अपने हवा-पानी की स्वच्छता के लिए हमें बहुत प्रयास करने होंगे

punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2019 - 03:15 AM (IST)

16 वर्षीय स्वीडन वासी ग्रेटा टुनबर्ग जो पर्यावरण की सुरक्षा की खातिर मांस नहीं खातीं और न ही विमान में यात्रा करती हैं, गत दिवस शून्य उत्र्सजन करने वाली याट पर सवार होकर न्यूयॉर्क पहुंचीं। शुक्रवार को उन्होंने 1.1 मिलियन छात्रों के साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया जहां 23 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संरक्षण शिखर सम्मेलन होने वाला है। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी भाषण देंगे। उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प इस सम्मेलन में शामिल होने की बजाय एक धर्म संबंधी सम्मेलन में भाग लेंगे। 

वास्तव में ‘फ्राइडेज फॉर एन्वायरनमैंट’ नामक इस आंदोलन में सर्वाधिक गैस उत्सर्जन करने वाले देश चीन के सिवाय सभी देशों के छात्र शामिल हुए। इसकी शुरूआत शुक्रवार सुबह को आस्ट्रेलिया में हुई जहां सभी बड़े शहरों के छात्रों ने बड़ी संख्या में आगे आकर सरकार से सौर ऊर्जा को अपनाने की मांग की लेकिन चूंकि आस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था तेल पर निर्भर है इसलिए आस्ट्रेलिया के एक मंत्री ने खुले तौर पर छात्रों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें स्कूलों में होना चाहिए। इस पृष्ठïभूमि में सरकार से इस संबंध में कुछ अधिक किए जाने की आशा नहीं है। 

दिन आगे बढऩे के साथ ही एशिया में हांगकांग और मलेशिया से लेकर भारत और अन्य देशों में छात्र सड़कों पर उतर आए और ग्लोबल वाॄमग के बढऩे के दृष्टिïगत अफ्रीका और यूरोप में छात्रों ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी-अपनी सरकारों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए दबाव डाला। चूंकि पर्यावरण संरक्षणके लिए बातों की नहीं बल्कि काम करने की आवश्यकता है। लिहाजा ब्राजीलियन वर्षा वनों में लगी हुई आग के दृष्टिïगत अमरीका और दक्षिण अमरीका से भी छात्र ग्रेटा के समर्थन में निकल आए। जबकि भारतीय शहरों में स्थिति कुछ अच्छी दिखाई दे रही है जिसमें दिल्ली में पी.एम.-2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से कम आकार के खतरनाक कण प्रति घन मीटर के अनुसार) का स्तर 450-500 से लेकर 150-200 तक है लेकिन इस मामले में अभी बहुत कुछ करना बाकी है क्योंकि 50 से कम का स्तर ही सामान्य माना जाता है। 

हालांकि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पैदा करने वाले औद्योगिक र्ईंधन पर प्रतिबंध लगाने, एक निश्चित समय अवधि के दौरान वाहनों का इस्तेमाल सीमित करने और कुछ पावर स्टेशनों को बंद करने जैसे कुछ पग उठाए हैं और इसके साथ ही राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों ने बाहरी माल वाहक वाहनों के लिए राजधानी से दूर 2 महत्वपूर्ण पैरीफेरी रोड खोलने का स्वागत योग्य कदम उठाया है परंतु हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि हम भारत में केवल वायु प्रदूषण का ही नहीं बल्कि जल प्रदूषण की समस्या का भी सामना कर रहे हैं। संभवत: सरकार अब यदि पंजाब में फसल जलाने से होने वाले 62 प्रतिशत उत्सर्जन को स्वीकार कर लेती है तो इससे उत्सर्जन कम करने के लिए बायोमास संयंत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 17 प्रतिशत प्रदूषण हरियाणा के क्षेत्र में भी पैदा किया जा रहा है। 

अब जबकि दीवाली आने वाली है तो इसमें और वृद्धि होगी लिहाजा भारतीय नागरिकों और सरकार को इस मामले में और अधिक प्रयास तथा सोच-विचार करना होगा कि हमें अपनी हवा और पानी की स्वच्छता के लिए और कौन सी योजनाएं बनाने और पग उठाने की आवश्यकता है। यदि एक 16 वर्षीय ग्रेटा संयुक्त राष्टï्र को हरकत में ला सकती है ताकि सब लोग बेहतर हवा में सांस ले सकें तो फिर वैज्ञानिक और सरकारें क्यों नहीं?


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