स्कूल-कालेजों के छात्रों में बढ़ रहा हिंसा और खून-खराबे का रुझान

Thursday, Sep 30, 2021 - 04:11 AM (IST)

देश के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों में हिंसा के रुझान में लगातार वृद्धि हो रही है जिसके परिणामस्वरूप वे अपने ही सहपाठियों की हत्या तक करने में संकोच नहीं कर रहे : 

* 22 जनवरी, 2021 को हरियाणा में होडल के एक शिक्षा संस्थान के छात्र ने अपने ही कालेज की छात्रा के प्रति ईष्र्या की भावना के चलते उसे मार डाला। 
* 31 मार्च को तमिलनाडु के थेनी जिले के सरकारी हायर सैकेंडरी स्कूल में एक छात्र ने अपने सहपाठी को पीट-पीट कर मार डाला। 
* 1 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक 14 वर्षीय छात्र ने अपने सहपाठी से बदला लेने के लिए उससे हुए झगड़े के तीन महीने बाद स्कूल के सामने देसी तमंचे से गोली मार कर उसकी हत्या कर दी।
* 18 सितम्बर को हरियाणा में गन्नौर के एक स्कूल में एक छात्र ने मामूली सी बात पर अपने एक सहपाठी को चाकू मार कर घायल कर दिया। 
* और अब 28 सितम्बर को गन्नौर में पिपलीखेड़ा के सरकारी स्कूल में 11वीं कक्षा के एक छात्र ने बैंच पर बैठने को लेकर हुए विवाद में अपने सहपाठी तथा उसके सगे भाई पर चाकू से हमला कर दिया जिससे सहपाठी की मौत हो गई। 

फिल्मों, टी.वी. तथा इंटरनैट पर दिखाई जाने वाली हिंसा और मारधाड़ से भरपूर सामग्री देखकर बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है वहीं पबजी जैसे खतरनाक गेम्स की वजह से भी बच्चे अधिक आक्रामक हो रहे हैं। अत: बच्चों को किताबी शिक्षा के अलावा सहनशीलता व नैतिकता का पाठ पढ़ाने की भी जरूरत है। 

अत: जहां संचार माध्यमों पर हिंसा और मारधाड़ वाली सामग्री के प्रदर्शन पर रोक लगाने की आवश्यकता है वहीं बच्चों के लैपटाप, कम्प्यूटर और मोबाइल फोनों पर भी अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए। इसके साथ ही यह भी यकीनी बनाया जाए कि हथियार बच्चों के हाथों में न पड़ें और हर आयु के अपराधी कानून के दायरे में लाए जाएं।—विजय कुमार

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