भारतीय अदालतों के भीतर और बाहर बढ़ रही हिंसक घटनाएं

Thursday, Aug 18, 2022 - 03:59 AM (IST)

भारतीय अदालत परिसरों व उनके आस-पास अपराधी गिरोहों तथा अन्य  लोगों द्वारा गोलीबारी और हिंसा का सिलसिला कुछ समय से शुरू हुआ है जिससे अब अदालतें भी सुरक्षित नहीं रह गईं। इसका अनुमान मात्र 3 सप्ताह के भीतर सामने आईं निम्र 3 घटनाओं  से लगाया जा सकता है : 

* 27 जुलाई को कानपुर अदालत परिसर में बार एसोसिएशन के महामंत्री अनुराग श्रीवास्तव पर दूसरे वकीलों ने बाहरी लोगों के साथ मिल कर हमला बोल दिया। इनमें से एक आरोपी ने रिवाल्वर से गोली चला दी परंतु निशाना चूक गया। इसके बाद आरोपितों ने महामंत्री से हाथापाई करके उसकी शर्ट फाड़ दी और उसके हाथ में भी चोट आ गई। 

* 13 अगस्त को कर्नाटक के हासन जिले में शिव कुमार नामक व्यक्ति ‘होलेनरासीपुरा’ के अदालत परिसर में अपनी पत्नी चैत्रा से तलाक केस की सुनवाई के बाद काऊंसङ्क्षलग के दौरान पहले तो विवाद सुलझाने को मान गया और दोनों पक्षों ने अपने 2 बच्चों की खातिर तलाक की अर्जी वापस लेने और इकट्ठे रहने पर सहमति व्यक्त कर दी। 
सुलह-सफाई के बाद जब पत्नी चैत्रा बाथरूम गई तो शिव कुमार भी उसके पीछे-पीछे वहां पहुंच गया और उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमले कर उसका गला काट डाला जिससे उसकी मृत्यु हो गई। 

* 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश में हापुड़ की अदालत में हरियाणा से पेशी भुगताने के लिए लाए गए लाखन उर्फ यशपाल नामक हिस्ट्रीशीटर को अदालत के गेट पर पुलिस वाहन से उतार कर जैसे ही उसके साथ आए हरियाणा के 5 सुरक्षा कर्मी उसे अंदर ले जाने लगे तो उसी समय वहां पहले से ही घात लगाए बैठे 3 बदमाशों ने उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसे ढेर कर दिया। इस घटना में ओम प्रकाश नामक हरियाणा पुलिस का एक सिपाही भी घायल हो गया। 

यहां 3 घटनाओं का उदाहरण दिया गया है परंतु देश की अदालतों के भीतर और बाहर इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं जो अपराधियों के बुलंद हौंसलों व सुरक्षा प्रणाली में खामियों का मुंह बोलता प्रमाण हैं। अत: जहां अदालत परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता है वहीं अनेक अदालतों में अभी कैमरे भी नहीं लगे हैं और जो लगे हैं, उनमें से अधिकांश काम नहीं कर रहे, जिनका चालू हालत में होना अदालतों में सुरक्षा के लिए जरूरी है।—विजय कुमार

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