यू.पी. और उत्तराखंड के ‘चुनावी अखाड़े’ में ‘प्रसाद’ की पर्ची पर पैट्रोल और आत्मदाह का प्रयास भी

punjabkesari.in Saturday, Jan 21, 2017 - 11:30 PM (IST)

मतदान के दिन निकट आने के साथ-साथ चुनावी राज्यों में गतिविधियां तेज होती जा रही हैं और राजनीतिक उठा-पटक के इस खेल में अनेक दिलचस्प बातों तथा आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला चल निकला है

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक उम्मीदवार द्वारा अपनी रैली में बाइक सवारों की भीड़ जुटाने के लिए युवकों को 100-100 रुपए की गुलाबी रंग की पॢचयां दी गईं जिनके ऊपर लिखा था ‘प्रसाद 100 रुपए’ (पर्ची धारक की बाइक में 100 रुपए का पैट्रोल डाल दो)।

चुनावों के मौसम में एक-दूसरे के विरुद्ध आरोपों-प्रत्यारोपों का जोर है। प्रदेश भाजपाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया है कि ‘‘पिता, बेटे और चाचा ने तयशुदा पटकथा के अनुसार लोगों को गुमराह करने के लिए अपना-अपना किरदार निभाया है। उत्तर प्रदेश में रोज 24 बलात्कार, 21 बलात्कार के प्रयास, 13 हत्याएं, 33 अपहरण और 136 डकैतियां यह दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं कि अखिलेश यादव सरकार कितनी ‘सक्षम’ है।’’

उत्तर प्रदेश में मुसलमान मतदाताओं के वोट प्राप्त करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मदरसों और दरगाहों में जाकर वोटों  के लिए अनुरोध करने का सिलसिला शुरू कर दिया है।

भाजपा द्वारा दलबदलुओं को टिकट देने के विरुद्ध उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भाजपा समर्थकों और वर्करों ने कई जगह अमित शाह, राजनाथ सिंह व कल्याण सिंह के पुतले जलाए व उनके चित्रों पर काली स्याही पोत दी। 28 वर्षों से भाजपा के वफादार व शाहजहांपुर जिला प्रधान राकेश दूबे ने टिकट न मिलने से रुष्टï होकर 18 जनवरी को लखनऊ में भाजपा मुख्यालय के समक्ष आत्मदाह करने की कोशिश की।

इसके साथ ही ‘सपा’ में भी विद्रोह जैसी स्थिति पैदा हो गई है तथा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी किए जाने के बाद पार्टी के 4 विधायक पार्टी से त्यागपत्र देकर दूसरी पाॢटयों में शामिल हो गए। उत्तराखंड में भाजपा द्वारा 14 दल बदलुओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट देकर पुरस्कृत करने से भड़के अनेक निष्ठïावान भाजपाइयों ने निर्दलीय चुनाव लडऩे की धमकी तक दे डाली है।

कांग्रेस से भाजपा में आए यशपाल आर्य को भाजपा द्वारा बाजपुर से टिकट देने के विरुद्ध बाजपुर में भाजपा नेता व दलित चेहरा सुनीता बाजवा टमटा ने भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। उत्तराखंड में नैनीताल जिले के 24 गांवों के लोगों ने राजनीतिज्ञों द्वारा अपने क्षेत्र की उपेक्षा और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के विरुद्ध रोष व्यक्त करने के लिए इस बार चुनाव में मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है।

प्रचार के लिए जुमलेबाजी और शायरी का खूब सहारा लिया जा रहा है। सपा की ओर से ‘अखिलेश का जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है’, ‘साइकिल से मैट्रो, आप के अखिलेश ने कर दिखाया मित्रो’, ‘आप की साइकिल सदा चलेगी आप के नाम से, फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम अपने काम से’ और ‘जीत की चाबी डिम्पल भाभी’ जैसे नारे गढ़े गए हैं।

दूसरी ओर बसपा समर्थक ‘बेटियों को मुस्कुराने दो, बहन जी को आने दो’, ‘गांव-गांव को शहर बनाने दो, बहन जी को आने दो’ तथा ‘चढ़ गुंडों की छाती पर, मोहर लगेगी हाथी पर’ जैसे नारे लगा रहे हैं।14 वर्षों से यू.पी. की सत्ता में वापसी का इंतजार कर रही भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में ‘अब की बार मोदी सरकार’ का नारा दिया था जिसे यू.पी. में बदल कर ‘अब की बार, 300 के पार’ कर दिया गया है। नामांकन भरने से लेकर प्रचार तक सभी काम अर्थी पर ही करने के कारण ‘अर्थी बाबा’ के नाम से मशहूर राजन यादव चौरीचौरा से चुनाव लड़ रहा है।

हसनूराव अम्बेदकर 84 चुनाव लड़ चुका है और इस दफा 85वीं बार आगरा से चुनाव लडऩे के लिए उसने 21 जनवरी को पर्चा भरा। 91 वर्षीय डा. हरि सिंह आजाद 12वीं बार चुनाव लड़ रहे हैं तथा मेरठ दक्षिण से चुनाव लडऩे वाले हैं। उन्होंने 8 बार विधानसभा, 2 बार संसद और एक बार राष्टï्रपति का चुनाव लड़ा है। इन चुनावों में कुछ इस प्रकार का रंग देखने को मिला है। भविष्य में इसमें और कौन से रंग जुड़ते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।                      
    —विजय कुमार 


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