सीमावर्ती राज्य ‘मणिपुर में अशांति’‘देश की सुरक्षा के हित में नहीं’

punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2023 - 04:32 AM (IST)

भारत के पूर्वोत्तर का सीमावर्ती राज्य मणिपुर इन दिनों गैर जनजाति ‘मैतेई’ समुदाय तथा जनजातीय ‘कुकी’ व अन्य समुदायों के बीच विवाद के चलते हिंसा की चपेट में आया हुआ है। यहां 35 प्रतिशत मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं जिन्हें ‘नगा’ और ‘कुकी’ जनजाति के नाम से जाना जाता है, जबकि मणिपुर की कुल जनसंख्या में मैतेई समुदाय की हिस्सेदारी 64 प्रतिशत से अधिक है। 

‘शैड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी ऑफ मणिपुर’ 2012 से ही मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मांग करती आ रही है परन्तु इसका विरोध कर रहे मणिपुर के जनजातीय समूहों का कहना है कि मैतेई समुदाय का प्रदेश में सियासी दबदबा है और यह अन्य मामलों में भी जनजातीय समूहों से आगे है। जनजातीय समूहों को डर है कि मैतेई समुदाय को भी जनजाति का दर्जा मिल जाने पर उनकी समस्याएं बढ़ जाएंगी, जबकि इस समय उन्हें अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति और इकोनॉमिकली वीकर सैक्शन यानी ई.डब्ल्यू.एस. का लाभ मिल रहा है। इन दोनों समूहों के बीच विवाद के कुछ और भी कारण हैं। कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार मैतेई लोगों के पक्ष में है और उनकी अधिक मदद कर रही है। 

इस पृष्ठभूमि में 3 मई को मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति समुदाय में शामिल करने की केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय की 10 वर्ष पुरानी सिफारिश लागू करने का निर्देश दिया था, के बाद पूरे राज्य में फैली हिंसा में 73 लोगों की जान चली गई । इस हिंसा के चलते कुकी और मैतेई समुदायों के हजारों लोग अपने घर छोड़ कर चले गए।

उक्त घटना के 18 दिन बाद 22 मई को एक बार फिर राजधानी इम्फाल हिंसा की चपेट में आ गई जब मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच झगड़े के बाद उपद्रवियों ने कुछ घरों में आग भी लगा दी और स्थिति पर नियंत्रण के लिए प्रशासन को अद्र्धसैनिक बलों एवं सेना को बुलाना पड़ा। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी देश में इस तरह के विवादों का जारी रहना खेदजनक है। अत: इस समस्या को तुरन्त सुलझा कर यहां शांति स्थापित करने की जरूरत है, ताकि इस सीमावर्ती प्रदेश में व्याप्त जन असंतोष का कहीं देश की शत्रु शक्तियां लाभ न उठा लें।-विजय कुमार


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