नारायण’’ 

पाठक इस बात से सहमत होंगे कि उक्त लेख में पूज्य पिता जी की लिखी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय थीं। गांधी जी की नामलेवा सरकारें उनके चरण चिन्हों पर चलने का दम तो भरती हैं परंतु उनके आदर्शों पर चलती नहीं। यदि वे गांधी जी के आदर्शों पर चलतीं तो आज देश में सम्पूर्ण नशाबंदी लागू हो चुकी होती और शराब से होने वाली मौतों के कारण असंख्य परिवार उजडऩे से बच जाते।—विजय कुमार 

Advertising