थमती नहीं दिख रही मणिपुर में चार महीनों से जारी हिंसा

Tuesday, Aug 29, 2023 - 05:41 AM (IST)

19 अप्रैल, 2023 को मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर अपनी सिफारिशें पेश करने का निर्देश देने के विरुद्ध आदिवासी और गैर आदिवासियों के बीच 3 मई से शुरू हुई हिंसा 117 दिनों के बाद भी जारी है। इसमें अभी तक 185 के लगभग लोग मारे जा चुके हैं तथा लम्बे समय से विरोधी दल राज्य की बीरेन सिंह सरकार (भाजपा) को बर्खास्त करने की मांग करते आ रहे हैं। मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी स्वीकार किया है कि ऐसी हिंसा उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी।

नगा और कुकियों का तर्क है कि जनजाति का दर्जा मिलने से मैतेई लोग न सिर्फ आवश्यकता से अधिक नौकरियां और लाभ प्राप्त कर लेंगे बल्कि नगा और कुकियों के जंगलों की जमीन पर भी कब्जा कर लेंगे। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर दौरे के दौरान पीड़ितों को राहतों और राज्य के लिए 101.75 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा तथा अनेक कुकी और मैतेई प्रतिनिधिमंडलों से बातचीत के कई दौर के बाद भी ङ्क्षहसा थमी नहीं है तथा अस्थायी राहत शिविरों में रहने वाले लोग सरकार से यह समस्या तुरंत सुलझाने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने घरों को लौट सकें।

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर में शांति के लिए संसद के संयुक्त प्रस्ताव का आह्वान करने के बाद 10 अगस्त को कुकी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे भेंट की थी, जिसके बाद कुकी आदिवासी नेताओं के संगठन ‘इंडिजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आई.टी.एल.एफ.) के प्रवक्ता ‘ङ्क्षगजा वाउलजोंग’ ने कहा कि ‘‘हम पर हमला करके मैतेई लोगों ने हथियार लूटे हैं और हमें राज्य पुलिस के कमांडोज पर भरोसा नहीं है।’’

मणिपुर संघर्ष की शुरूआत के बाद से ही कुकी अपनी तबाही में राज्य सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं तथा 10 कुकी विधायकों ने 16 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन देकर पहाड़ी जिलों के लिए अलग मुख्य सचिव व पुलिस प्रमुख नियुक्त करने की मांग करते हुए कहा कि मैतेई समूहों से उन्हें जान का खतरा है। इस बीच मणिपुर में 26 अगस्त को देर रात लगभग 2 बजे अज्ञात लोगों ने पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक के. राजो के आवास की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों से 2 ए.के. सीरीज की राइफलें और एक कार्बाइन छीन ली, जबकि अगले दिन 27 अगस्त को राजधानी इम्फाल के ‘न्यू लाम्बुलाने’ इलाके में अज्ञात लोगों ने खाली पड़े 3 मकानों में आग लगा दी।

ऐसे माहौल के बीच जहां राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, जो मैतेई हैं, ने कहा है कि राज्य सरकार ङ्क्षहसा के पीड़ितों के लिए उसी स्थान पर मकान बनाने की योजना लेकर आई है, जहां वे नष्ट होने से पहले स्थित थे। मणिपुर के कुकी-मैतेई विवाद के बीच केंद्र सरकार शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की भी कोशिश कर रही है। मैतेई संगठनों पर अच्छा प्रभाव रखने वाली ‘द कोआर्डीनेटिंग कमेटी आन मणिपुर इंटैग्रिटी’ (सी.ओ.सी.ओ. एम.आई.) के प्रतिनिधिमंडल से हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने भेंट की थी जिसके बाद इसके प्रवक्ता अथौबा ने कहा है कि वह कुकी समुदाय से जुड़े संगठनों से बात करने की संभावना से इंकार नहीं करते।

दूसरी ओर ‘इंडिजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आई.टी.एल.एफ.) के प्रवक्ता ‘गिंजा वुएलजोंग’ ने कहा है कि ‘‘मैतेई समुदाय की कुकियों पर ज्यादतियां देखते हुए उनके साथ बातचीत की मेज पर बैठना असंभव है।’’ राज्य में अगले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं। राज्य की बीरेन सिंह सरकार ने इस संघर्ष का राजनीतिक समाधान खोजने की दिशा में केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है, जिसके अनुसार वह राज्य में वर्तमान हिल काऊंसिल को अधिक स्वायत्तता देने के लिए तैयार है लेकिन क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।  

राज्यपाल ने 29 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाया है जिसमें मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अखंड मणिपुर का प्रस्ताव ला सकते हैं परंतु मणिपुर के 2 प्रमुख आदिवासी संगठनों आई.टी.एल.एफ. तथा सी.टी.यू. ने सरकार से अपील की है कि राज्य में सामान्य स्थिति बहाल होने तक और कुकी समुदाय के पूर्णत: संतुष्टï होने तक विधानसभा सत्र स्थगित किया जाना चाहिए। इस तरह के हालात के बीच फिलहाल मैतेई और कुकी समुदायों में मतभेदों की खाई इतनी गहरी है कि किसी भी शांति वार्ता का भविष्य अस्पष्टï ही दिखाई देता है। -विजय कुमार 

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