यू.पी. और बिहार के उपचुनाव ‘न मोदी लहर, न योगी का असर’

Thursday, Mar 15, 2018 - 12:51 AM (IST)

इन दिनों भाजपा देश के उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में अपनी विजय का जश्न मना रही है परंतु देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य बिहार में 3 लोकसभा और 2 विधानसभा उपचुनावों के परिणामों ने इसकी आशाओं पर पानी फेर दिया है। 

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर दोनों हाई-प्रोफाइल सीटों पर भाजपा का कब्जा था जिनका प्रतिनिधित्व क्रमश: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करते थे। जहां योगी आदित्यनाथ 1998 के बाद लगातार 5 बार गोरखपुर की सीट  जीत चुके थे वहीं मौर्य ने 2014 में फूलपुर की सीट 3.74 लाख वोटों के अंतर से जीती थी। हालांकि योगी और मौर्य द्वारा मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री बनने के पश्चात छोड़ी गई उक्त दोनों सीटों पर पार्टी का कब्जा बरकरार रखने के लिए योगी और मौर्य ने व्यापक प्रचार किया परंतु सपा और बसपा के ‘समझौते’ के कारण दोनों सीटें भाजपा के हाथ से निकल गईं और सपा ने जीत लीं। 

बिहार में भाजपा अपने कब्जे वाली भभुआ सीट पर ही कब्जा कायम रख पाई और अररिया की लोकसभा एवं जहानाबाद की विधानसभा सीट पर राजद ने कब्जा कायम रख कर भाजपा को निराश कर दिया। जहां उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने मोदी और योगी सरकार की नीतियों के प्रति असहमति का प्रकटावा किया है वहीं सपा-बसपा ‘समझौते’ की सफलता से उत्साहित विपक्ष अब अधिक एकजुट होने की कोशिश करेगा। उत्तर प्रदेश में 19 मार्च को अपना एक साल पूरा कर रही योगी सरकार को प्रदेश के मतदाताओं का यह पहला बड़ा झटका है। 

बिहार में बेशक यथास्थिति कायम रही है परंतु परिणाम स्पष्टï संकेत दे रहे हैं कि वहां भाजपा अपना दायरा बढ़ाने में विफल रही है। कुल मिलाकर उक्त चुनाव परिणाम भाजपा नेतृत्व के लिए एक चेतावनी हैं कि यदि उन्होंने अपनी कार्यशैली और रणनीति नहीं बदली और जनता के मूड को न भांपा तो आने वाले चुनावों में पार्टी को और आघात सहने के लिए तैयार रहना होगा।—विजय कुमार

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