‘उत्तर प्रदेश में गुंडाराज’ पहले भी था और अब भी है

Saturday, Jul 04, 2020 - 10:46 AM (IST)

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश को गुंडाराज से मुक्ति दिलाने के लिए अपराधी तत्वों के एनकाऊंटर शुरू किए थे पर इनका कहर अब तक जारी है। इसका नवीनतम प्रमाण 2-3 जुलाई की मध्य रात्रि को मिला जब कानपुर के दिकरू गांव में पुलिस हिस्ट्रीशीटर ‘विकास दुबे’ को पकडऩे गई तो वहां घात लगाए बैठे ‘विकास दुबे’ गिरोह के बदमाशों ने चारों ओर से उन्हें घेर कर उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं जिससे डी.एस.पी. देवेंद्र मिश्रा और थाना प्रभारी सहित 8 पुलिस कर्मी शहीद तथा 5 अन्य गंभीर घायल हो गए। ‘विकास दुबे’ बारे कहा जाता है कि 2001 में उसने भाजपा सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला को थाने के अंदर घुस कर गोलियों से भून डाला था लेकिन पुलिस और कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए तथा कुछ महीने के बाद वह जमानत पर बाहर आ गया था।

इस समय उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उसके विरुद्ध हत्या, हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों में 52 से अधिक मामले दर्ज हैं। उसकी पहुंच सभी राजनीतिक दलों के बीच बताई जाती है। कुछ नेताओं के संरक्षण में उसने राजनीति में प्रवेश की कोशिश भी की थी। जहां अचानक हुए इस हमले से उत्तर प्रदेश की पुलिस हिल गई है वहीं इस मामले में कुछ सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि इतने बड़े गैंगस्टर को पकडऩे गई पुलिस के पास किसी भी तरह का कोई ‘प्रोटैक्टिव गियर’ क्यों नहीं था। यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि बदमाशों को पुलिस के आने की भनक कैसे लगी जिसके बारे में उत्तर प्रदेश के डी.जी.पी. एस.पी. अवस्थी ने कहा है कि ‘‘इसकी जांच करवाई जाएगी।’’    

कुछ समय पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा था कि ‘‘सपा और बसपा के शासनकाल में प्रदेश में गुंडाराज था तथा योगी सरकार उनका सफाया कर रही है।’’ परंतु उक्त घटना ने तो यह सिद्ध कर दिया है कि यदि उस समय गुंडाराज था तो गुंडाराज अब भी है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘‘योगी सरकार के जंगल राज में उत्तर प्रदेश हत्या प्रदेश बन गया है।’’   राजनीति और राजनीतिज्ञों के दस्तूर के अनुसार एक बार फिर सत्ता पक्ष ने इस घटना की ङ्क्षनदा करते हुए कानून व्यवस्था की मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त करने की घोषणा करते हुए अपराधी तत्वों को कड़ी चेतावनी दे दी है परंतु इससे कुछ होने वाला नहीं है। जरूरत ठोस कदम उठा कर पुलिस प्रशासन में लगा घुन समाप्त करने और अपराधी तत्वों को मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण बंद करने की है।     —विजय कुमार 

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