संजय राऊत के बयान से पैदा हुआ अनावश्यक विवाद

punjabkesari.in Sunday, Jan 19, 2020 - 02:00 AM (IST)

24 अक्तूबर, 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणामों के रुझानों में ही अपनी मजबूत स्थिति भांप कर शिवसेना के नेता संजय राऊत ने भाजपा नेतृत्व को सत्ता बंटवारे के 50-50 सिद्धांत की याद दिलाते हुए कह दिया था कि ‘‘भाजपा पहले ही दोनों दलों में अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा करना स्वीकार कर चुकी है तथा हमें इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा।’’भाजपा द्वारा इससे इंकार करने पर अंतत: इसी मुद्दे को लेकर दोनों दलों का 30 वर्ष पुराना गठबंधन टूट गया और भाजपा के सरकार बनाने में विफल रहने पर शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने राकांपा व कांग्रेस से गठबंधन करके 28 नवम्बर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली। 

परंतु इसके बाद अपने दल शिवसेना के अलावा दोनों गठबंधन सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस की संतुष्टि के अनुरूप मंत्रिमंडल का विस्तार करने में उद्धव ठाकरे को 32 दिनों का लम्बा समय लग गया और 30 दिसम्बर को हुए इस मंत्रिमंडलीय विस्तार में वह घटक दलों को तो क्या अपनी पार्टी के सदस्यों को भी संतुष्ट नहीं कर पाए। यहां तक कि शिवसेना की सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले संजय राऊत के छोटे भाई और विधायक सुनील राऊत का नाम भी संभावित मंत्रियों की सूची में से अंतिम समय पर काटा गया। संभवत: इसी कारण संजय व सुनील राऊत उक्त शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए थे। बहरहाल, अब जबकि थोड़े बहुत विरोध के स्वरों के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था अचानक संजय राऊत के एक बयान से फिर विवाद खड़ा हो गया जिसमें उन्होंने यह दावा किया था कि :

‘‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुम्बई में पुराने डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं। दाऊद इब्राहीम, छोटा शकील और शरद शैट्टी जैसे गैंगस्टर महानगर और आसपास के क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते थे। हाजी मस्तान के मंत्रालय में आने पर पूरा मंत्रालय उसे देखने के लिए नीचे आ जाता था और इंदिरा गांधी पाईधोनी (दक्षिण मुम्बई) में करीम लाला से मिलने आती थीं।’’ संजय राऊत द्वारा अपनी ही सरकार में सहयोगी पार्टी की दिवंगत नेता बारे इस बयान से विवाद खड़ा हो गया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने भी कांग्रेस से इस संबंधी स्पष्टीकरण मांगा तथा अगले ही दिन राऊत को कांग्रेस के दबाव में यू-टर्न लेते हुए यह सफाई देनी पड़ी कि :

‘‘मुम्बई के इतिहास की समझ न रखने वालों ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ डाला है। यदि इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं और माफी मांगता हूं। मैं तो कई मौकों पर श्रीमती इंदिरा गांधी का पक्ष लेकर उनकी छवि धूमिल करने वालों से उलझता रहा हूं।’’ यह बात समझ से बाहर है कि संजय राऊत ने उक्त बयान क्यों दिया परंतु इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप सोशल मीडिया पर शिवसेना संस्थापक स्व. बाला साहेब ठाकरे का कुख्यात तस्कर करीम लाला के साथ एक चित्र वायरल हो गया वहीं नेताओं ने एक-दूसरे के रहस्य उजागर करने शुरू कर दिए। 

कांग्रेस नेता बाला साहब थोराट ने देवेंद्र फडऩवीस पर अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान एक अंडरवल्र्ड डॉन से मुलाकात करने और एक अन्य अपराधी मुन्ना यादव को पनाह देने का आरोप लगा दिया। इस बारे एक प्रतिक्रिया हाजी मस्तान के गोद लिए बेटे सुंदर शेखर की ओर से भी आई जिसने कहा है कि ‘‘संजय राऊत की बात सही है। शिवसेना नेता बाल ठाकरे सहित अन्य अनेक नेताओं की भांति ही इंदिरा गांधी करीम लाला से मिली थीं। इंदिरा गांधी उससे (करीम लाला) मिला करती थीं। अन्य अनेक नेता भी मिलने जाया करते थे। हाजी मस्तान एक व्यापारी था। बाला साहेब ठाकरे भी हाजी मस्तान के अच्छे दोस्त थे।’’ 

संजय राऊत शिव सेना में उद्धव ठाकरे के बाद सर्वाधिक शक्तिशाली नेता होने के साथ-साथ पार्टी के प्रवक्ता भी हैं लिहाजा हम समझते हैं कि इंदिरा गांधी और करीम लाला बारे बयान उन्हें नहीं देना चाहिए था क्योंकि इससे अनावश्यक विवाद ही पैदा हुआ है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो जितना योगदान संजय राऊत का शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनवाने में रहा है, उनका उतना ही योगदान यह सरकार गिराने में भी होगा। इसीलिए हम हमेशा लिखते रहते हैं कि हमारे नेताओं को अनावश्यक और अवांछित बयान देने की बजाय केवल देश हित की बात करनी चाहिए क्योंकि अनावश्यक बयानों से कटुता ही पैदा होती है।—विजय कुमार 


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